नयी दिल्लीः देश के अलग-अलग राज्यों में चल रहे किसान आंदोलनों की वजह से कम से कम 9,000 छोटे-बड़े उद्योग प्रभावित हो रहे हैं. किसानों के आंदोलन से आवागमन भी प्रभावित हो रहा है. इन आंदोलनों की वजह से उद्योगों पर पड़ रहे विपरीत असर को देखते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने चार राज्यों को नोटिस जारी किया है. आयोग ने दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक से कहा है कि स्थिति से निबटने के लिए उन्होंने अब तक क्या किया है, उस पर एक रिपोर्ट सौंपें.
इतना ही नहीं, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने कृषि कानूनों को खत्म करने के लिए 25 नवंबर से दिल्ली की कई सीमाओं पर शुरू हुए आंदोलन से अब तक हुए नुकसान का आकलन करने की जिम्मेदारी द इंस्टीट्यूट ऑफ इकॉनोमिक ग्रोथ (IEG) को सौंपी है. वहीं, दिल्ली विश्वविद्यालय के दिल्ली स्कूल ऑफ सोशल वर्क से कहा गया है कि वह एक टीम के जरिये सर्वेक्षण करवाये. इसमें किसानों के आंदोलन की वजह से लोगों की आजीविका किस तरह प्रभावित हुई, कितने लोगों की जानें गयीं और बुजुर्गों पर इसका क्या असर पड़ा के बारे में पूरी जानकारी जुटायी जाये. दोनों संस्थानों से कहा गया है कि वे अपनी रिपोर्ट 10 अक्टूबर तक आयोग को सौंप दें.
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकार (National Disaster Management Authority), गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs), स्वास्थ्य मंत्रालय (Ministry of Health) और भारत सरकार (Government of India) को भी आयोग ने रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा है. इन्हें बताना है कि किसानों के धरना-प्रदर्शन की वजह से किस तरह से कोरोना की जंग प्रभावित हुई है. प्रदर्शन स्थल पर कोरोना प्रोटोकॉल (Covid protocols) का पालन हुआ है या नहीं.
आईईजी आयोग को बतायेगा कि औद्योगिक और वाणिज्यिक संस्थानों को किसानों के धरना से कितना नुकसान हुआ है. उसे यह भी बताना है कि औद्योगिक और वाणिज्यिक गतिविधियां किस तरह से प्रभावित हुईं हैं. किसानों के आंदोलन की वजह से उत्पादन कितना प्रभावित हुआ है. इतना ही नहीं, उपभोक्ताओं को किस तरह की परेशानी हुई है, मसलन, आने-जाने की समस्या और उस पर होने वाला अतिरिक्त खर्च आदि पर भी विस्तृत रिपोर्ट देनी है. आईईजी यह रिपोर्ट 10 अक्टूबर तक आयोग को सौंपेगा, ऐसा निर्देश उसे दिया गया है.
ज्ञात हो कि 25 नवंबर, 2020 से दिल्ली के सिंघु बॉर्डर, टिकड़ी बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर पंजाब, हरियाणा और राजस्थान समेत कई राज्यों के किसानों ने डेरा डाल रखा है. ये सीमाएं उत्तर प्रदेश, हरियाणा से सटी हैं. आंदोलन को खत्म करने के लिए केंद्र सरकार से किसान नेताओं की 11 दौर की वार्ता हुई, लेकिन कोई हल नहीं निकला. सरकार कानूनों में संशोधन के लिए तैयार है, लेकिन किसान तीनों कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं.
Posted By: Mithilesh Jha