चेन्नई : कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन के कारण बहुत सारे गरीबों और जरूरतमंदों को खाने को लेकर परेशानी हो रही है. सरकार द्वारा गरीबों की जरूरत की कई योजनाएं शुरू हो गई हैं. अब खबर आ रही है कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी ने कहा है कि सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक की अम्मा कैंटीन चेन्नई और तीन अन्य पड़ोसी जिलों में शुक्रवार से 12 दिन के लिए जरूरतमंद लोगों को निशुल्क भोजन उपलब्ध करायेगी.
इन स्थानों पर कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के वास्ते लॉकडाउन के तहत लगाये गये प्रतिबंधों को कड़ा कर दिया गया है. उन्होंने बृहस्पतिवार को एक बयान में कहा कि विभिन्न सामुदायिक रसोई से भी भोजन उपलब्ध कराया जायेगा और वृद्ध लोगों के लिए उनके घरों तक भोजन पहुंचाया जाएगा.
अम्मा कैंटीन लॉकडाउन के दौरान 19 जून से 30 जून तक मेट्रोपॉलिटन चेन्नई पुलिस की सीमा के अंदर लोगों को मुफ्त खाना देगी: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के. पलानीस्वामी pic.twitter.com/pj7whS7VLe
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 18, 2020
पलानीस्वामी ने सोमवार को घोषणा की थी कि चेन्नई, तिरुवल्लुर, कांचीपुरम और चेंगलपेट जिलों में और शहर पुलिस क्षेत्राधिकार के तहत आने वाले क्षेत्रों में 19 जून से 30 जून तक दी गई कुछ रियायतों को वापस लिया जायेगा। इन चार जिलों में कोरोना वायरस के सबसे अधिक मामले सामने आये है जहां अब तक 50 हजार से अधिक संक्रमण के मामले आ चुके हैं.
इधर निर्मला सीतारमण ने कहा कि लॉकडाउन और उसके बाद अपने-अपने जिलों में वापस लौट चुके प्रवासी मजदूरों की सहायता के लिए सरकार मिशन मोड में काम कर रही है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगामी 20 जून को प्रवासी मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए गरीब कल्याण रोजगार अभियान की शुरुआत करेंगे.
वित्त मंत्री ने कहा कि हमने यह अनुमान लगाया है कि देश के छह राज्यों के 116 जिलों में बड़े पैमाने पर प्रवासी मजदूर वापस लौटे हैं. इनमें बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, ओडिशा और राजस्थान शामिल हैं. उन्होंने यह भी साफ कर दिया है कि इन छह राज्यों के 116 जिलों के प्रवासी मजदूरों को साल में 125 दिनों का रोजगार मिलेगा. उन्होंने कहा कि सरकार ने जिन राज्यों के जिलों को चिह्नित किया है, उन प्रत्येक जिलों में करीब 25,000 प्रवासी मजदूरों को रोजगार दिया जाएगा.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोजगार योजना की पहली प्राथमिकता अपने-अपने जिलों में वापस लौट चुके प्रवासी मजदूरों की जरूरत को तत्काल पूरा करने के लिए जल्द से जल्द आजीविका मुहैया कराना है.