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आयुष्मान भारत योजना : फर्जी इलाज के आरोप में इंदौर का प्राइवेट अस्पताल स्कीम से बाहर

आयुष्मान योजना में किए गए एमओयू (समझौता ज्ञापन) का अनुपालन नहीं करने, योजना का अनुचित लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से अनियमितता करने के लिए इंडेक्स मेडिकल कॉलेज अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र इंदौर को योजना से निलंबित कर दिया गया है.

भोपाल : भारत के गरीब परिवार के सदस्यों को बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए केंद्र की मोदी सरकार की ओर से आयुष्मान भारत योजना संचालित की जा रही है. सरकार की इस योजना के तहत गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए मरीजों को पांच लाख रुपये तक रकम मुहैया कराई जाती है. आयुष्मान भारत योजना के तहत सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों को सूचीबद्ध किया गया है. खबर है कि मध्य प्रदेश के इंदौर के एक निजी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल को अनावश्यक रूप से गहन चिकित्सा कक्ष (आईसीयू) में मरीजों को भर्ती करने और भर्ती मरीजों की संख्या बढ़ा-चढ़ा कर पेश करने सहित विभिन्न अनियमिताओं के चलते आयुष्मान भारत योजना से निलंबित कर दिया गया है.

अधिक फायदा उठाने के फेर में फंसा अस्पताल

आयुष्मान भारत निरामयम मध्य प्रदेश की ओर से मंगलवार को जारी निलंबन आदेश में कहा गया कि आयुष्मान योजना में किए गए एमओयू (समझौता ज्ञापन) का अनुपालन नहीं करने, योजना का अनुचित लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से अनियमितता करने के लिए इंडेक्स मेडिकल कॉलेज अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र इंदौर को योजना से निलंबित कर दिया गया है. इस कार्रवाई के चलते अस्पताल अब योजना के तहत लोगों का इलाज नहीं कर पाएगा.

50 करोड़ लोगों को स्वास्थ्य सुरक्षा

बता दें कि आयुष्मान भारत योजना केंद्र सरकार की एक प्रमुख स्वास्थ्य योजना है. इसके तहत सरकार पूरे देश में 10 करोड़ परिवारों या 50 करोड़ लोगों को स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान करती है. नागरिकों को उपचार प्रदान करने के लिए सैकड़ों प्राइवेट अस्पताल इसके तहत सूचीबद्ध हैं और वे सरकार से खर्च का दावा करते हैं. मध्य प्रदेश स्वास्थ्य प्राधिकरण की ऑडिट टीम ने इस महीने के पहले सप्ताह में इंडेक्स अस्पताल का निरीक्षण किया था और वहां गंभीर खामियां पाई थीं.

अनुचित लाभ उठाने का लगा आरोप

विज्ञप्ति में कहा गया है कि योजना के तहत अनुचित लाभ प्राप्त करने के लिए कई गलतियां की गईं. इसमें कहा गया है कि अस्पताल ने 500 मरीजों को भर्ती करने का दावा किया था, जबकि वास्तविक संख्या केवल 76 थी. शेष मरीजों के संबंध में अस्पताल प्रशासन द्वारा कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया. आडिट टीम ने आईसीयू में उन रोगियों को पाया, जिन्हें वहां प्रवेश और गहन देखभाल की आवश्यकता नहीं थी और उन्हें अनावश्यक तौर से आईसीयू में भर्ती कराया गया था. यह भी पाया गया कि आवश्यकता नहीं होने के बाद भी रोगी अधिक समय तक अस्पताल में भर्ती रहे.

एक कार्ड पर कई मरीजों का इलाज

सरकारी बयान में कहा गया है कि जहां सामान्य बीमारियों के मरीज भी अस्पताल में भर्ती पाए गए. वहीं, अस्पताल ने योजना का अनुचित वित्तीय लाभ लेने के लिए एक मरीज के कार्ड पर कई अन्य मरीजों का भी इलाज किया. इसमें कहा गया है कि मरीजों को चिकित्सा उपभोग सामग्रियों और परीक्षणों का भुगतान करने के लिए कहा गया, जबकि यह अनिवार्य तौर से अस्पताल में मुफ्त उपलब्ध कराया जाना था.

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आरोप का सही जवाब नहीं

विज्ञप्ति में कहा गया है कि कथित अनियमितताओं के आरोप पर अस्पताल का जवाब संतोषजनक नहीं था और उसने राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण की ऑडिट टीम को कोई अपेक्षित रिकॉर्ड जमा नहीं किया. इसमें कहा गया है कि ऑडिट टीम के साथ सहयोग नहीं करने के अलावा ऑडिटरों के सामने एक अप्रिय माहौल बनाने के लिए भीड़ भी जमा की गई थी.

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