Chandan Gupta Murder Case: लखनऊ की विशेष एनआईए कोर्ट ने कासगंज में 26 जनवरी 2018 को हुए चंदन गुप्ता हत्याकांड में बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने इस मामले में 28 आरोपियों को दोषी करार दिया है, जबकि सबूतों के अभाव में 2 आरोपियों को बरी कर दिया गया. यह मामला 2018 में कासगंज में हुई तिरंगा यात्रा के दौरान का है, जब 22 वर्षीय चंदन गुप्ता की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस घटना के बाद कासगंज में दंगे भड़क उठे थे और शहर में आगजनी और हिंसा का माहौल बन गया था. चंदन गुप्ता के पिता सुशील गुप्ता ने इस मामले में सलीम को मुख्य आरोपी बनाते हुए 20 अन्य लोगों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज करवाई थी.
चंदन गुप्ता उस समय बीकॉम के छात्र थे और एक सामाजिक संस्था भी चलाते थे. उनके पिता सुशील गुप्ता कासगंज के एक अस्पताल में कंपाउंडर के रूप में काम करते थे. परिवार में चंदन सबसे छोटे थे और उनकी मौत ने पूरे शहर को झकझोर दिया था.
पुलिस कार्रवाई पर उठे सवाल
तिरंगा यात्रा के दौरान हुई इस घटना ने कासगंज का माहौल पूरी तरह बिगाड़ दिया था. दंगे और हिंसा के सिलसिले में पुलिस ने 49 लोगों को गिरफ्तार किया था, लेकिन चंदन के परिवार ने पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाए थे. उनका आरोप था कि दोषियों के खिलाफ सख्त कदम नहीं उठाए गए.
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सोशल मीडिया पर घटना का प्रभाव
चंदन गुप्ता की हत्या का मामला सोशल मीडिया पर काफी चर्चा में रहा. घटना के बाद कई हैशटैग ट्रेंड में रहे और सोशल मीडिया यूजर्स ने उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े किए. कासगंज की घटना को लेकर राज्य सरकार की आलोचना भी हुई.
परिवार का संघर्ष और न्याय की लड़ाई
चंदन के पिता सुशील गुप्ता ने इस मामले में न्याय पाने के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी. उन्होंने आरोप लगाया कि आरोपी पक्ष ने हाई कोर्ट में अपील कर मामले की सुनवाई पर रोक लगवाई थी. इसके विरोध में सुशील गुप्ता ने लखनऊ के हजरतगंज में गांधी प्रतिमा के नीचे धरना दिया. उनका कहना था, “जब तक न्याय नहीं मिलेगा, मैं धरने से नहीं हटूंगा.” हालांकि, पुलिस और प्रशासन की समझाइश के बाद उन्होंने धरना समाप्त कर दिया.
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सरकारी मदद और चंदन का नाम अमर करने की कोशिश
राज्य सरकार ने चंदन की मौत के बाद उनके नाम पर कासगंज में एक चौक बनाने की घोषणा की थी. साथ ही, उनकी बहन को संविदा पर नौकरी दी गई. चंदन के पिता ने अपने बेटे की मौत को हिंदुस्तान की एकता और अखंडता पर हमला करार दिया. उन्होंने कहा था, “अगर हिंदुस्तान जिंदाबाद कहना अपराध है, तो हमें भी गोली मार दो.” 8 साल लंबे संघर्ष और कानूनी प्रक्रिया के बाद अब कोर्ट ने इस मामले में दोषियों को सजा सुनाई है. इस फैसले ने न केवल चंदन के परिवार को राहत दी है, बल्कि कासगंज की उस दुखद घटना को फिर से चर्चा में ला दिया है.