फ़िल्म – किसी का भाई किसी की जान
निर्माता -सलमान खान फिल्म्स
निर्देशक -फरहाद सामजी
कलाकार – सलमान खान, पूजा हेगड़े, वेंकटेश, जे. बी, सिद्धार्थ निगम, जस्सी गिल, शहनाज़, पलक तिवारी, विनील, सतीश कौशिक, तेज सप्रू, भाग्यश्री, हिमालय और अन्य
प्लेटफार्म – सिनेमाघर
रेटिंग -दो
ईद का त्यौहार और सलमान खान की फिल्मों की रिलीज के बीच बेहद खास कनेक्शन रहा है. सलमान खान का इसे दर्शकों के प्रति एंटरटेनमेंट का कमिटमेंट कहा जाता है. इस साल ईद पर सलमान किसी का भाई किसी की जान लेकर आए हैं. खास बात है कि लगभग चार साल के अंतराल पर सलमान खान की किसी फिल्म ने सिनेमाघरों में दस्तक दी है, लेकिन किसी का भाई किसी की जान एंटरटेनमेंट का वो जादू परदे पर नहीं चला पायी है, जिसके लिए सलमान खान अपने फैन्स के बीच जाने जाते हैं.यह एक कमजोर फिल्म साबित होती है.
एक्शन और स्वैग ही है कहानी नहीं
फिल्म की कहानी की बात करें तो इसमें इंसानियत, प्यार, सभी धर्मों का सम्मान, देशभक्ति, परिवार, एक्शन, स्वैग सबकुछ डाल दिया गया है, लेकिन कहानी ही नहीं है. जो कुछ भी पर्दे पर नजर आ रहा है. उससे लॉजिक भी कोसों दूर है. भाईजान (सलमान खान) अपने तीन भाइयों (राघव, जस्सी, सिद्धार्थ) के साथ दिल्ली की एक बस्ती में रहते हैं. भाईजान अपने भाइयों की वजह से कुंवारे हैं, ताकि वह अपने भाइयों का पूरा ख्याल रख सकें, लेकिन उनके भाई प्यार में पड़ गए हैं और शादी भी करना चाहते हैं, ऐसे में तीनों भाई मिलकर अपने भाईजान की ज़िन्दगी में भाग्यलक्ष्मी (पूजा हेगड़े) की एंट्री करवाते है. प्यार तो होना ही था हीरो हीरोइन जो ठहरे, लेकिन पंगा भी सामने आ जाता है. लड़की और उसके परिवार का खात्मा एक बाहुबली (जे बी) करना चाहता है. अब इसके बाद क्या होगा वो आपको भी पता है.
बस यही कहानी है. इस कहानी को आधे दर्जन गानों और दर्जन भर फाइट सीक्वेन्स के जरिए कहा गया है. फार्मूलस फिल्म की तरह एक्शन सीक्वेन्स और गाने सिलसिलेवार ढंग से आते गए हैं. कहानी में किसी किरदार का बैकग्राउंड नहीं हैं. सलमान खान तक का नहीं है. मोहल्ले के रोबिनहुड वह कैसे बने. वे क्या काम करते हैं. कुछ का जिक्र नहीं है. फिल्म में उनको एक नाम देने तक की मेहनत नहीं की गयी है. फिल्म का क्लाइमैक्स भी बेहद कमज़ोर है. अब तक कई फिल्मों में यह दोहराया जा चुका है. फिल्म के अच्छे पहलुओं की बात करें तो भाग्यश्री का परिवार और मैंने प्यार किया फिल्म के कुछ फुटेज को दिखाया गया है. वह पहलू जरूर दिलचस्प बना है. इसके अलावा रामचरण, सलमान और वेंकटेश का डांस मूव्स वाला सांग अच्छा बन पड़ा है.
चित परिचित अंदाज में ही दिखें है सलमान
अभिनय की बात करें तो फिल्म के जब शीर्षक में सलमान है, तो पूरी फिल्म भी उन्ही के इर्द गिर्द होगी. सलमान खान ने भी जमकर अपना स्वैग और एक्शन वाला अवतार इस फिल्म में दिखाया है. कुल मिलाकर उनका चित परिचित वाला अंदाज ही फिल्म में है .पूजा हेगड़े फिल्म में अच्छी लगी हैं. अपने किरदार में वह जंची हैं.फिल्म में पूजा हेगड़े को छोड़कर बाकी महिला पात्रों को करने को कुछ नहीं था. शहनाज, पलक, विनील और भूमिका चावला को मुश्किल से संवाद मिले हैं. सिर्फ ये अभिनेत्रियां गाने में ही नजर आयी हैं. इनके अपोजिट नजर आए अभिनेता सिद्धार्थ, जस्सी और राघव पूरी फिल्म में सलमान खान के साथ नजर, तो आए हैं, लेकिन सिवाय भाईजान कहने के अलावा उनके लिए करने को कुछ नहीं था. जगपति बाबू और विजयेंन्द्र का किरदार उस प्रभावी ढंग से लिखा नहीं गया है कि वह परदे पर कुछ छाप छोड़ पाए. वह विलेन के रटे रटाए अवतार में नजर आए हैं. एक अरसे बाद हिंदी फिल्म में वेंकटेश नजर आए हैं. अपने किरदार को उन्होने बखूबी जिया है.
यहां भी हुई है चूक
फिल्म के एक्शन की बात करें तो वह कोरियोग्राफी वाला एक्शन दिखता है. जिस वजह से वह परदे पर वह प्रभाव नहीं ला पाएं हैं. जैसे की जरूरत थी. फिल्म का गीत संगीत कहानी के अनुरूप है. गानों की कोरियोग्राफी अच्छी है. हर फ्रेम में भव्यता का ख्याल रखा गया है. फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक कमज़ोर है, सिर्फ शोर का एहसास पूरी फिल्म में करवाता रहता है. संवाद की बात करें तो बन्दे में हैं दम वन्दे मातरम जैसे संवाद फिल्म का हिस्सा हैं. जो गैर जरूरी से लगते हैं. ऐसे ही बाकी के संवाद भी कहानी में कुछ खास नहीं जोड़ पाए हैं. फिल्म की सिनेमाटोग्राफी की बात करें तो रियल लोकेशन के बजाय पूरी फिल्म सेट पर ही शूट हुई है. यह फिल्म का हर फ्रेम बयां करता है.
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देखें या ना देखें
सलमान खान के अगर आप बहुत बड़े फैन हैं, तो ही यह कमज़ोर कहानी वाली फिल्म आपका मनोरंजन कर पाएगी.