Akshaya Tritiya 2020, Marriage Muhurat, Vrat Vidhi: अक्षय तृतीया की तिथि को लेकर बताया जाता है कि इस दिन को स्वयं सिद्ध मुहूर्त(Shubh Muhurat) के रूप में जाना जाता है. इस तिथि को बिना किसी पंचांग को देखे भी कोई भी शुभ मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, घर, भूखंड या वाहन आदि की खरीदारी से सम्बंधित कार्य किए जा सकते हैं. धर्मराज को इस तिथि का महत्व समझाते हुए माता पार्वती कहती हैं कि कोई भी स्त्री, जो किसी भी तरह का सुख चाहती है उसे यह व्रत करते हुए नमक का पूरी तरह से त्याग करना चाहिए. स्वयं में भी यही व्रत करके मैं भगवान शिव (Lord Shiva) के साथ आनंदित रहती हूँ.
अक्षय तृतीया का प्रारंभ 26 अप्रैल को दोपहर 01:22 बजे से हो रहा है, जो 27 अप्रैल को दोपहर 02:29 बजे तक है. अक्षय तृतीया पर विवाह का शुभ मुहूर्त 26 अप्रैल को दिन में 03 बजकर 14 मिनट से शुरु हो रहा है एवं रात्री में 10 बजकर 02 बजे से शुरु हो रहा है.
इस दिन विवाह योग्य कन्याओं को उत्तम वर की प्राप्ति के लिए इस व्रत को रखना चाहिए. जिनको संतान नहीं हो रही हो वे स्त्रियां भी इस व्रत करके संतान सुख प्राप्त कर सकती है.। स्वर्ग के राजा इंद्र की पत्नी देवी इंद्राणी इसी व्रत के पुण्य प्रताप से जयंत नामक पुत्र की माँ बनी. देवी अरुंधति ने यही व्रत करके अपने पति महर्षि वशिष्ठ के साथ आकाश में सबसे ऊपर का स्थान प्राप्त किया. प्रजापति दक्ष की पुत्री रोहिणी इसी व्रत के कारण अपने पति चंद्र की सबसे प्रिय रानी रहीं.
इस तिथि पर किए गए दान और उसके फल का नाश नहीं होता. इस दिन खासतौर पर जौ, गेहूं, चने, सत्तू, दही-चावल, गन्ने का रस, दूध के बनी चीजें जैसे मावा, मिठाई आदि, सोना और जल से भरा कलश, अनाज, सभी तरह के रस और गर्मी के मौसम में उपयोगी सारी चीजों का दान करना चाहिए. अक्षय तृतीया पर पितरों का श्राद्ध और ब्राह्मण भोजन कराने की भी परंपरा है.
हिन्दू धर्म में अक्षय तृतीया तिथि का मांगलिक कार्यों के लिए विशेष महत्व है. अक्षय तृतीया के दिन स्वर्ण आभूषण की खरीद करना शुभ माना जाता है, इससे धन संपत्ति में अक्षय वृद्धि होती है.