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बिहार: मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना: ग्रेजुएट छात्राओं के लिए खुशखबरी, खाते में मिलेंगे 50 हजार, जानें कैसे

मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना के नये पोर्टल पर शुक्रवार से छात्राओं का नाम जुड़ेगा. विभाग की ओर से गुरुवार को हुई समीक्षा बैठक में सभी विश्वविद्यालयों को निर्देश दिया गया कि अप्रैल 2021 से अक्तूबर, 2022 तक स्नातक उत्तीर्ण करने वाली छात्राओं का नाम पोर्टल पर अपलोड करें.

बिहार: मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना के नये पोर्टल पर शुक्रवार से छात्राओं का नाम जुड़ेगा. विभाग की ओर से गुरुवार को हुई समीक्षा बैठक में सभी विश्वविद्यालयों को निर्देश दिया गया कि अप्रैल 2021 से अक्तूबर, 2022 तक स्नातक उत्तीर्ण करने वाली छात्राओं का नाम पोर्टल पर अपलोड करें. पहले चरण में फरवरी में पोर्टल खुला था, लेकिन 13 मार्च को बंद कर दिया गया. इस बीच जिन छात्राओं का नाम पोर्टल पर नहीं था, उन्हें अंकपत्र सहित अन्य डॉक्युमेंट जमा करने को कहा गया था. डीएसडब्ल्यू प्रो अभय कुमार सिंह ने बताया कि पांच मई तक जितनी छात्राओं का आवेदन आयेगा, उसे अपलोड कर दिया जायेगा.

अब तक जुड़ चुका है 19 हजार से अधिक छात्राओं का नाम 

योजना के तहत नये पोर्टल पर आवेदन करने वाली छात्राओं को 50 हजार रुपये मिलेंगे. अब तक 19 हजार से अधिक छात्राओं का नाम जुड़ा है. योजना का लाभ लेने के लिए छात्राओं को डीएसडब्ल्यू कार्यालय में इसके संबंध में आवेदन देना होगा. विश्वविद्यालय से सभी छात्राओं का डाटा अपलोड करने के बाद विभाग को पत्र भेजा जायेगा, जिसके आधार पर राज्य कार्यालय से सत्यापन की प्रक्रिया पूरी की जायेगी. विश्वविद्यालय को इस बात का शपथ पत्र देना है कि पोर्टल पर जिन छात्राओं का नाम अपलोड है, वे संबंधित विश्वविद्यालय से स्नातक उत्तीर्ण की है. जिसके बाद छात्राओं को प्रोत्साहन राशि उनके बैंक अकाउंट में भेज दिया जाएगा.

संबंधित विषय को सरकार से मान्यता नहीं, तो योजना का लाभ भी नहीं 

उधर, कई विश्वविद्यालयों के अंगीभूत कॉलेजों में संचालित सेल्फ फाइनेंस व वोकेशनल कोर्स से उत्तीर्ण छात्राओं को योजना का लाभ देने के लिए विभाग की ओर से अब तक निर्णय नहीं हो सका है. इसको लेकर छात्राओं की नाराजगी भी बढ़ रही है. रोज इस तरह की छात्राएं विश्वविद्यालय पहुंच रही हैं. उनका कहना है कि जब कॉलेज में दाखिला लिया, तो उन्हें नहीं मालूम था कि संबंधित विषय को सरकार से मान्यता है या नहीं. यह गलती विश्वविद्यालय और कॉलेज प्रशासन की है, तो छात्राओं को इसकी सजा क्यों मिल रही है.

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