महाराष्ट्र में उठी सियासी तूफान ने विपक्षी एकता को हिला कर छोड़ दिया है. अजित पवार ने एनसीपी से बगावत और एनडीए में शामिल होकर विपक्षी एकता के खेल को बिगाड़कर छोड़ दिया है. एक ओर जहां देश की सभी विपक्षी पार्टियां एक मंच पर जुटने की कोशिश में लगी हैं, दूसरी ओर महागठबंधन की अहम कड़ी माने जाने वाले शरद पवार की पार्टी में ही फूट पड़ गयी है. उनके भतीजे अजित पवार पार्टी से बगावत कर एकनाथ शिंदे सरकार में डिप्टी सीएम बन गये हैं.
अजित पवार ने एनसीपी पर डोका दावा
महाराष्ट्र की सरकार में डिप्टी सीएम बनने के साथ ही अजित पवार ने एनसीपी पर अपना दावा ठोक दिया है. उन्होंने दावा किया है कि उनके समर्थन में 40 से अधिक विधायक हैं. उन्होंने खुद को असली एनसीपी बताया है. उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा, हमने पार्टी के साथ महाराष्ट्र सरकार का समर्थन किया है. उन्होंने यह भी दावा किया कि आगामी चुनाव एनसीपी के नाम पर ही लड़ेंगे.
कांग्रेस को समर्थन करना शरद पवार को पड़ा भारी
अजित पवार के एनडीए में शामिल होने के पीछे सबसे बड़ी वजह शरद पवार का कांग्रेस को समर्थन करना बताया जा रहा है. चर्चा है कि शरद पवार के इस कदम से अजित पवार और एनसीपी के अन्य नेता नाराज थे. चर्चा ये भी है कि एनसीपी के अधिकतर नेता यह नहीं चाहते थे कि राहुल गांधी को विपक्षी दलों की ओर से पीएम पद का उम्मीदवार बनाया जाए. इसके साथ ही एनसीपी के कई नेता पहले से ही बिजेपी और एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल होना चाहते थे, लेकिन इसके लिए शरद पवार की हरी झंडी मिलना जरूरी था.
महाराष्ट्र में विपक्ष को झटका
अजित पवार के एनडीए में जाने से एनसीपी में टूट की संभावना बढ़ गयी है. अजित पवार ने पार्टी पर दावा ठोक दिया है, तो शरद पवार ने कहा कि वह पार्टी को फिर से मजबूत करेंगे. ऐसे बगावत वो पहले भी देख चूके हैं. शरद पवार भले ही पार्टी को फिर से खड़ा करने की बात कर रहे हैं, लेकिन भतीजे अजित पवार ने उन्हें इस बार ऐसा झटका दिया है, जिससे उन्हें उबरने में काफी समय लगेगा. इस सियासी तूफान से महाराष्ट्र में विपक्ष को तगड़ा झटका लगा है. महाराष्ट्र में लोकसभा की कुल 48 सीटें हैं. अगर विपक्ष से एनसीपी बाहर निकल जाती है, तो बिजेपी के लिए बड़ी राहत की खबर होगी. दूसरी ओर से विपक्षी एकता को बड़ा झटका लगेगा.