नयी दिल्ली : दिल्ली की अदालत ने तबलीगी जमात के एक कार्यक्रम में हिस्सा लेकर वीजा के नियमों, दिशा-निर्देशों की कथित अवहेलना करने के आरोपी 82 बांग्लादेशी नागरिकों को शुक्रवार को जमानत दी. इन पर वीजा नियमों का कथित उल्लंघन करने के अलावा कोविड-19 के मद्देनजर जारी सरकारी दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने और मिशनरी गतिविधियों में गैर-कानूनी तरीके से शामिल होने के भी आरोप हैं.
मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट गुरमोहिना कौर ने प्रत्येक विदेशी को 10,000-10,000 रूपये के निजी मुचलके पर यह राहत दी. इस मामले में आरोपी 371 विदेशियों को जमानत दी जा चुकी है. ये विदेशी 31 अलग-अलग देशों से हैं. पुलिस ने जून महीने में इस मामले में 36 देशों के 956 विदेशियों के खिलाफ 59 आरोप पत्र दाखिल किए थे.
विदेशी नागरिकों की ओर से पेश वकील आशिमा मंडला, मंदाकिनी सिंह और फाहिमा खान ने बताया कि आरोपी शुक्रवार को समझौता आवेदन (प्ली बार्गेनिंग एप्लिकेशन) देंगे. इस तरह के आवेदन के तहत आरोपी अपना दोष स्वीकार कर लेता है और कम दंड देने की याचना करता है. दंड प्रक्रिया संहिता के तहत जिन मामलों में अधिकतम सजा सात वर्ष है, जो अपराध समाज की सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों को प्रभावित नहीं करते हों और जो अपराध महिला अथवा 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चे के खिलाफ न हों, उनमें समझौता आवदेन देने की इजाजत होती है.
वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए हुई सुनवाई के दौरान सारे विदेशी नागरिक अदालत के समक्ष पेश किये गये थे. अदालत ने मंगलवार को 122 मेलेशियायी नागरिकों को, बुधवार को 21 देशों के 91 नागरिकों को और गुरुवार को आठ देशों के 76 नागरिकों को जमानत दी थी. इन विदेशियों के खिलाफ जो मामले दर्ज हैं, उनमें छह महीने से आठ साल तक की सजा हो सकती है.
केंद्र ने आरोपियों के वीजा रद्द कर उन्हें काली सूची में डाल दिया है. हालांकि, इन आरोपियों को अब तक गिरफ्तार नहीं किया गया है और ये लोग दिल्ली हाईकोर्ट की मंजूरी से विभिन्न इलाकों में रह रहे हैं. राजधानी में निजामुद्दीन मरकज के मार्च में आयोजित तबलीगी जमात के कार्यक्रम में कम से कम 9,000 लोग शामिल हुए थे. इसके बाद इनमें से अनेक देश के दूसरे हिस्सों में भी गये थे.
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Posted By : Vishwat Sen