ब्यूरो, नयी दिल्ली
दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के जेल से बाहर आने के बाद आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं में उत्साह दिख रहा है. खुद सिसोदिया भी जोश से भरे दिख रहे हैं. शुक्रवार को जमानत मिलने के बाद शनिवार को सिसोदिया ने हनुमान मंदिर में पार्टी के नेताओं के साथ दर्शन किया और राजघाट भी पहुंचे. इसके बाद दोपहर पार्टी मुख्यालय में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और संजय सिंह को जेल में डालने की साजिश रची. भाजपा को लगा कि आप नेताओं को जेल में डालकर पार्टी को खत्म कर देंगे. लेकिन पार्टी के नेता जेल जाने के बाद दोगुनी ऊर्जा के साथ बाहर आकर काम कर रहे हैं. अब भाजपा सोच रही है कि आप नेताओं को जेल में डालने के बाद भी ये कमजोर नहीं होते हैं और मजबूत होकर बाहर आते हैं. ऐसे में अब भाजपा को आप नेताओं से डर लगने लगा है. देश के किसान, खिलाड़ी, व्यापारी इस तानाशाही से परेशान हैं और सभी को मिलकर इसके खिलाफ लड़ाई लड़नी होगी.
अरविंद केजरीवाल भी जल्द होंगे रिहा
सिसोदिया ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि अरविंद केजरीवाल देश में ईमानदारी के प्रतीक है. उन्होंने दिल्ली में विकास का एक नया मॉडल पेश किया. शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य क्षेत्रों में केजरीवाल सरकार जैसा काम आज तक कोई सरकार नहीं कर सकती. भाजपा केंद्र और कई राज्यों में सत्ता है, लेकिन पार्टी ने ऐसा कोई काम नहीं किया, जिसे जनता के सामने पेश कर सके. ऐसे में केजरीवाल की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए जेल भेजने की साजिश रची गयी. ताकि केजरीवाल की छवि को धूमिल किया जा सके. लेकिन जनता की नजर में केजरीवाल की छवि को धूमिल करने की हर कोशिश नाकाम हो रही है और वे भी जल्द जेल से बाहर आयेंगे.
सिसोदिया के लिए आगे की राह नहीं है आसान
शराब घोटाले में भले ही मनीष सिसोदिया को जमानत मिल गयी है, लेकिन आगे की राह आसान नहीं है. इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई आरोप पत्र दाखिल कर चुकी है और अदालत आरोपपत्र पर संज्ञान ले चुका है. इस मामले में ट्रायल शुरू होने में देरी के आधार पर सिसोदिया को जमानत मिली है, लेकिन इस महीने के अंत तक ट्रायल शुरू होने की पूरी संभावना है. इस मामले में अदालत में रोजाना सुनवाई की बात कही जा रही है. ऐसे में अगर रोजाना सुनवाई की प्रक्रिया शुरू होती है तो 6 महीने के अंदर अदालत फैसला सुना सकता है. जांच एजेंसी का दावा है कि इस मामले में सिसोदिया और अन्य नेताओं के खिलाफ पुख्ता सबूत हैं. ऐसे में आने वाले समय में सिसोदिया को अपना पक्ष रखने के लिए अदालत के चक्कर लगाने होंगे. यही नहीं सरकार में भी सिसोदिया की वापसी की राह में अड़चन है. मुख्यमंत्री खुद जेल के अंदर है, ऐसे में वे किसी नये मंत्री के नियुक्ति की सिफारिश नहीं कर सकते हैं. साथ ही दिल्ली में 6 महीने बाद विधानसभा का चुनाव होना है. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन के बावजूद पार्टी दिल्ली में एक भी सीट जीतने में कामयाब नहीं हो सकी. ऐसे में पार्टी में सिसोदिया की भूमिका को लेकर मंथन का दौर जारी है.