नयी दिल्ली: नगालैंड में 4-5 दिसंबर को हुई सेना की गोलीबारी में 14 आम लोगों की मौत के बाद बढ़े तनाव को कम करने के उद्देश्य से केंद्र ने दशकों से नगालैंड में लागू विवादास्पद सशस्त्र बल विशेष अधिकार कानून (आफस्पा) को हटाने की संभावना पर गौर करने के लिए एक उच्चस्तरीय समिति गठित की है. अधिकारियों ने यह जानकारी दी है.
भारत के रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त विवेक जोशी पांच सदस्यीय समिति का नेतृत्व करेंगे, जबकि केंद्रीय गृह मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव पीयूष गोयल समिति के सदस्य सचिव होंगे. एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि समिति के अन्य सदस्य नगालैंड के मुख्य सचिव और डीजीपी और असम राइफल्स के डीजीपी हैं.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नगालैंड और असम के मुख्यमंत्रियों नेफियू रियो और हिमंत बिस्वा सरमा के साथ बैठक करने के तीन दिन बाद समिति का गठन किया गया है. नयी दिल्ली में 23 दिसंबर को हुई बैठक में नगालैंड के उपमुख्यमंत्री वाई पैटन और नगालैंड के पूर्व मुख्यमंत्री टीआर जेलियांग भी शामिल थे.
समिति 45 दिन में अपनी रिपोर्ट पेश करेगी. समिति नगालैंड में आफस्पा को हटाने की संभावना पर गौर करेगी, जहां यह कानून दशकों से लागू है. समिति की सिफारिशों के आधार पर निर्णय लिया जायेगा.
अधिकारियों ने बताया कि दिसंबर की शुरुआत में नगालैंड के मोन जिले के ओटिंग स्थित तिरु में उग्रवाद विरोधी अभियान में सीधे तौर पर शामिल रहे सैन्यकर्मियों के खिलाफ भी निष्पक्ष जांच के बाद अनुशासनात्मक कार्रवाई किये जाने की संभावना है. जांच लंबित रहने तक सेना के जवानों को निलंबित किया जा सकता है.
सेना की एक टुकड़ी द्वारा मोन जिले में की गयी गोलीबारी में 14 लोगों की मौत के बाद आफस्पा को वापस लेने के लिए नगालैंड के कई जिलों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. एक अधिकारी ने बताया कि उच्चस्तरीय समिति के गठन का फैसला 23 दिसंबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिया गया.
इससे पहले, नगालैंड के मुख्यमंत्री ने रविवार को ट्वीट किया, ‘केंद्रीय गृह मंत्री की अध्यक्षता में 23 दिसंबर को नयी दिल्ली में बैठक हुई. मामले को गंभीरता से लेने के लिए अमित शाह जी का आभारी हूं. राज्य सरकार सभी वर्गों से शांतिपूर्ण माहौल बनाये रखने की अपील करती है.’
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि मोन जिले की घटना में सीधे तौर पर शामिल सैन्य इकाई और कर्मियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही, संभवत: ‘कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी’ शुरू की जायेगी और निष्पक्ष जांच के आधार पर तत्काल कार्रवाई की जायेगी.
नगालैंड सरकार घटना में मारे गये 14 लोगों के परिजनों को सरकारी नौकरी देगी. केंद्रीय गृह मंत्री ने नगालैंड में सुरक्षा बलों की गोलीबारी में 14 लोगों की मौत की घटना पर खेद प्रकट करते हुए छह दिसंबर को संसद को बताया था कि इसकी विस्तृत जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है, जिसे एक महीने के अंदर जांच पूरी करने को कहा गया है.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने घटना का ब्योरा देते हुए कहा था कि 4 दिसंबर को नगालैंड के मोन जिले में भारतीय सेना को उग्रवादियों की आवाजाही की सूचना मिली और उसके 21 पैरा कमांडो के दल ने इंतजार किया.
उन्होंने कहा कि शाम को एक वाहन उस स्थान पर पहुंचा और सशस्त्र बलों ने उसे रुकने का संकेत दिया, लेकिन वह नहीं रुका और आगे निकलने लगा. श्री शाह ने कहा कि इस वाहन में उग्रवादियों के होने के संदेह में इस पर गोलियां चलायी गयीं. श्री शाह ने कहा था कि बाद में इसे गलत पहचान का मामला पाया गया.
Posted By: Mithilesh Jha