नई दिल्ली : पेगासस जासूसी मामले में देश के जाने-माने वकील प्रशांत भूषण ने शुक्रवार को बड़ा आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि सरकार ने देश के प्रतिष्ठित लोगों की जासूसी कराने के लिए लोकसभा चुनाव-2019 से पहले राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय (एनएससीएस) के बजट में करीब 10 बार बढ़ोतरी की है. वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि एनएससीएस के लिए वित्त वर्ष 2016-17 में बजट आवंटन 33.17 करोड़ रुपये से 10 गुना बढ़कर वर्ष 2017-18 में 333.58 करोड़ रुपये हो गया.
In 2016-17, NSA's budget was Rs 33.17 crs. Next year the budget increased 10x to 333 crores because 300 Crores was added under new head 'cyber security R&D'. This is the year when NSO was paid 100s of Crs for Cyber hacking of Opp, Journos, Judges, EC, Activists using Pegasus! Wow pic.twitter.com/CEWadOMmGJ
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) July 23, 2021
प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया कि यह वही समय है, जब इजराइल का एनएसओ ग्रुप को कई प्रतिष्ठित व्यक्तियों के फोन पर जासूसी करने के लिए सैकड़ों करोड़ का भुगतान किया गया था. इजराइल का एनएसओ ग्रुप ने ही जासूसी के लिए पेगासस स्पईवेयर को विकसित किया है.
उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा है कि वर्ष 2016-17 में एनएसए का बजट 33.17 करोड़ रुपये का था. अगले साल यह बजट 10 गुना बढ़कर 333 करोड़ रुपये हो गए, क्योंकि नए मद ‘साइबर सुरक्षा आरएंडडी’ के तहत 300 करोड़ जोड़े गए थे. यह वही साल है, जब एनएसओ को पेगासस का इस्तेमाल करते हुए विपक्षी नेता, पत्रकार, जज, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की साइबर हैकिंग के लिए 100 करोड़ का भुगतान किया गया था.
द हिंदू की एक खबर के अनुसार, भूषण जिस एनएसए का जिक्र कर रहे हैं, उनका बजट एनएससीएस के अंतर्गत आता है. संबंधित वर्षों के व्यय बजट विवरणों के अनुसार, एनएससीएस के लिए आवंटन पहली बार 2017-18 में 10 गुना बढ़ा, लेकिन वास्तविक खर्च पिछले वर्ष के दोगुने से भी कम था. हालांकि, अगले वित्त वर्ष में (मई 2019 के आम चुनाव से पहले) एनएससीएस द्वारा खर्च 2017-18 के मुकाबले 13 गुना बढ़कर 800 करोड़ रुपये से अधिक हो गया.
खबर के अनुसार, वर्ष 2016-17 के लिए आवंटन वास्तव में 33.17 करोड़ रुपये था, जिसे बाद में संशोधित कर 81.03 करोड़ रुपये कर दिया गया. हालांकि, वास्तविक खर्च 39.09 करोड़ रुपये ही था. 2017-18 में यह आवंटन बढ़कर 333.58 करोड़ रुपये हो गया, लेकिन संशोधित अनुमानों ने संभावित खर्च 168 करोड़ रुपये रखा गया, जबकि वास्तविक व्यय 61.18 करोड़ रुपये ही था.
खबर के अनुसार, 2018-19 में ही इस मोर्चे पर वास्तविक खर्च में उल्लेखनीय वृद्धि हुई थी. इस वर्ष ‘प्रशासनिक खर्चों’ को पूरा करने के लिए 303.83 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे. हालांकि, बाद में पेश किए गए संशोधित अनुमान 841.73 करोड़ रुपये से बहुत अधिक थे, जबकि मूल बजट आवंटन को राजस्व व्यय के रूप में निर्धारित किया गया था. संशोधित अनुमानों के अनुसार, केवल 125.84 करोड़ रुपये राजस्व व्यय के लिए थे, शेष 715.89 करोड़ रुपये पूंजीगत व्यय के रूप में दिखाया गया.
Posted by : Vishwat Sen