15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

SBI और PNB सहित ये चार बैंक ही रह जाएंगे सरकारी, इन बैंकों के निजीकरण की राह पर केंद्र सरकार , नीति आयोग का ब्लूप्रिंट तैयार

Bank privatisation, SBI, PNB, Modi govt: बैंकिंग सेक्टर में बीते तीन वर्षों में विलय और निजीकरण के चलते सरकारी बैंकों की संख्या 27 से 12 ही रह गई है, जिसे अब केंद्र सरकार अब चार तक ही सीमित करने की तैयारी में है. इसके लिए नीति आयोग ने ब्लूप्रिंट भी तैयार कर लिया है. आयोग के ब्लूप्रिंट मुताबिक, देश में सिर्फ चार ही बैंक सरकारी रहेंगे.

Bank privatisation, SBI, PNB, Modi govt: बैंकिंग सेक्टर में बीते तीन वर्षों में विलय और निजीकरण के चलते सरकारी बैंकों की संख्या 27 से 12 ही रह गई है, जिसे अब केंद्र सरकार अब चार तक ही सीमित करने की तैयारी में है. इसके लिए नीति आयोग ने ब्लूप्रिंट भी तैयार कर लिया है. आयोग के ब्लूप्रिंट मुताबिक, देश में सिर्फ चार ही बैंक सरकारी रहेंगे.

इन बैंकों में भारतीय स्टेट बैंक(एसबीआई), पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी), बैंक ऑफ बड़ौदा और केनरा बैंक शामिल हैं. इनके अलावा आयोग ने तीन छोटे सरकारी बैंकों पंजाब ऐंड सिंध बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और यूको बैंक का प्राथमिकता के आधार पर निजीकरण करने की सलाह दी है.

फाइनेंसियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अन्य सरकारी बैंकों (बैंक ऑफ इंडिया, यूनियन बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, सेंट्रल बैंक और इंडियन बैंक) का सरकार या तो 4 बचे हुए बैंकों में विलय करेगी या फिर उनमें हिस्सेदारी घटाएगी. इन बैंकों में केंद्र अपनी हिस्सेदारी को 26 फीसदी तक सीमित कर सकती है.

Also Read: अब नहीं छपेंगे सरकारी कैलेंडर, डायरी और कॉफी टेबल बुक्स, कोरोना संकट काल में मोदी सरकार का बड़ा फैसला

गौरतलब है कि पिछले दिनों निजीकरण के लिहाज से केंद्र सरकार ने स्ट्रेटेजिक और नॉन-स्ट्रेटेजिक सेक्टर्स तय किए थे. इसमें बैंकिंग को स्ट्रेटेजिक सेक्टर में रखा गया था. स्ट्रेटेजिक सेक्टर में अधिकतम 4 सरकारी संस्थाओं को ही इसमें मंजूरी दी जा सकती है. ऐसे में यह साफ है कि केंद्र सरकार 4 बैंकों पर ही अपना नियंत्रण रखेगी. नीति आयोग के इस स्ट्रेटेजिक सेक्टर को जल्दी ही कैबिनेट के सामने लाया जा सकता है.

बैंकों का निजीकरण क्यों हैं जरूरी

बैंकों के निजीकरण को जरूरी बताते हुए एक सरकारी सूत्र ने कहा कि 31 अगस्त तक लागू किए गए मोरेटोरियम और फिर 2 साल के लिए कर्जों के पुनर्गठन के बाद बैंकों में बड़े पैमाने पर पूंजी के निवेश की जरूरत है. सूत्र ने कहा कि कमजोर आर्थिक स्थिति वाले सरकारी बैंकों के निजीकरण से सरकार को राहत मिलेगी क्योंकि उन बैंकों में उसे साल दर साल पूंजी डालनी पड़ती है. हालांकि सरकार निजीकरण पर धीरे-धीरे आगे बढ़ने का प्लान तैयार कर रही है ताकि ज्यादा से ज्यादा रकम हासिल की जा सके.

Also Read: अब नहीं छपेंगे सरकारी कैलेंडर, डायरी और कॉफी टेबल बुक्स, कोरोना संकट काल में मोदी सरकार का बड़ा फैसला
इंदिरा सरकार का बनाया कानून होगा निरस्त

2015 से लेकर 2020 तक केंद्र सरकार ने बैड लोन के संकट से घिरे सरकारी बैंकों में 3.2 लाख करोड़ रुपये का पूंजी निवेश किया था. इसके बाद भी इन बैंकों का मार्केट कैपिटलाइजेशन तेजी से कम हुआ है. कोरोना काल में तो यह संकट और गहरा हुआ है. बैंकों के निजीकरण के लिए मोदी सरकार 1970 में बैंकों के राष्ट्रीयकरण के मकसद से बने कानून बैंकिंग कंपनीज ऐक्ट को निरस्त कर सकती है.

ऐसा करना सरकार के लिए मुश्किल भी नहीं होगा क्योंकि संसद के दोनों सदनों से वह बिल को पारित कराने में सक्षम है. बता दें कि इंदिरा गांधी ने 1970 में 14 निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया था और फिर 1980 में एकबार फिर से 6 निजी बैंक सरकारी क्षेत्र का हिस्सा बन गए थे.

Posted By: Utpal kant

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें