कृषि कानूनों को केंद्र सरकार की ओर से वापस लिये जाने की घोषणा के बाद ऐसा लगता है कि अब नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC) के खिलाफ भी आंदोलन शुरू होगा. जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष ने इसके संकेत दिये हैं. जमात उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने इन दोनों कानूनों को भी वापस लेने की मांग की है.
मौलाना मदनी ने कृषि कानूनों के खिलाफ लगातार आंदोलन जारी रखने और सरकार को इन कानूनों को वापस लेने के लिए मजबूर करने के लिए उनकी प्रशंसा की है. मौलाना मदनी ने किसानों को बधाई दी है. कहा है कि आपने बहादुरी के साथ तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन किया. यही वजह है कि आज सरकार को इस कानून को वापस लेने के लिए बाध्य होना पड़ा है.
We congratulate the farmers who continued their protest bravely, Similarly, we want Govt to roll back the Act that is going to hurt Muslims. They too are citizens of India just like others. If they're affected, the Govt should feel it in a similar manner: Maulana Arshad Madani pic.twitter.com/ZrzpFAKf3w
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) November 20, 2021
मौलाना मदनी ने कहा कि जिस तरह से किसानों के लिए तीन कृषि कानून घातक थे, उसी तरह नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) कानून मुसलमानों के हित के खिलाफ हैं. इन दोनों कानूनों के दुष्परिणाम मुस्लिम समाज को भुगतना होगा. मौलाना मदनी ने कहा कि कृषि कानूनों को वापस लिया गया, क्योंकि चुनाव आने वाले हैं.
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जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख ने कहा कि जिस तरह से किसानों ने अनवरत आंदोलन किया, उसी तरह से मुस्लिमों को भी इन दोनों कानूनों के खिलाफ संघर्ष करना होगा. उन्होंने कहा कि जनता की ताकत सबसे बड़ी है. इसलिए वह मांग करते हैं कि सीएए कानून को भी वापस लिया जाये. उन्होंने कहा कि हम मुसलमान भी भारत के नागरिक हैं. इसलिए सरकार को हमारे बारे में भी वैसे ही सोचना चाहिए, जैसे उसने किसानों के बारे में सोचा है.
Posted By: Mithilesh Jha