नयी दिल्ली : भारतीय सेना से सेवानिवृत्त होने के चार साल बाद दो ब्रिगेडियर को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मेजर जनरल के पद पर पदोन्नत किया गया है. बताया जाता है कि दोनों अधिकारियों को सेवानिवृत्ति से दो साल पहले मेजर जनरल के पद पर पदोन्नत किया जाना था, लेकिन उन्हें लाभ नहीं दिया गया.
अधिकारियों के अधिवक्ता सेवानिवृत्त कर्नल इंद्रसेन सिंह के मुताबिक, अपने-अपने बैच के एकमात्र अधिकारी होने का कारण बताते हुए दोनों अधिकारियों को सेवानिवृत्ति से दो साल पहले पदोन्नत नहीं किया गया था. बेहतर प्रोफाइल होने और कोई निगेटिव रिपोर्ट नहीं होने के बावजूद उन्हें लाभ नहीं दिया गया था.
जानकारी के मुताबिक, ये दोनों अधिकारी कोर ऑफ इंटेलिजेन्स के ब्रिगेडियर नलिन भाटिया और एजुकेशन कोर्प्स के ब्रिगेडियर वीएन चतुर्वेदी हैं. दोनों अधिकारियों को साल 2015 में ही मेजर जनरल के पद पर पदोन्नत किया जाना था. मालूम हो कि दोनों अधिकारी साल 2017 में सेवानिवृत्त हो गये.
इसके बाद दोनों अधिकारियों ने सशस्त्र बल न्यायाधिकरण में न्याय की गुहार लगायी. यहां अधिकारियों की दलीलों को खारिज कर दिये जाने के बाद वे सुप्रीम कोर्ट पहुंचे. सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों की अपील को स्वीकार करते हुए सुनवाई शुरू की.
अधिकारियों के अधिवक्ता ने कहा है कि आरोप लगाया है कि तत्कालीन सेना प्रमुख के खास माने जाने के कारण दोनों अधिकारियों को पदोन्नति नहीं दी गयी. कोर ऑफ इंटेलिजेंस के कई अधिकारियों ने भी पूर्व में आरोप लगाये हैं कि पूर्व सेना प्रमुख के करीबी होने के कारण उन्हें भी सजा मिली है.
अधिवक्ता के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद दोनों अधिकारियों को लाभ नहीं दिया गया. इसके बाद उन्हें अवमानना याचिका दाखिल करनी पड़ी. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट से नोटिस जारी किये जाने के बाद अधिकारियों को मेजर जनरल के पद पर पदोन्नत करने का आदेश जारी किया गया.