पुणे : केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने महाराष्ट्र के पुणे में 19 से 20 जून तक दो दिवसीय ‘किशोर शिखर सम्मेलन’ का आयोजन किया. यह शिखर सम्मेलन पुणे के सहोदय स्कूल कॉम्प्लेक्स में आयोजित किया गया. इसका उद्देश्य लाइफ स्किल्स, मेंटल हेल्थ, सेफ्टी एंड वेल बीइंग और लैंगिक समानता था. इस किशोर शिखर सम्मेलन की योजना पुणे में शिक्षा मंत्रालय की ओर से आयोजित चौथी और अंतिम जी-20 वर्किंग ग्रुप की बैठक के दौरान बनाई गई थी. इन दोनों दिनों के दौरान शिखर सम्मेलन में शामिल स्कूली बच्चों के बीच जी-20 में भारत की पहली बार अध्यक्षता को लेकर प्रकाश डाला गया.
सीबीएसई की जनसंपर्क अधिकारी रमा शर्मा ने बताया कि सीबीएसई ने जी-20 में भारत की पहली बार अध्यक्षता को उजागर करने और वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति और गति को समझने में स्कूली छात्रों को सक्षम बनाने के लिए छात्र संवर्धन योजना बनाई है. उन्होंने कहा कि देशभर में सक्रिय 200 सहोदय स्कूल समूहों को उन शहरों में स्कूली शिक्षा, पाठ्यक्रम डिजाइन और मूल्यांकन के विभिन्न पहलुओं पर जागरूकता गतिविधियों का आयोजन करने के लिए संगठित किया गया है, जहां जी-20 बैठकें निर्धारित की गई हैं. इस जागरूकता अभियान में छठी से 12वीं कक्षा के छात्र अंतरविद्यालयी प्रतिस्पर्धाओं, सहयोगी स्कूल गतिविधियों और प्रदर्शनियों में अपनी भागीदारी निभा रहे हैं.
सीबीएसई की अध्यक्ष ने विभिन्न विषयों पर की चर्चा
उन्होंने कहा कि इस शिखर सम्मेलन में सीबीएसई की अध्यक्ष निधि छिब्बर ने महाराष्ट्र के करीब 500 से अधिक शिक्षाविदों, विशेषज्ञों और सीबीएसई से संबद्ध स्कूलों के छात्रों के साथ बातचीत की. इसमें उन्होंने एनईपी-200 के कार्यान्वयन के हिस्से के रूप में शिक्षण अभ्यास और शिक्षाशाख, क्षमता निर्माण और शिक्षकों के प्रशिक्षण पर भी चर्चा की, जैसे कि स्ट्रक्चर्ड असेसमेंट फॉर एनालाइजिंग लर्निंग (एसएएफएएल) , होलिस्टिक प्रोग्रेस कार्ड, स्कूल क्वालिटी असेसमेंट एंड एश्योरेंस फ्रेमवर्क (एसक्यूएएएफ) आदि. उन्होंने कहा कि किशोरों की ओर से शिखर सम्मेलन के विषयों जीवन कौशल, मानसिक स्वास्थ्य, सुरक्षा और लैंगिक समानता पर नुक्कड़ नाटकों, क्विज, संगीत प्रदर्शन और युवा संसद का आयोजन किया गया.
छात्रों को आलोचनात्मक रूप से सोचने के लिए समृद्ध बनाना जरूरी
किशोर शिखर सम्मेलन के उद्देश्य को रेखांकित करते हुए सीबीएसई की अध्यक्ष निधि छिब्बर ने कहा कि छात्रों को आलोचनात्मक रूप से सोचने, नवाचार करने और चेंज मेकर बनने के लिए सक्षम बनाना महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि इस तरह की गतिविधियां छात्रों को एक भविष्यवादी, समृद्ध, समावेशली और विकसित समाज की दिशा में कार्य करने के लिए प्रेरित कर सकती है, जिसका दृष्टिकोण मानव केंद्रित हो.
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सम्मेलन में ये भी रहे मौजूद
इस शिखर सम्मेलन में प्रसिद्ध रंगमंच और फिल्मी हस्ती और एक प्रसिद्ध मनोचिकित्सक पद्मश्री डॉ मोहन आगाशे मुख्य वक्ता थे. डॉ अगाशे ने कहा कि रुचि और बुद्धिमत्ता कैसे सीखना आसान बनाते हैं. उन्होंने ध्वनि और छवियों और पांच इंद्रियों के महत्व पर भी प्रकाश डाला. इसके अलावा, सम्मेलन में सीबीएसई के निदेशक डॉ जोसेफ इमैनुएल, डॉ प्रज्ञा एम सिंह, निदेशक (मूल्यांकन) डॉ जितेंद्र नागपाल, एक्सप्रेशन इंडिया के कार्यक्रम निदेशक दीक्षा कल्याणी, स्कूलों के कल्याणी समूह के निदेश सविता ट्रैविस, पुणे सहोदय कॉम्प्लेक्स के अध्यक्ष निर्मल वइडन, कल्याणी स्कूल की प्रिंसिपल रामवीर और सीबीएसई पुणे के क्षेत्रीय अधिकारी की मौजूदगी में स्कूलों की प्रदर्शनी का उद्घाटन भी किया गया.