Maharashtra News: महाराष्ट्र के पिछले साल के राजनीतिक संकट को लेकर सुप्रीम कोर्ट की ओर से महत्वपूर्ण फैसला दिए जाने के एक दिन बाद शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे प्रमुख उद्धव ठाकरे ने शुक्रवार को महाराष्ट्र के विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर से 16 विधायकों की अयोग्यता पर जल्द से जल्द फैसला लेने की मांग की है. एक साल पहले शिवसेना के एकनाथ शिंदे की बगावत की वजह से उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार गिर गयी थी. शिंदे ने बाद में भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर सरकार बनाई और उन्होंने मुख्यमंत्री पद और बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली.
उद्धव ठाकरे ने पीएम मोदी से की अपील: शिवसेना उद्धव बाला ठाकरे (UBT) प्रमुख और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया है कि अपने लोगों को इस्तीफा देने के लिए कहें. उन्होंने कहा कि उन्हें चुनाव का सामना करने के लिए कहें. उद्धव ठाकरे ने कहा कि इनके कारण महाराष्ट्र की छवि को नुकसान पहुंचा है. उन्होंने यह भी कहा कि महाराष्ट्र में जो गैरकानूनी काम किया है उसके लिए मुझे लगता है कि उनके खिलाफ मुकदमा चलना चाहिए. ठाकरे ने कहा कि राज्यपाल किसी कानून के तहत नहीं आते तो इसका मतलब यह नहीं है कि वे अपनी मनमर्जी करें.
कानून के अनुसार नहीं था राज्यपाल का फैसला: उद्धव ठाकरे ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने एक दिन बाद कहा कि तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का फ्लोर टेस्ट के लिए बुलाने का फैसला जिसके कारण महा विकास अघाड़ी सरकार को गिरा दिया गया, कानून के अनुसार नहीं था. ठाकरे ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में बहाल नहीं किया जा सकता क्योंकि उन्होंने शक्ति परीक्षण का सामना किए बिना स्वेच्छा से पद से इस्तीफा दे दिया था. उद्धव ठाकरे की पार्टी के नेता अनिल परब ने कहा कि वे अध्यक्ष नार्वेकर को पत्र लिखकर उनसे इस मामले पर जल्द से जल्द फैसला लेने का अनुरोध करेंगे.
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अध्यक्ष को जल्द से जल्द लेना चाहिए फैसला: उद्धव ठाकरे ने कहा 16 विधायकों को मिला जीवनदान अस्थायी है क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने समय दिया है और इसकी सीमाएं हैं. अध्यक्ष को जल्द से जल्द इस पर फैसला लेना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा था कि वह ठाकरे की अगुवाई वाली एमवीए सरकार को बहाल नहीं कर सकता क्योंकि उन्होंने पिछले साल जून में शक्ति परीक्षण का सामना किए बिना इस्तीफा दे दिया था. उच्चतम न्यायालय के फैसले का जिक्र करते हुए ठाकरे ने कहा कि इसका मतलब है कि राज्यपाल के उन्हें शक्ति परीक्षण के लिए बुलाने जैसे कदम गैरकानूनी थे.
भाषा इनपुट से साभार