नई दिल्ली : कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन का संक्रमण तेजी से फैलने के साथ ही अब भारत में भी वायरस रोधी टीका की बूस्टर डोज यानी तीसरी खुराक लगाने की मुहिम ने जोर पकड़ना शुरू कर दिया है. देश में इस बात को लेकर चर्चा शुरू हो गई है कि ओमिक्रॉन के बढ़ते खतरे के बीच भारत में भी लोगों को कोरोना रोधी टीके की तीसरी खुराक या बूस्टर डोज देनी चाहिए. ऐसा इसलिए भी कहा जा रहा है, क्योंकि कोविड टास्क फोर्स के प्रमुख और नीति आयोग के स्वास्थ्य सदस्य डॉ वीके पॉल ने सरकार को पहले ही आगाह कर दिया है कि अगर भारत में ब्रिटेन की तरह ओमिक्रॉन का खतरा बढ़ता है, तो रोजाना 1 लाख से अधिक मामले सामने आ सकते हैं.
इस बीच, सवाल यह भी उठाए जा रहे हैं कि क्या कोरोना रोधी टीके की बूस्टर डोज या अतिरिक्त खुराक लगाने के बाद ओमिक्रॉन के संक्रमण का खतरा कम हो जाएगा? इसे लेकर लंदन स्थित इंपीरियल कॉलेज के शोधकर्ताओं ने एक स्टडी के जरिए इस पर प्रकाश डाला है, जिसमें कहा गया है कि कोरोना रोधी टीके की तीसरी अतिरिक्त खुराक लोगों को वायरस के नए वेरिएंट के संक्रमण से करीब 85 फीसदी तक सुरक्षित रख सकती है.
मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार, भारत में कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन के नए मामलों में तेजी आने के साथ ही सरकार ने कोरोना रोधी टीके की बूस्टर डोज या तीसरी खुराक लगाने की योजना पर तेजी से काम कर रही है. संभावना यह भी जाहिर की जा रही है कि अगले साल की शुरुआत से ही कोरोना रोधी टीके की तीसरी खुराक लोगों को लगनी शुरू हो जाएगी.
मीडिया की रिपोर्ट्स की मानें, तो केंद्र की मोदी सरकार की योजना यह है कि कोरोना रोधी टीके की तीसरी खुराक सबसे पहले फ्रंटलाइन वर्कर्स (डॉक्टर्स, नर्स, स्वास्थ्यकर्मी, सुरक्षाकर्मी, रेलवे स्टाफ और पब्लिक डीलिंग से जुड़े विभागों और संस्थानों के कर्मचारी) और जोखिम वाले क्षेत्रों के लोगों को लगाई जाएगी. हालांकि, सरकार ने अभी तक आधिकारिक रूप से इसकी घोषणा नहीं की है, लेकिन मीडिया की खबरों में इस बात की चर्चा जोरों पर है.
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राष्ट्रीय तकनीकी टीकाकरण सलाहकार समिति से जुड़े एक वरिष्ठ डॉक्टर ने बताया कि कोरोना रोधी टीके की तीसरी खुराक देने पर लगभग सभी विशेषज्ञों की सहमति बन चुकी है, लेकिन अभी इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती है. इसका कारण यह है कि तीसरी खुराक को लेकर हमारे पास अभी कुछ नहीं है. हालांकि, कोविशील्ड टीके पर ब्रिटेन में टेस्ट हुआ है, लेकिन भारत में इसका परीक्षण अभी होना बाकी है. कोवैक्सीन की तीसरी खुराक पर काम चल रहा है, लेकिन उसके लिए ओमिक्रॉन वैरिएंट का आइसोलेट होना बहुत जरूरी है. यह काम पुणे स्थित नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ वॉयरोलॉजी (एनआईवी) के वैज्ञानिक कर रहे हैं.