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चंद्रबाबू नायडू की बेल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची आंध्र प्रदेश सरकार, घोटाले का है आरोप

सरकार ने कहा कि हाईकोर्ट ने 39 पन्नों के अपने फैसले में न केवल एक छोटी सुनवाई की, बल्कि पूरी तरह से गलती की, जिससे ऐसे निष्कर्ष निकले हैं, जो रिकॉर्ड के पूरी तरह से विपरीत हैं. आंध्र सरकार ने कहा कि जमानत आदेशों में साक्ष्यों के विस्तृत विवरण की प्रथा की इस अदालत द्वारा बार-बार आलोचना की गई है.

नई दिल्ली : आंध्र प्रदेश सरकार ने कौशल विकास निगम घोटाला मामले में तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू को नियमित जमानत देने के हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. हाईकोर्ट के फैसले को रद्द करने का निर्देश देने का अनुरोध करते हुए राज्य सरकार ने कहा कि आरोपी (नायडू) एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं और उनके दो प्रमुख सहयोगी (एक सरकारी कर्मचारी सहित) पहले ही देश छोड़कर भाग चुके हैं. याचिका में कहा गया है कि आरोपी स्पष्ट रूप से जांच में बाधा डाल रहा है, इसलिए उसे जमानत नहीं दी जानी चाहिए.

आंध्र प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले पर उठाया सवाल

आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने 20 नवंबर को नायडू को जमानत देते हुए कहा था कि जमानत देने के विवेक का प्रयोग मानवीय और दयालु तरीके से किया जाना चाहिए. राज्य सरकार ने अपनी अपील में कहा कि हाईकोर्ट ने 39 पन्नों के अपने फैसले में न केवल एक छोटी सुनवाई की, बल्कि पूरी तरह से गलती की, जिससे ऐसे निष्कर्ष निकले हैं, जो रिकॉर्ड के पूरी तरह से विपरीत हैं.

सरकार ने अदालती कार्रवाई प्रभावित होने की जताई आशंका

अधिवक्ता महफूज अहसन नाजकी की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि आंध्र प्रदेश के अमरावती में आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट की ओर से 20 नवंबर को सुनाए गए फैसले के खिलाफ वर्तमान विशेष अनुमति याचिका दायर करने के लिए बाध्य है. याचिका में कहा गया कि हाईकोर्ट ने जमानत के एक मामले में तथ्यों पर गहराई से गौर किया और ऐसे निष्कर्ष दिए हैं, जो न केवल तथ्यात्मक रूप से गलत हैं, बल्कि मुकदमे के दौरान निचली अदालत पर प्रतिकूल प्रभाव डालने की भी संभावना है.

हाईकोर्ट ने बेल पीटिशन पर छोटी सुनवाई की

सर्वोच्च अदालत के विभिन्न फैसलों का जिक्र करते हुए आंध्र सरकार ने कहा कि जमानत आदेशों में साक्ष्यों के विस्तृत विवरण की प्रथा की इस अदालत द्वारा बार-बार आलोचना की गई है. याचिका में कहा गया है कि निष्कर्षों को देखने से पता चलता है कि हाईकोर्ट ने छोटी सुनवाई करके और गुण-दोष के आधार पर निष्कर्ष देकर अपने अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन किया है.

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29 नवंबर से चंद्रबाबू नायडू को जमानत शर्तों में मिलेगी ढील

हाईकोर्ट ने इस मामले में नायडू की चार सप्ताह की अंतरिम चिकित्सा जमानत को नियमित जमानत में बदल दिया था और पूर्व मुख्यमंत्री को उनकी उम्र, विभिन्न बीमारियों, भागने का जोखिम नहीं होने और अन्य कारणों पर विचार करते हुए नियमित जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था. हाईकोर्ट ने कहा था कि कौशल विकास निगम घोटाला मामले से संबंधित कोई भी सार्वजनिक टिप्पणी करने या सार्वजनिक रैलियों तथा बैठकों का आयोजन करने या उनमें भाग लेने से परहेज करने जैसी अंतरिम जमानत की शर्तें 28 नवंबर तक लागू रहेंगी और 29 नवंबर से इसमें ढील दी जाएंगी. इसके अलावा, अदालत ने नायडू को अपनी चिकित्सा रिपोर्ट राजामहेंद्रवरम केंद्रीय जेल के अधीक्षक को सौंपने के बजाय 28 नवंबर या उससे पहले विजयवाड़ा में विशेष अदालत में पेश करने का निर्देश दिया.

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