नयी दिल्ली : दुनियाभर के मेडिकल प्रोफेशनल कोरोना का इलाज तलाश रहे हैं लेकिन अभी तक इसका इलाज नहीं मिला है. मगर कुछ शोध से पता चला है कि मलेरिया रोधी दवा हाइड्रोक्सिक्लोक्विन को इसके इलाज में इस्तेमाल किया जा सकता है जिसके बाद इस दवा की मांग बढ़ गई है. हालांकि दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया का कहना है कि इससे हर किसी का इलाज नहीं किया जा सकता. हर दवा की तरह इसके भी कुछ दुष्प्रभाव हैं
गुलेरिया ने बताया है कि कुछ लैब के आंकड़ें बताते है की हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का कोरोना वायरस में कुछ प्रभाव हो सकता है. लेकिन आंकड़े इतने मजबूत नहीं हैं.ICMR के विशेषज्ञों ने महसूस किया कि यह COVID-19 रोगियों के संपर्क में आने वाले और मरीजों की देखभाल करने वाले स्वास्थ्य कर्मीयों के लिए सहायक हो सकता है.
Studies in China & France say that combination of HCQ & Azithromycin may be helpful if given to #COVID19 patients with moderate to severe illness. The data from the studies are not strong. Since, no other treatment is available, it was felt that it should be used: Randeep Guleria pic.twitter.com/jSQS0U2TH3
— ANI (@ANI) April 12, 2020
उन्होंने बताया की हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वी हर किसी के लिए एक इलाज नहीं है.इससे दिल की बीमारी हो सकती है और दिल की धड़कन बढ़ सकती है.किसी भी अन्य दवा की तरह, इसके दुष्प्रभाव भी हैं.यह आम जनता को फायदा पहुंचाने के बजाय नुकसान ज्यादा कर सकती है.
इसके साथ ही उन्होंने बताया कि चीन और फ्रांस के अध्ययनों में कहा गया है कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और एजिथ्रोमाइसिन का संयोजन गंभीर से मॉडरेट (कम बीमार) कोविड-19 मरीजों के लिए लाभकारी हो सकता है. इस अध्ययन का डाटा इतना पक्का नहीं है. चूंकि, कोई अन्य उपचार उपलब्ध नहीं है, इसलिए यह महसूस किया गया कि इसका उपयोग किया जाना चाहिए
उन्होंने बताया की हमें यह पता लगाने की आवश्यकता है कि एचसीक्यू और एज़िथ्रोमाइसिन के संयोजन का उपयोग करने वाला इलाज कोविड-19 मामलों में प्रभावी है या नहीं. वहीं उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के मामलों में अधिक डेटा एकत्र किया जा रहा है.