15 August, Independence Day 2020, 15 August 2020, 74th independence day india 2020: 15 अगस्त …देश की आजादी का दिन. इसी दिन साल 1947 को अंग्रेजों की लंबी गुलामी के बाद भारत ने आजाद हवा में सांस ली और आजाद सुबह का सूरज देखा. स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आजादी के बाद से ही दिल्ली के लाल किले पर तिरंगा झंडा फहराया जाता रहा है. किले की प्राचीर से ही प्रधानमंत्री देश के नाम संबोधन देते रहे हैं. हालांकि सभी के मन में अक्सर यह सहज सवाल उपजता रहा है कि आखिर आजादी के जश्न के लिए लाल किले को ही क्यों चुना गया.
इसकी कोई सटीक वजह या लिखित दस्तावेज नहीं है, लेकिन ऐसे कई कारण रहे हैं, जिससे लाल किले पर तिरंगा फहराने की परंपरा बन गई. 15 अगस्त 1947 को पहली बार जवाहर लाल नेहरू ने झंडा फहराया था और देश के नाम संबोधन दिया था. उन्होंने लाल किले से ही तिरंगा फहराया था और जब तक वो जीवित रहे, लाल किले से ही तिरंगा फहराते रहे. इसके बाद बाकी के प्रधानमंत्रियों ने यहीं से तिरंगा फहराया और ऐसे यह एक परपंरा बन गई. अब यह भारत की पहचान बन चुकी है और आजादी के 73 वर्षों बाद भी यह पंरपरा जारी है.
Also Read: Independence Day 2020 : सैनिटाइजेशन…मास्क…कोरोना काल के बीच देश में ऐसे मनेगा 74वां स्वतंत्रता दिवस
बता दें कि मुगल बादशाह शाहजहां ने 1638 से 1649 के दौरान लाल किले का निर्माण कराया था. दिल्ली के केंद्र में यमुना किनारे बना यह किला तब से ही सत्ता के केंद्र के तौर पर स्थापित रहा है. लाल बलुआ पत्थर की इसकी विशाल घेराबंदी दीवार के कारण इसका नाम लाल किला रखा गया था. 1857 में हुए आजादी के पहले स्वतंत्रता संग्राम का केंद्र भी लाल किला ही रहा. इतना ही नहीं आजादी से कुछ सालों पहले सुभाष चंद्र ने दिल्ली चलों का जो नारा दिया था तो उसका मतलब लाल किले पर आकर अपनी ताकत दिखाना ही था.
Also Read: 15 August Independence Day 2020: कोरोना काल में अलग होगा लालकिले पर स्वतंत्रता दिवस का नजारा , खास लोगों को ही मिलेगा प्रवेश
कहा जाता है कि जब भारत को आजादी मिली तो उसके बाद किसी ऐतिहासिक इमारत को जश्न बनाने और ध्वजारोहण के लिए चुना जाना था. पहले रायसीना हिल्स को इसके लिए चुना गया लेकिन उस दौरान वहां पर लॉर्ड माउंटबेटन रह रहे थे, ऐसे में उस इमारत पर तिरंगा फहराना सही नहीं माना गया. इसके बाद दिल्ली में उस दौरान सबसे महत्वपूर्ण इमारत लाल किला को चुना गया, जो शायद रायसीना हिल्स से भी महत्वपूर्ण था.
वहीं आजादी के बाद पहली बार नेहरू ने यही पर ध्वजारोहण किया. लाल किले का आजादी के जश्न का केंद्र बनने की बड़ी वजह शायद यह भी थी कि उस दौर में लाल किले से विशाल और प्रतीकात्मक तौर पर महत्वपूर्ण कोई दूसरी गैर-औपनिवेशिक इमारत नहीं थी.
Posted By: Utpal kant