18.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

चंद्रयान-3 ने पूरा किया दो-तिहाई चांद का सफर, कल करेगा चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश, जानिए खास बातें

एक अगस्त को अंतरिक्ष यान को पृथ्वी की कक्षा से ऊपर उठाकर चंद्रमा की ओर बढ़ाने की प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा किया गया और यान को ट्रांस लूनर कक्षा में डाल दिया गया. इसरो के मुताबिक कल यानी शनिवार को एक और महत्वपूर्ण प्रयास में अंतरिक्ष यान को चंद्रमा की कक्षा में स्थापित किया जाएगा.

Mission Chandrayaan-3 : चंद्रमा की यात्रा पर रवाना हुआ चंद्रयान-3 धरती की आखिरी सीमा को भी लांघ कर अब चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करने जा रहा है. चंद्रयान ने चांद की दो तिहाई दूरी पूरी कर ली है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO, इसरो) ने आज यानी शुक्रवार को कहा कि चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान ने 14 जुलाई को प्रक्षेपण के बाद से चंद्रमा की लगभग दो-तिहाई दूरी तय कर ली है. इसी कड़ी में इसरो ने कहा कि चंद्रयान-3 को प्रक्षेपित किए जाने के बाद से उसे कक्षा में ऊपर उठाने की प्रक्रिया को पांच बार सफलतापूर्वक पूरा किया गया है.

बता दें,  एक अगस्त को अंतरिक्ष यान को पृथ्वी की कक्षा से ऊपर उठाकर चंद्रमा की ओर बढ़ाने की प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा किया गया और यान को ट्रांस लूनर कक्षा में डाल दिया गया. इसरो के मुताबिक कल यानी शनिवार को एक और महत्वपूर्ण प्रयास में अंतरिक्ष यान को चंद्रमा की कक्षा में स्थापित किया जाएगा. राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी ने शुक्रवार को कहा कि अंतरिक्ष यान को चंद्रमा की कक्षा में स्थापित करने की प्रक्रिया पांच अगस्त को शाम करीब सात बजे के लिए निर्धारित है. इसरो ने कहा कि यह प्रयास तब किया जाएगा जब चंद्रयान-3 चंद्रमा के सबसे पास होगा.

https://twitter.com/chandrayaan_3/status/1687392734385238016

23 अगस्त को चंद्रयान-3 की चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग
गौरतलब है कि 23 अगस्त को चंद्रयान-3 की चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश की जाएगी. इसरो ने कहा है कि वह आगामी 23 अगस्त को चंद्रयान-3 की चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने की कोशिश करेगा. इससे पहले, चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को प्रक्षेपित किए जाने के बाद से उसे कक्षा में ऊपर उठाने की प्रक्रिया को पांच बार सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया था. अब चंद्रयान चांद की कक्षा में प्रवेश करने वाला है.

सबसे बड़ी चुनौती है चांद पर चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग
भारत का मिशन चंद्रमा चंद्रयान-3 की सफलता पर निर्भर करता है. मिशन की सफलता के लिए जरूरी है कि चंद्रयान-3 का चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग हो जाये. मिशन चांद के लिए इसरो को मिलने वाली सबसे बड़ी चुनौती भी यही है. ऐसे में भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिकों का सबसे बड़ा लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर लैंडर की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का ही है. बता दें, ‘चंद्रयान-2’ मिशन के दौरान अंतिम क्षणों में लैंडर ‘विक्रम’ के पथ विचलन के चलते ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ सफल नहीं हो पाया था. यदि इस बार इस मिशन में सफलता मिलती है तो भारत ऐसी उपलब्धि हासिल कर चुके अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ जैसे देशों के क्लब में शामिल हो जाएगा और यह ऐसा कीर्तिमान स्थापित करने वाला विश्व का चौथा देश बन जाएगा.

खात बातें-
1. चंद्रयान-3 भारत का सबसे आधुनिक मिशन है. इसकी लक्ष्य चांद पर जाकर नई-नई जानकारियां बटोरना है. धरती से चंद्रमा की दूरी करीब 3.8 लाख किमी है. वहीं, चंद्रयान 51 घंटे में 1. 2 लाख किमी का सफर तय कर रहा है. 

2. वहीं, इस बार लैंडर में चार इंजन ही लगाये गये हैं. ये चारों इंजन चार कोनों पर लगे हैं. पिछली बार जो इंजन बीचोबीच लगा था, उसे हटा दिया गया है. फाइनल लैंडिंग दो इंजन की मदद से ही होगी, ताकि दो इंजन आपातकालीन स्थिति में काम कर सकें.

अब तक का चंद्रयान-3 के सफर पर एक नजर

  • 14 जुलाई के दिन चंद्रयान-3 को 170 km x 36500 km के ऑर्बिट पर छोड़ा गया.

  • 15 जुलाई को पहली बार ऑर्बिट बढ़ाकर 41762 km x 173 km किया गया.

  • 17 जुलाई को दूसरी बार ऑर्बिट बढ़ाकर 41603 km x 226 km कर दिया गया.

  • 18 जुलाई को तीसरी बार ऑर्बिट बढ़ाकर 51400 km x 228 km किया गया.

  • 20 जुलाई को चौथी बार ऑर्बिट बढ़ाया गया, और इसे 71351 x 233 Km किया गया.

  • 25 जुलाई को पांचवी बार ऑर्बिट बढ़ाकर 1.27,603 km x 236 km किया गया.

  • 31 जुलाई और 1 अगस्त की मध्यरात्रि पृथ्वी की कक्षा छोड़कर चंद्रमा की बढ़ गया.

  • 04  अगस्त को चांद की कक्षा में प्रवेश करने की तैयारी.

5 जुलाई और 17 जुलाई होगी चंद्रयान-3 मिशन के लिए बेहद खास
कल यानी 5 अगस्त को चंद्रयान को चांद की कक्षा में प्रवेश कराया जाएगा. इसके बाद कुछ दिन तक चंद्रयान चांद की कक्षा में घुमेगा और फिर सॉफ्ट लैंडिंग के लिए तैयार होगा. इस बीच 17 अगस्त का दिन चंद्रयान के लिए बेहद खास होगा. इस दिन चंद्रयान-3 को चांद की कक्षा में भेजा जाएगा.  18 और 20 अगस्त को डी ऑर्बिटिंग होगी. यानी चांद के ऑर्बिट की दूरी को कम किया जाएगा. लैंडर मॉड्यूल 100 x 30 किलोमीटर के ऑर्बिट में चला जाएगा. सबसे खास दिन 23 अगस्त का होगा, क्योंकि इस दिन शाम पांच बजकर 47 मिनट पर चंद्रयान की लैंडिंग की प्रक्रिया शुरू होगी.

चांद पर क्या रिसर्च करेगा चंद्रयान-3
चांद के रहस्यों को खंगालने चंद्रयान चंद्रमा पर रवाना हो चुका है.कल भारत का यह यान चंद्रमा की कक्षा में भी प्रवेश कर जाएगा. इसके बाद कई दिनों तक चांद के चारों ओर घूमने के बाद यह चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास करेगा. लैंडिंग के लिए 23 अगस्त की तिथि निर्धारित की गई है. भारत समेत दुनिया के कई देश भारत के मिशन चंद्रमा पर टकटकी लगाये बैठे हैं. अगर चांद पर लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग हो जाती है तो न सिर्फ भारत उन चुनिंदा देशों में शुमार हो जाएगा जिन्होंने चांद पर फतेह हासिल किया है, बल्कि इससे चांद के कई और रहस्य से भी पर्दा उठ जाएगा. साथ ही भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम कई कदम आगे बढ़ जाएगा.

Also Read: Rahul Gandhi: ‘आज नहीं तो कल सच्चाई की होनी थी जीत’, सजा पर रोक के बाद पहली बार मीडिया से बोले राहुल गांधी

चंद्रयान-3 चांद पर करेगा बड़ा रिसर्च

चंद्रयान-3 अपने साथ छह उपकरण ले गया है जो चंद्रमा की मिट्टी से संबंधित समझ बढ़ाने में मदद करेगा. साथ ही चंद्र कक्षा से नीले ग्रह की तस्वीरें लेने में इसरो की सहायता करेगा. भारत के इस तीसरे चंद्र मिशन का लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करना है, जो भविष्य के अंतर-ग्रहीय अभियानों के लिए रास्ता साफ करेगा. उपकरणों में ‘रंभा’ और ‘इल्सा’ भी शामिल हैं, जो 14-दिवसीय मिशन के दौरान सिलसिलेवार ढंग से ‘पथ-प्रदर्शक’ प्रयोगों को अंजाम देंगे. ये चंद्रमा के वायुमंडल का अध्ययन करेंगे और इसकी खनिज संरचना को समझने के लिए सतह की खुदाई करेंगे. मिशन अगर कामयाब होता है तो यह भारत के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि होगी. 

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें