बिलकिस बानो मामले की चर्चा इन दिनों सबकी जुबान पर है. दोषियों की रिहाई के बाद लोगों की लगातार प्रतिक्रिया सामने आ रही है. इस बीच एआईएमआईएम ने बिलकिस बानो सामूहिक दुष्कर्म और उसके परिवार के लोगों की हत्या से जुड़े मामले में दोषियों को रिहा करने के आदेश को रद्द करने की मांग केंद्र से की.
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने मामले को लेकर कहा है कि दोषियों को रिहा करने का गुजरात सरकार का फैसला केंद्र सरकार के इस दिशानिर्देश के खिलाफ है कि दुष्कर्म के मामलों में शामिल लोगों को 15 अगस्त को रिहा नहीं किया जाना चाहिए. आगे उन्होंने कहा कि हम केंद्र से, प्रधानमंत्री से मांग करते हैं कि रिहाई के आदेश को रद्द किया जाए और सभी दोषियों को जेल भेजा जाए.
इस बीच एक खबर जो सामने आ रही है उसके अनुसार भाजपा विधायक सीके राउलजी और सुमन चौहान गोधरा कलेक्टर सुजल मायात्रा की अध्यक्षता वाली समिति के सदस्य थे, जिसने 2002 के दंगों के बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार और नरसंहार मामले में 11 दोषियों को रिहा करने की सिफारिश की थी.
बताया जा रहा है कि समिति की ओर से “सर्वसम्मति से” उन दोषियों को छूट देने की सिफारिश की गयी थी. ये 11 दोषी 2008 में जघन्य अपराध में आजीवन कारावास की सजा के बाद से पहले ही 14 साल जेल की सजा काट चुके हैं. राज्य सरकार ने सलाहकार समिति की सिफारिश को स्वीकार किया और दोषियों को छोड़ने और समयपूर्व रिहाई की अनुमति प्रदान की. दोषियों के छूटने के बाद उनके रिश्तेदारों के साथ-साथ विश्व हिंदू परिषद (विहिप) द्वारा उनका स्वागत किया गया. इनका माला और मिठाई के साथ सम्मानित किया गया था जिसकी तस्वीर भी सामने आयी.
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गुजरात में 2002 में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों की पीड़िता बिलकिस बानो का पहला बयान दुष्कर्मियों की रिहाई के बाद आया है. उन्होंने कहा है कि उनके और उनके परिवार के सात लोगों से जुड़े मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे 11 दोषियों की समयपूर्व रिहाई होने से दुखी हूं. मेरा न्याय से विश्वास उठ गया है.
भाषा इनपुट के साथ