नयी दिल्ली: सीमा सुरक्षा बल (BSF) का अधिकार बढ़ाये जाने पर पाकिस्तान और बांग्लादेश की सीमा से सटे तीन राज्यों ने केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. पंजाब और पश्चिम बंगाल की सरकार ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर संघीय ढांचे को खत्म करने का आरोप लगाया है. वहीं, गृह मंत्रालय ने कहा है कि हाल के दिनों में ड्रोन के जरिये भारत में हथियार और ड्रग्स की सप्लाई करने की पाकिस्तान की नापाक साजिशों की वजह से बीएसएफ को अतिरिक्त अधिकार दिये गये हैं.
केंद्र सरकार ने बीएसएफ कानून में संशोधन कर इसे पंजाब, पश्चिम बंगाल और असम में अंतरराष्ट्रीय सीमा से मौजूदा 15 किलोमीटर की जगह 50 किलोमीटर के बड़े क्षेत्र में तलाशी लेने, जब्ती करने और गिरफ्तार करने की शक्ति दे दी है. तृणमूल कांग्रेस ने केंद्र से इसे वापस लेने की मांग करते हुए दावा किया कि पश्चिम बंगाल सरकार के साथ विचार-विमर्श किये बगैर यह फैसला किया गया है.
तृणमूल के प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा, ‘हम इस फैसले का विरोध करते हैं, यह राज्य के अधिकारों में अतिक्रमण है. राज्य सरकार को सूचित किये बिना बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र में विस्तार करने की तुरंत क्या जरूरत पड़ी. यदि बीएसएफ को कहीं पर तलाशी लेनी है, तो वह राज्य पुलिस के साथ मिलकर ऐसा हमेशा ही कर सकता है. वर्षों से यही चलता आ रहा है. यह संघीय ढांचे पर हमला है.’
কেন্দ্রীয় স্বরাষ্ট্রমন্ত্রক যেভাবে বিএসএফের কর্মক্ষেত্র সীমান্ত থেকে 15 কিমির বদলে বাড়িয়ে 50 কিমি করল, তা প্রতিবাদযোগ্য। এটা রাজ্যের অধিকারভুক্ত এলাকায় পিছনের দরজা দিয়ে নাক গলানো। তৃণমূল কংগ্রেস বিষয়ে গুরুত্ব দিয়ে খতিয়ে দেখছে। যথাযথভাবে বক্তব্য জানানো হবে।
— Kunal Ghosh (@KunalGhoshAgain) October 14, 2021
तृणमूल कांग्रेस के सांसद सौगत रॉय ने आरोप लगाया कि सीमावर्ती गांवों में मानवाधिकारों को लेकर बीएसएफ का ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा नहीं है. उन्होंने कहा, ‘केंद्र सरकार और गृह मंत्री अमित शाह राज्यों को कमजोर करने का प्रयास कर रहे हैं. सीमावर्ती गांवों में मानवाधिकार के मामले में बीएसएफ का ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा नहीं है.’
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने आगाह किया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय को इस कदम के ‘दुष्परिणामों’ का सामना करना पड़ेगा. उन्होंने कहा, ‘कुछ राज्यों में सीमा से 50 किलोमीटर तक बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र में विस्तार करना राज्यों के क्षेत्र में खुलेआम उल्लंघन करना है. गृह मंत्रालय आपको कोई छेड़खानी नहीं करना चाहिए. अन्यथा दुष्परिणामों का सामना करना पड़ेगा.’
The expansion of #BSF area of jurisdiction upto 50 km from border of some states amounts to brazen infringement upon the territory of states.
@HMOIndia , you should not indulge any 'Chherkhani' else will face the consequences.— Adhir Chowdhury (@adhirrcinc) October 14, 2021
प्रदेश भाजपा महासचिव शायंतन बसु ने तृणमूल की प्रतिक्रिया पर पलटवार किया. कहा कि तृणमूल सरकार सीमापार से घुसपैठ और तस्करी को रोकने में विफल रही है. तृणमूल कांग्रेस इस कदम का विरोध वोट बैंक के तुष्टिकरण के लिए कर रही है.
केंद्र सरकार ने पाकिस्तान की सीमा से लगे गुजरात के क्षेत्रों में यह दायरा 80 किलोमीटर से घटाकर 50 किलोमीटर कर दिया है. राजस्थान में 50 किलोमीटर तक की क्षेत्र सीमा में कोई बदलाव नहीं किया गया है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस संबंध में 11 अक्टूबर को अधिसूचना जारी की.
पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने भारत सरका के इस फैसले की घोर निंदा की है. चन्नी ने इस फैसले को राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र और संघीय ढांचे पर सीधा प्रहार करार दिया है. उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे राज्य में 50 किलोमीटर के दायरे में बीएसएफ को तलाशी लेने के अधिकार देने के केंद्र सरकार के एकतरफा फैसले की वह घोर निंदा करते हैं. उन्होंने अमित शाह से आग्रह किया है कि इस फैसले को तुरंत वापस लें.
I strongly condemn the GoI's unilateral decision to give additional powers to BSF within 50 KM belt running along the international borders, which is a direct attack on the federalism. I urge the Union Home Minister @AmitShah to immediately rollback this irrational decision.
— Charanjit Singh Channi (@CHARANJITCHANNI) October 13, 2021
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे राज्यों में बीएसएफ को 50 किलोमीटर के दायरे में तलाशी लेने, संदिग्ध व्यक्तियों की गिरफ्तारी के अधिकार दे दिये हैं. पहले बीएसएफ को 15 किलोमीटर क्षेत्र में कार्रवाई का अधिकार था. भारत-पाकिस्तान और भारत-बांग्लादेश की सीमा से सटे राज्यों के अलावा बीएसएफ को अब पूर्वोत्तर के राज्यों नगालैंड, त्रिपुरा, मिजोरम, मणिपुर और लद्दाख में भी तलाशी और गिरफ्तारी के अधिकार मिल गये हैं.
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पूर्वोत्तर के पांच राज्यों मेघालय, मिजोरम, मणिपुर, नगालैंड और त्रिपुरा के अलावा जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लिए कोई सीमा तय नहीं की गयी है. नयी अधिसूचना के बाद बीएसएफ के जवानों और अधिकारियों को सीआरपीसी के तहत कार्रवाई करने का अधिकार मिल गया है. इसके लिए उन्हें न तो मजिस्ट्रेट का आदेश लेना होगा, न ही किसी वारंट की जरूरत होगी.
बीएसएफ के अधिकारी ऐसे किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकेंगे, जो गंभीर आपराधिक मामलों में लिप्त होंगे या जिनके खिलाफ शिकायत दर्ज करायी गयी होगी या उनके खिलाफ बीएसएफ को विश्वसनीय सूचना मिली हो.
सीमा सुरक्षा बल कानून, 1968 का सेक्शन 139 में केंद्र सरकार को यह शक्ति प्राप्त है कि वह समय-समय पर जरूरत के अनुरूप बीएसएफ के ऑपरेशन के अधिकार क्षेत्र को विस्तार दे सके. गृह मंत्रालय ने बॉर्डर क्षेत्र के ‘शेड्यूल’ में संशोधन की अधिसूचना जारी कर दी है, जो बीएसएफ को पासपोर्ट एक्ट, एनडीपीएस एक्ट और कस्टम एक्ट के तहत जांच, जब्ती और गिरफ्तारी के अधिकार देता है.
Posted By: Mithilesh Jha