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सब्जियों की महंगाई के लिए असम सीएम हिमंत सरमा ने इस खास समुदाय को ठहराया जिम्मेदार

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा का कहना है कि ग्रामीण इलाकों में सब्जियों की दर कम है. लेकिन शहर में आते-आते ये दरें बढ़ जाती है. सरमा ने दावा किया है कि सभी विक्रेता कीमतें बढ़ा रहे हैं, जिनमें ज्यादातर एक खास समुदाय के लोग शामिल है.

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने शुक्रवार को एक विवादित बयान दिया है. उन्होंने राज्य में सब्जियों की बढ़ती कीमतों के लिए राज्य के एक खास समुदाय को जिम्मेदार ठहराया है. उनका कहना है कि ग्रामीण इलाकों में सब्जियों की दर कम है. लेकिन शहर में आते-आते ये दरें बढ़ जाती है. सरमा ने दावा किया है कि सभी विक्रेता कीमतें बढ़ा रहे हैं, जिनमें ज्यादातर ये समुदाय के लोग शामिल है.

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस बयान की निंदा की

सरमा का कहना है कि, एक विशेष समुदाय के लोग असमिया लोगों से ऊंची कीमतें ले रहे हैं. गुवाहाटी में इस समुदाय को लोगों ने स्थानीय सब्जी बाजारों पर नियंत्रण कर लिया है. अगर कोई असमिया युवक सब्जियां बेच रहा होता, तो वह अन्य असमिया साथी नागरिकों से बढ़ी हुई कीमतें नहीं ले सकता.’ सरमा के इस विवादित बयान से एक बार फिर सियासी माहौल गर्म हो गया है. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव नें सरमा के इस बयान की निंदा की है. उन्होंने कहा कि, भाजपा के एक मुख्यमंत्री का सब्जियों की महंगाई के लिए एक समुदाय विशेष को जिम्मेदार ठहराना बेहद संकीर्ण सोच का निंदनीय प्रदर्शन है. भाजपाई सरकार अपनी कमियों को छिपाने के लिए दूसरों में दोष ढूंढ लेती है.

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असम सरकार पहले ही दे चुकी है समर्थन

असम सरकार ने समान नागरिक संहिता (UCC) पर पहले ही अपना समर्थन दे दिया है. राज्य के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा नें कहा है कि उनकी सरकार (यूसीसी) पर निर्णय लंबित होने तक, इसके एक हिस्से बहुविवाह पर तुरंत बैन लगाना चाहती हैं. सरमा ने कहा कि असम सरकार ने मई में ही चार सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया कि क्या राज्य के कानून के माध्यम से राज्य में बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है. गुवाहाटी उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश रूमी फुकन की अध्यक्षता वाली समिति को अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए 60 दिन का समय दिया गया है.

संसद द्वारा किया जाएगा यूसीसी का फैसला

सीएम सरमा ने कहा कि “अगर राज्य विशेषज्ञ समिति यूसीसी पर निर्णय से पहले अपनी रिपोर्ट देती है, तो हम सितंबर में विधानसभा सत्र में राज्य में बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने के लिए अपना विधेयक पेश करना चाहते हैं.” अगर किसी कारण से हम इसे सितंबर में नहीं कर सकते, तो हम इसे जनवरी सत्र में करेंगे.” उन्होंने बताया कि अगर इस बीच यूसीसी लागू किया जाता है, तो हमें यह कार्रवाई करने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि बहुविवाह पर प्रतिबंध रहेगा. सरमा ने कहा कि यूसीसी का फैसला संसद द्वारा किया जाएगा. लेकिन राज्य राष्ट्रपति की मंजूरी के साथ फैसला ले सकता है. “यूसीसी में विभिन्न मुद्दे शामिल हैं और विधि आयोग के साथ-साथ संसदीय समिति भी इसे देख रही है. असम सरकार पहले ही प्रस्ताव को अपना समर्थन दे चुकी है ”

सरमा ने यूसीसी के विरोध को किया दरकिनार

सीएम ने यूसीसी के विरोध को दरकिनार करते हुए कहा ”समस्या यह है कि कांग्रेस नेताओं को मुस्लिम महिलाओं के दर्द का एहसास नहीं है. वे उनका वोट तो ले लेते हैं लेकिन उन्हें कुछ भी वापस नहीं देना चाहते.” साथ ही, उन्होंने मुस्लिम पुरुष आवाज के प्रतिनिधि के रूप में यूसीसी पर एआईयूडीएफ प्रमुख बदरुद्दीन अजमल की आपत्ति को भी खारिज कर दिया. यूसीसी विवाह, तलाक और विरासत पर कानूनों के एक सामान्य सेट को संदर्भित करता है जो धर्म, जनजाति या अन्य स्थानीय रीति-रिवाजों के बावजूद सभी भारतीय नागरिकों पर लागू होगा.

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