कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने बुधवार को आरोप लगाया कि नये संसद भवन के उद्घाटन के दिन सांसदों को दी गई संविधान की प्रति में प्रस्तावना से ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘समाजवादी’ शब्द गायब थे. अधीर रंजन चौधरी के आरोपों पर कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि प्रति में संविधान की प्रस्तावना का मूल संस्करण था और ये शब्द बाद में संवैधानिक संशोधनों के बाद इसमें जोड़े गए थे. उन्होंने कहा, यह मूल प्रस्तावना के अनुसार है. संशोधन बाद में किए गए. गौरतलब है कि अभी संसद का विशेष सत्र चल रहा है.
#WATCH | Leader of Congress in Lok Sabha, Adhir Ranjan Chowdhury says, "The new copies of the Constitution that were given to us today (19th September), the one we held in our hands and entered (the new Parliament building), its Preamble doesn't have the words 'socialist… pic.twitter.com/NhvBLp7Ufi
— ANI (@ANI) September 20, 2023
हालांकि इस मामले को गंभीर करार देते हुए कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि शब्दों को बड़ी ही चालाकी से हटा दिया गया है. उन्होंने बीजेपी की केंद्र सरकार की मंशा पर संदेह व्यक्त किया है. अधीर रंजन चौधरी ने संवाददाताओं से कहा, संविधान की प्रस्तावना की जो प्रति हम नये भवन में ले गए, उसमें धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी शब्द शामिल नहीं हैं. उन्हें चतुराई से हटा दिया गया है… यह एक गंभीर मामला है और हम इस मुद्दे को उठाएंगे. कांग्रेस नेता ने कहा कि उन्हें यह पता है कि ये शब्द बाद में 1976 में संविधान में जोड़े गए थे. उन्होंने कहा, मेरे लिए यह एक गंभीर मुद्दा है. मुझे उनकी मंशा पर संदेह है, क्योंकि इस पर उनका दिल साफ नहीं लगता. लोकसभा में सदन के कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि अगर कोई आज संविधान की प्रति देता है, तो वह आज का संस्करण होना चाहिए. माकपा के नेता विनय विश्वम ने शब्दों को कथित तौर पर हटाए जाने को ‘अपराध’ करार दिया.
गौरतलब है कि 19 सितंबर को सांसदों के ग्रुप फोटो सेशन के बाद सभी सांसद पुरानी संसद से नई संसद की ओर चले गए. उस वक्त सांसदों को संविधान की प्रति दी गई थी. संविधान की उस प्रति के प्रस्तावना में समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्द गायब थे, इस विपक्षी गठबंधन ने बीजेपी और मोदी सरकार पर हमला बोला. हालांकि कानून मंत्री ने यह सफाई दी कि यह मूल संविधान की प्रति थी और सरकार का कोई गलत इरादा नहीं था.