नई दिल्ली : भारत से बरसों पहले चुराकर बेची गईं प्राचीन मूर्तियों को लौटाने के लिए अमेरिका राजी हो गया है. इस सिलसिले में वह सबसे पहले 15 मूर्तियों को लौटा दिया है. केंद्रीय संस्कृति सचिव गोविंद मोहन ने रविवार को हम्पी में जी-20 संस्कृति कार्य समूह की तीसरी बैठक के बाद कहा कि न्यूयॉर्क के मेट्रोपॉलिटन म्यूजियम द्वारा लौटाए गए 15 पुरावशेष तीन से चार महीने में भारत पहुंचने की उम्मीद है.
सचिव गोविंद मोहन ने कहा कि ये उन 150 पुरावशेषों में से होंगे, जो 3 से 6 महीनों में अमेरिका से भारत भेजे जाएंगे. मेट द्वारा लौटाए गए 15 वस्तुओं के अलावा बाकी की दूसरी चीजें वे हैं, जिन्हें अमेरिकी अधिकारियों ने जब्त कर रखा था.
मार्च में इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इंवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (आईसीआईजे) और यूके स्थित फाइनेंस अनकवर्ड के सहयोग से की गई एक जांच के अनुसार, मेट में एक खजाने का पता एंटीक डीलर सुभाष कपूर से लगाया गया था. मेट की ओर से जारी किए गए बयान के अनुसार, जब ये पता चला कि ये कलाकृतियां भारत से चुराई गई थीं, जिन्हें भारत में जेल की सजा काट रहे डीलर सुभाष कपूर ने चुराकर बेच दी थी. इन तथ्यों को उजागर होने के बाद अमेरिका ने भारतीय मूर्तियों को लौटाने का फैसला किया.
अमेरिका की ओर से लौटाई जाने वाली मूर्तियों में सेलेस्टियल डांसर, पश्चिम बंगाल से पहली शताब्दी ईसा पूर्व यक्षी टेराकोटा, शिकार से लौटते हुए भगवान रेवंता की एक कांस्य मूर्ति (10वीं शताब्दी ईसा पूर्व) और 15वीं सदी का परिकर (बैकप्लेट) शामिल है.
भारत और अमेरिका के बीच हुए समझौते के अनुसार, अपनी सीमाओं से तस्करी को रोकने के लिए अमेरिका सख्त कदम उठाएगा. सचिव गोविंद मोहन ने कहा कि अमेरिका की ओर से यह कदम उठाए जाने के बाद दुनिया के दूसरे देश भी उसके नक्शेकदम पर चलेंगे.