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CAA Law: सीएए से मुसलमानों को डरने की जरूरत नहीं, बोले ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी

CAA Law: नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के नियमों को लेकर कई तरह की भ्रांतियां हैं. इस बीच ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी ने इस कानून का स्वागत किया है.

CAA Law: केंद्र की मोदी सरकार की ओर से नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) नियमों की अधिसूचना जारी कर दी गई है. इसके बाद से लगातार प्रतिक्रिया आ रही है. मामले पर, ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा है कि कानून का स्वागत किया जाना चाहिए. मुस्लिम समुदाय के बीच भय को दूर करने की कोशिश करते हुए उन्होंने कहा कि इससे उनकी नागरिकता की स्थिति पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है.

क्या कहा मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी ने

मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी ने कहा कि केंद्र सरकार ने सीएए कानून लागू कर दिया है. मैं इसका स्वागत करता हूं. ऐसा बहुत पहले ही किये जाने की जरूरत थी लेकिन खैर, देर आए दुरुस्त आए… इस कानून को लेकर मुसलमानों के बीच बहुत सारी गलतफहमियां हैं जिसे दूर किये जाने की जरूरत है. पहले पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले गैर-मुसलमानों को नागरिकता प्रदान करने के लिए कोई कानून नहीं था, जिन्हें धर्म के आधार पर अत्याचार का सामना करना पड़ा था.

ऑनलाइन होगी पूरी प्रक्रिया

आपको बता दें कि केंद्र की मोदी सरकार ने पूरी प्रक्रिया को ऑनलाइन बनाया है. इसके लिए ऑनलाइन पोर्टल भी तैयार करने का काम किया गया है. आवेदक अपने मोबाइल फोन से भी आवेदन करने में सक्षम हैं. आवेदकों को उस साल की जानकारी देनी होगी, जब उन्होंने दस्तावेजों के बिना भारत में प्रवेश किया था. आवेदकों से कोई दस्तावेज नहीं मांगा जायेगा. पात्र विस्थापितों को सिर्फ पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन करने की जरूरत होगी. नागरिकता देने के अधिकार की बात करें तो वह केंद्र सरकार के पास होगा.

आवेदन से पहले देश में एक साल लगातार रहना जरूरी

भारतीय नागरिकता पाने के इच्छुक लोगों को आवेदन करने की तारीख से पहले देश में कम-से-कम 12 महीने यानी एक साल तक रहना अनिवार्य है. इसके बाद ही वे आवेदन करने के लिए पात्र हो पाएंगे. नियमों पर गौर करें तो इसमें कहा गया है कि इन 12 महीनों से ठीक पहले के आठ वर्षों के दौरान भी आवेदकों द्वारा देश में कम-से-कम छह साल बिताया गया हो, तभी उन्हें भारत की नागरिकता दी जाएगी यानी वे उपरोक्त शर्त यदि दर्शाते हैं तभी आवेदन करने के लिए पात्र माने जाएंगे.

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अबतक 1414 को दी गई नागरिकता

गृह मंत्रालय की 2021-22 की वार्षिक रिपोर्ट पर नजर डालें तो, एक अप्रैल 2021 से 31 दिसंबर 2021 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के गैर-मुस्लिम समुदायों के कुल 1,414 विदेशियों को भारतीय नागरिकता देने का काम किया जा चुका है.

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