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अनुच्छेद 370 हटाये जाने के बाद 96 नागरिकों, 81 सुरक्षा बलों और 366 आतंकवादी जम्मू-कश्मीर में मारे गये

अनुच्छेद 370 को नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से निष्प्रभावी किये जाने के बाद कोई कश्मीरी पंडित या हिंदू विस्थापित नहीं हुआ. 366 आतंकवादियों को सुरक्षा बलों ने मार गिराया. संसद में Article 370 पर नित्यानंद राय बोले

नयी दिल्ली: जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को वापस लिये जाने के बाद से अब तक 96 नागरिकों की मौत हुई है, जबकि सुरक्षा बलों के 81 जवान शहीद हुए हैं. ये आंकड़े नवंबर, 2021 तक के हैं. इस अवधि में सुरक्षा बलों के जवानों ने अलग-अलग ऑपरेशन और मुठभेड़ में 366 आतंकवादियों को मार गिराया है.

गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय (Nityanand Rai) ने बुधवार को राज्यसभा को यह जानकारी दी. केंद्रीय गृह राज्यमंत्री ने कांग्रेस के सांसद दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) के अतारांकित सवाल के जवाब में यह जानकारी दी है. दिग्विजय सिंह ने घाटी से कश्मीरी पंडितों (Kashmiri Pandits) और हिंदुओं (Hindus) के विस्थापन पर सवाल पूछा था.

उन्होंने जानना चाहा था कि कश्मीर से अनुच्छेद 370 (Repeal of Article 370) को खत्म किये जाने के बाद से अब तक कितने कश्मीरी हिंदू और कश्मीरी पंडित विस्थापित हुए हैं. उन्होंने यह भी पूछा था कि अनुच्छेद 370 को रद्द किये जाने के बाद से अब तक सुरक्षा बल के कितने जवानों की मौत हुई, कितने नागरिक मारे गये और कितने आतंकवादियों का सफाया हुआ.

  • 5 अगस्त 2019 को भारत सरकार ने अनुच्छेद 370 को किया था निष्प्रभावी

  • अनुच्छेद 370 को फिर से बहाल करने के लिए आंदोलन कर रहे हैं कई दल

  • 5 अगस्त 2019 से 30 नवंबर 2021 तक 366 आतंकवादी कश्मीर में मारे गये

दिग्विजय सिंह के इन सवालों के जवाब में नित्यानंद राय ने उच्च सदन को बताया कि अनुच्छेद 370 को वापस लिये जाने के बाद यानी 5 अगस्त 2019 से 30 नवंबर 2021 तक कोई कश्मीरी पंडित या हिंदू विस्थापित नहीं हुआ. हां, हाल ही में कुछ कश्मीरी पंडित, जिसमें अधिकतर महिलाएं एवं बच्चे हैं, अब कश्मीर से जम्मू क्षेत्र में शिफ्ट हो गये हैं.

Also Read: पीएम मोदी के मुरीद हुए जम्मू-कश्मीर के नेता, ममता ने अनुच्छेद 370 हटाने पर उठाये सवाल

गृह राज्यमंत्री ने कहा है कि जो लोग कश्मीर से जम्मू शिफ्ट हुए हैं, वे सरकारी कर्मचारियों के परिवार हैं. इनमें से अधिकतर लोग जम्मू इसलिए शिफ्ट हुए हैं, क्योंकि ठंड के मौसम में जम्मू-कश्मीर के सभी सरकारी कामकाज जम्मू से होते रहे हैं. इस दौरान कश्मीर में शिक्षण संस्थानों में छुट्टी घोषित कर दी जाती है. इसलिए बहुत से परिवार इस मौसम में जम्मू शिफ्ट हो जाते हैं.

उल्लेखनीय है कि जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की चीफ महबूबा मुफ्ती और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद समेत कई दलों के नेता जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा फिर से बहाल करने और अनुच्छेद 370 को फिर से लागू करने की मांग कर रहे हैं.

5 नवंबर 2019 को निष्प्रभावी किया गया था अनुच्छेद 370

ज्ञात हो कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की नरेंद्र मोदी सरकार ने विपक्षी दलों के तमाम विरोध के बावजूद 5 नवंबर 2019 को संसद में अनुच्छेद 370 को रद्द करने का बिल पारित करवाया था. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक पेज के राष्ट्रपति के आदेश से इस अनुच्छेद को रद्द करने की जानकारी संसद को दी थी.

Posted By: Mithilesh Jha

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