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One Nation One Election : 80% भारतीय चाहते हैं एक साथ हों स्टेट-सेंट्रल के इलेक्शन

रिपोर्ट में कहा गया है कि एक देश, एक चुनाव के लिए आम लोगों से भी राय ली गयी और 80 फीसदी लोग इसके पक्ष में दिखे. एक साथ चुनाव कराने के लिए विभिन्न देशों के मॉडल का अध्ययन भी किया गया. रिपोर्ट में सभी चुनाव के लिए एकल मतदाता सूची बनाने के लिए संविधान के अनुच्छेद 325 में बदलाव की सिफारिश की गयी है.

One Nation One Election – ब्यूरो, नयी दिल्ली : एक देश, एक चुनाव कराने को लेकर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति ने गुरुवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को रिपोर्ट सौंप दिया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ होने चाहिए और फिर 100 दिनों के बाद सभी स्थानीय निकायों का चुनाव कराया जा सकता है. आजादी के बाद कुछ समय तक देश में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ होते रहे, लेकिन बाद में विभिन्न कारणों से लोकसभा और विधानसभा चुनाव अलग-अलग होने लगे. रिपोर्ट तैयार करने में 191 दिन लगे और इस दौरान राजनीतिक दलों, न्यायाधीशों, अर्थशास्त्रियों और समाज के विभिन्न प्रबुद्ध लोगों से विचार किया गया. रिपोर्ट में कहा गया है कि एक देश, एक चुनाव के लिए आम लोगों से भी राय ली गयी और 80 फीसदी लोग इसके पक्ष में दिखे. एक साथ चुनाव कराने के लिए विभिन्न देशों के मॉडल का अध्ययन भी किया गया. रिपोर्ट में सभी चुनाव के लिए एकल मतदाता सूची बनाने के लिए संविधान के अनुच्छेद 325 में बदलाव की सिफारिश की गयी है.

One Nation - One Election
One nation – one election

One Nation One Election : एक देश, एक चुनाव के लिए संविधान में करना होगा संशोधन

कोविंद समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि एक देश, एक चुनाव के लिए संविधान में कुछ संशोधन करने होंगे. रिपोर्ट में कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 82 (क) के तहत राष्ट्रपति लोकसभा चुनाव के बाद पहली बैठक में इसके प्रावधान को लागू कर सकते हैं. इसी तारीख को अगले चुनाव के लिए पैमाना माना जायेगा. इसके अलावा संविधान के अनुच्छेद 83 और 172 में लिखित किसी तरह के उल्लेख के बावजूद लोकसभा का कार्यकाल खत्म होने के बाद गठित विधानसभा के कार्यकाल को समाप्त माना जायेगा. रिपोर्ट में संविधान के अनुच्छेद 324 में संशोधन करने की सिफारिश की गयी है. लोकसभा-विधानसभा चुनाव का चुनाव पांच साल के लिए एक बार होगा. लेकिन अगर किसी कारणवश कोई सदन पांच साल का कार्यकाल पूरा करने से पहले भंग हो गया तो मध्यावधि चुनाव सिर्फ बचे हुए कार्यकाल के लिए होगा. ताकि लोकसभा और विधानसभा का चुनाव एक साथ संपन्न हो सके. कानूनी विशेषज्ञों को आशंका है कि अगर ऐसा करने में चुनाव आयोग नाकाम रहता है तो पांच अनुच्छेदों में संशोधन करना होगा. संविधान के अनुच्छेद 83 (संसद का कार्यकाल), अनुच्छेद 85 (राष्ट्रपति द्वारा लोकसभा का विघटन), अनुच्छेद 172 (राज्य विधानमंडलों का कार्यकाल), और अनुच्छेद 174 (राज्य विधानमंडलों का विघटन) के साथ ही अनुच्छेद 356 (राष्ट्रपति शासन) में संशोधन करने की सिफारिश की गयी है.

One Nation One Election : क्या होगा फायदा

रिपोर्ट में कहा गया है कि बार-बार चुनाव होने से सरकारी कामकाज प्रभावित होता है. साथ ही बार-बार चुनाव कराने से काफी पैसे और संसाधन खर्च होते हैं. ऐसे में एक साथ चुनाव कराने से शासन को बेहतर तरीके से चलाने में मदद मिलेगी. चुनाव आयोग ने एक साथ चुनाव कराने के लिए लगने वाले लॉजिस्टिक और खर्च का ब्यौरा पेश कर दिया है. सरकार आयोग के सुझावों पर अमल कर इसे लागू करने की दिशा में कदम बढ़ा सकती है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय मतदाता काफी जागरूक हो गये हैं और वे मुद्दों के आधार पर लोकसभा और विधानसभा में मतदान करते हैं.

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