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Chandrayaan-3 Updates: अब किस हाल में है चंद्रयान-3? इसरो ने दी ये ताजा जानकारी

Chandrayaan-3 Updates: चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) की लॉन्चिंग के बाद लोगों के मन में कई सवाल आ रहे हैं. इनमें से एक सवाल यह है कि आखिर अभी चंद्रयान-3 किस हाल में है. तो जानें इसरो ने क्या जानकारी दी है

Chandrayaan-3 Updates: चंद्रयान-3 इस वक्त किस हाल में हैं? इस सवाल का जवाब हर कोई जानना चाहता है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) इसको लेकर लगातार जानकारी दे रहा है. ताजा जानकारी के अनुसार वैज्ञानिकों ने ‘चंद्रयान-3’ को चंद्रमा की कक्षा में ऊपर उठाने की पांचवीं कवायद मंगलवार को सफलतापूर्वक पूरी कर ली है. यह कार्य बेंगलुरु में इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क (आईएसटीआरएसी) से किया गया.

इसरो की ओर से जो जानकारी दी गयी है उसके अनुसार, यान के 127609 किलोमीटर X 236 किलोमीटर की कक्षा में पहुंचने की उम्मीद है. आपको बता दें कि चंद्रयान-3 ने 14 जुलाई को चंद्रमा की सतह के लिए उड़ान भरी थी. इसरो ने कहा कि चंद्रयान को कक्षा में ऊपर उठाने की अगली प्रक्रिया ‘ट्रांसलूनर इंजेक्शन (टीएलआई)’ एक अगस्त 2023 को मध्य रात्रि 12 बजे से एक बजे के बीच की जाएगी.

गौर हो कि इससे पहले 20 जुलाई को ऑर्बिट 71351 Km x 233 Km की गयी थी. अब स्पेसक्राफ्ट 31 जुलाई और 1 अगस्त की मध्यरात्रि स्लिंग शॉट के जरिए पृथ्वी की कक्षा छोड़कर चंद्रमा की ओर बढ़ जाएगा और 5 अगस्त को चंद्रमा की ऑर्बिट में पहुंच जाएगा. 23 अगस्त को ये चंद्रमा पर लैंड करता नजर आ सकता है.

अब तक का चंद्रयान-3 के सफर पर एक नजर

-14 जुलाई को चंद्रयान-3 को 170 km x 36500 km के ऑर्बिट में छोड़ने का काम इसरो की ओर से किया गया था.

-15 जुलाई को पहली बार ऑर्बिट बढ़ाकर 41762 km x 173 km कर दिया गया.

-17 जुलाई को दूसरी बार ऑर्बिट बढ़ाकर 41603 km x 226 km कर दिया गया.

-18 जुलाई को तीसरी बार ऑर्बिट बढ़ाकर 51400 km x 228 km कर दिया गया.

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-20 जुलाई को चौथी बार ऑर्बिट बढ़ाकर 71351 x 233 Km कर दिया गया.

-25 जुलाई को पांचवी बार ऑर्बिट बढ़ाकर 127609 km x 236 km कर दिया गया.

जो जानकारी है उसके अनुसार 31 जुलाई और 1 अगस्त की मध्यरात्रि पृथ्वी की कक्षा छोड़कर चंद्रमा की ओर बढ़ जाएगा.

इसरो के चंद्रयान मिशन के घटनाक्रम पर एक नजर

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चंद्रमा तक पहुंचने के मिशन का घटनाक्रम इस प्रकार है-

-15 अगस्त 2003 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने चंद्रयान कार्यक्रम का ऐलान किया.

-22 अक्टूबर 2008 को चंद्रयान-1 ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरी थी.

-आठ नवंबर 2008 को चंद्रयान-1 ने प्रक्षेपवक्र पर स्थापित होने के लिए चंद्र स्थानांतरण परिपथ (लुनर ट्रांसफर ट्रेजेक्ट्री) में प्रवेश किया.

-14 नवंबर 2008 को चंद्रयान-1 चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव के समीप दुर्घटनाग्रस्त हो गया लेकिन उसने चांद की सतह पर पानी के अणुओं की मौजूदगी की पुष्टि कर दी थी.

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-28 अगस्त 2009 को इसरो के अनुसार चंद्रयान-1 कार्यक्रम की समाप्ति हुई.

-22 जुलाई 2019 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण किया गया था.

-20 अगस्त 2019 को चंद्रयान-2 अंतरिक्ष यान चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर गया.

-दो सितंबर 2019 को चंद्रमा की ध्रुवीय कक्षा में चांद का चक्कर लगाते वक्त लैंडर ‘विक्रम’ अलग हो गया था लेकिन चांद की सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर लैंडर का जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया था.

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-14 जुलाई 2023 को चंद्रयान-3 ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरी है जिसकी जानकारी लगातार इसरो दे रहा है.

-23/24 अगस्त 2023 को इसरो के वैज्ञानिकों ने 23-24 अगस्त को चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग की योजना तैयार की है जिससे भारत इस उपलब्धि को हासिल करने वाले देशों की फेहरिस्त में शामिल हो जाएगा.

चंद्रयान-3 अपने साथ छह उपकरण ले गया है जो चंद्रमा की मिट्टी से संबंधित समझ बढ़ाने में मदद करेगा. साथ ही चंद्र कक्षा से नीले ग्रह की तस्वीरें लेने में इसरो की सहायता करेगा. भारत के इस तीसरे चंद्र मिशन का लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करना है, जो भविष्य के अंतर-ग्रहीय अभियानों के लिए रास्ता साफ करेगा. उपकरणों में ‘रंभा’ और ‘इल्सा’ भी शामिल हैं, जो 14-दिवसीय मिशन के दौरान सिलसिलेवार ढंग से ‘पथ-प्रदर्शक’ प्रयोगों को अंजाम देने का काम करेगा.. ये चंद्रमा के वायुमंडल का अध्ययन करेंगे और इसकी खनिज संरचना को समझने के लिए सतह की खुदाई करेंगे.

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