Aditya L1 Updates: भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के सौर मिशन आदित्य एल1 के बारे में सभी जानना चाहते हैं. इस बीच इसरो की ओर से ताजा जानकारी शेयर की गई है. बताया गया है कि आदित्य एल1 ने एक सेल्फी ली है. इस सेल्फी में आदित्य एल1 के कई उपकरण नजर आ रहे हैं. इसरो ने सोशल मीडिया पर इसे शेयर किया है. यह सेल्फी आदित्य एल1 में लगे कैमरे में कैद हुई है.
Aditya-L1 Mission:
👀Onlooker!Aditya-L1,
destined for the Sun-Earth L1 point,
takes a selfie and
images of the Earth and the Moon.#AdityaL1 pic.twitter.com/54KxrfYSwy— ISRO (@isro) September 7, 2023
आपको बता दें कि आदित्य एल1 को दो सितंबर को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया था. 128 दिन की अंतरिक्ष की यात्रा पूरी करने के बाद आदित्य एल1 को पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर लैग्रेंजियन पॉइंट के हेलो ऑर्बिट में स्थापित करने का काम किया जाएगा. आदित्य एल1 पर लगे पेलोड सूरज की रोशनी, प्लाज्मा और चुंबकीय क्षेत्र की स्टडी करेंगे.
आदित्य एल-1 की पृथ्वी की कक्षा से संबंधित दूसरी प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी
इससे पहले देश के पहले सूर्य मिशन ‘आदित्य एल1’ की पृथ्वी की कक्षा से संबंधित दूसरी प्रक्रिया गत मंगलवार तड़के सफलतापूर्वक पूरी कर ली गई. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने यह जानकारी दी थी. इसरो के मुताबिक, कक्षा संबंधी दूसरी प्रक्रिया को बेंगलुरु स्थित इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क (आईएसटीआरएसी) से अंजाम दिया गया. अंतरिक्ष एजेंसी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर जानकारी शेयर करते हुए लिखा कि पृथ्वी की कक्षा से संबंधित दूसरी प्रक्रिया (ईबीएन#2) आईएसटीआरएसी, बेंगलुरु से सफलतापूर्वक निष्पादित की गई. मॉरीशस, बेंगलुरु और पोर्ट ब्लेयर में आईएसटीआरएसी/इसरो के केंद्रों ने इस अभियान के दौरान उपग्रह की निगरानी की. प्राप्त की गई नयी कक्षा 282 किलोमीटर x 40225 किलोमीटर है.
इसरो ने बताया कि ‘आदित्य एल1’ की पृथ्वी की कक्षा से संबंधित तीसरी प्रक्रिया 10 सितंबर, 2023 को भारतीय समयानुसार देर रात लगभग ढाई बजे निर्धारित है. ‘आदित्य एल1’ पहली भारतीय अंतरिक्ष आधारित वेधशाला है, जो पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर स्थित पहले सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु (एल-1) में रहकर सूरज के बाहरी वातावरण का अध्ययन करेगी.
जलवायु परिवर्तन से निपटने की योजना में भारत कर सकता है मदद
इसरो के पूर्व अध्यक्ष जी माधवन नायर कह चुके हैं कि भारत के पहले सूर्य मिशन ‘आदित्य-एल1’ के सफल प्रक्षेपण के साथ देश कुछ पूर्वानुमान मॉडल विकसित कर सकता है और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए एक योजना तैयार कर सकता है. श्रीहरिकोटा से आदित्य उपग्रह को ले जाने वाले पीएसएलवी-सी57 की सफल उड़ान के बाद नायर ने कहा था कि विभिन्न घटनाओं को समझने के लिए सौर सतह का अध्ययन करना बहुत महत्वपूर्ण है जो ‘‘हमारी स्थानीय मौसम स्थितियों को तुरंत प्रभावित करती हैं.