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BRO: कठिन हालात में सीमावर्ती इलाके में इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के काम में लगी बीआरओ

सीमा क्षेत्रों और कठिन हालात वाले इलाकों में इंफ्रास्ट्रक्चर विकास का काम बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन(बीआरओ) करती है. सेना के सामरिक जरूरतों को ध्यान में रखकर उत्तरी और पूर्वी सीमा पर इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास का जिम्मा बीआरओ के पास है. बीआरओ 9 हजार से 19 हजार फीट की ऊंचाई पर इंफ्रास्ट्रक्चर विकास काम कर रही है. वर्ष 1960 […]

सीमा क्षेत्रों और कठिन हालात वाले इलाकों में इंफ्रास्ट्रक्चर विकास का काम बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन(बीआरओ) करती है. सेना के सामरिक जरूरतों को ध्यान में रखकर उत्तरी और पूर्वी सीमा पर इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास का जिम्मा बीआरओ के पास है. बीआरओ 9 हजार से 19 हजार फीट की ऊंचाई पर इंफ्रास्ट्रक्चर विकास काम कर रही है. वर्ष 1960 में गठित बीआरओ की शुरुआत दो प्रोजेक्ट के साथ हुई थी और मौजूदा समय में यह संस्था 11 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेश में 11 प्रोजेक्ट पर काम कर रही है. सीमा सड़क संगठन ने बागडोगरा और बैरकपुर में दो महत्वपूर्ण हवाई क्षेत्र परियोजनाओं को पूरा करने का काम किया है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में मुध एयरफील्ड परियोजना की आधारशिला रखी थी। सीमा सड़क संगठन का लक्ष्य इस परियोजना को जल्द से जल्द पूरा करने का है.

 बीआरओ ने क्या हासिल की है उपलब्धि

गठन के बाद से बीआरओ ने 62214 किलोमीटर सड़क, 1005 पुल और 21 एयरफील्ड का निर्माण किया है. यह निर्माण काम कठिन भौगोलिक और विपरीत मौसम में किया गया है. साथ ही संस्था ने 7 टनल का भी निर्माण किया है. वर्ष 2023-24 में बीआरओ ने 125 प्रोजेक्ट पर काम पूरा किया. इस प्रोजेक्ट पर तीन हजार करोड़ से अधिक रुपये की लागत आयी. इसमें अरुणाचल प्रदेश में बना सेला टनल और बालीपारा-चारद्वार-तवांग रोड का निर्माण शामिल है. ऐसे प्रोजेक्ट के निर्माण से अरुणाचल प्रदेश में चीन सीमा पर सेना की पहुंच सुगम हो गयी है. पाकिस्तान और चीन से सटे इलाकों में हाल के वर्ष में कई इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को पूरा किया गया है. इससे सामरिक तौर पर भारतीय सेना की स्थिति मजबूत हुई है. पहले चीन के मुकाबले सीमावर्ती इलाकों में इंफ्रास्ट्रक्चर विकास में भारत काफी पीछे था, लेकिन रक्षा मंत्रालय की पहल और बीआरओ की कोशिश से हालात काफी बेहतर हुए हैं.

 कठिन हालात में काम करती है बीआरओ


बीआरओ के 65वां स्थापना दिवस के मौके को संबोधित करते हुए रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने ने कहा कि दुर्गम इलाकों और मौसम की विपरीत दुरूह स्थिति में सीमा सड़क संगठन ने अपने दायित्व का सफलतापूर्वक निर्वहन किया है. सीमावर्ती क्षेत्रों में अपनी मूलभूत परियोजनाओं के माध्यम से, दूरदराज के क्षेत्रों की सामाजिक-आर्थिक प्रगति सुनिश्चित करने के अतिरिक्त, देश की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. उन्होंने कहा कि परियोजनाओं को तीव्र गति से संपन्न करने के लिए आधुनिक तकनीक के प्रयोग पर अधिक जोर देने की जरूरत है. सिल्क्यारा सुरंग ढहने और सिक्किम बाढ़ के दौरान राहत और बचाव प्रयासों में सीमा सड़क संगठन कर्मियों के बहुमूल्य योगदान दिया था. यह संगठन वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. इसके तहत चुने हुए सीमावर्ती गांवों के व्यापक विकास की परिकल्पना की गई है.

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