चंद्रयान-3 में इस्तेमाल होने वाला रोवर का नाम प्रज्ञान है. यह एक छोटा, चार पहिया वाला रोवर है जिसका वजन लगभग 26 किलोग्राम है. इसका आकार एक छोटी कार के बराबर है. लैंडिंग के करीब 15 से 30 मिनट बाद लैंडर का दरवाजा खुलेगा और अंदर से प्रज्ञान रोवर बाहर निकलेगा. रोवर एक पहिए वाली डिवाइस या व्हीकल है जो एक जगह से दूसरी जगह जा सकती है. इसका काम होता है इधर-उधर जाकर जगह को एक्सप्लोर करना. रिसर्च करना.
प्रज्ञान में कई उपकरण हैं जो इसे चंद्रमा की सतह पर वैज्ञानिक प्रयोग करने में सक्षम बनाते हैं. इनमें शामिल हैं:
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एक रडार, जो चंद्रमा की सतह की गहराई और संरचना को माप सकता है.
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एक स्पेक्ट्रोमीटर, जो चंद्रमा की सतह के रसायनों का पता लगा सकता है.
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एक कैमरा, जो चंद्रमा की सतह की तस्वीरें ले सकता है.
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एक लेजर, जो चंद्रमा की सतह की दूरी को माप सकता है.
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प्रज्ञान को चंद्रमा की सतह पर 14 दिनों तक चलने के लिए डिज़ाइन किया गया है.
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यह चंद्रमा की सतह पर 5 किलोमीटर तक की दूरी तय कर सकता है.
प्रज्ञान का उपयोग चंद्रमा की सतह की संरचना, रसायन विज्ञान और भूविज्ञान का अध्ययन करने के लिए किया जाएगा. यह चंद्रमा पर पानी की संभावना का भी पता लगाने में मदद करेगा. प्रज्ञान को चंद्रयान-3 विक्रम लैंडर के साथ चंद्रमा पर भेजा गया है. लैंडर चंद्रमा की सतह पर उतरेगा और रोवर को छोड़ देगा. रोवर तब चंद्रमा की सतह पर वैज्ञानिक प्रयोग करना शुरू कर देगा. प्रज्ञान चंद्रमा पर भारत का पहला रोवर होगा. यह भारत के चंद्र अन्वेषण कार्यक्रम के लिए एक महत्वपूर्ण कदम होगा.
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अल्फा कण एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (APXS): यह उपकरण चंद्रमा की सतह के तत्वों और यौगिकों का पता लगाने के लिए उपयोग किया जाता है. यह चंद्रमा की सतह के खनिज विज्ञान और भूविज्ञान का अध्ययन करने में मदद करता है.
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लेज़र इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (LIBS): यह उपकरण चंद्रमा की सतह के रसायनों का पता लगाने के लिए उपयोग किया जाता है. यह चंद्रमा की सतह की रसायन विज्ञान और भूविज्ञान का अध्ययन करने में मदद करता है.
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कैमरा: यह कैमरा चंद्रमा की सतह की तस्वीरें लेने के लिए उपयोग किया जाता है. यह चंद्रमा की सतह की संरचना और भूविज्ञान का अध्ययन करने में मदद करता है.
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लेजर: यह लेजर चंद्रमा की सतह की दूरी को मापने के लिए उपयोग किया जाता है. यह चंद्रमा की सतह की बनावट और गहराई का अध्ययन करने में मदद करता है.
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आकार: 1.7 मीटर लंबा, 1.4 मीटर चौड़ा और 1.1 मीटर ऊंचा
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वजन: 26 किलोग्राम
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ऊर्जा स्रोत: सोलर पैनल
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गति: 1 सेमी/सेकंड
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विरासत: चंद्रयान-3
प्रज्ञान रोवर को चंद्रमा की सतह पर 14 दिनों तक चलने के लिए डिज़ाइन किया गया है. यह चंद्रमा की सतह पर 5 किलोमीटर तक की दूरी तय कर सकता है. प्रज्ञान रोवर का उपयोग चंद्रमा की सतह की संरचना, रसायन विज्ञान और भूविज्ञान का अध्ययन करने के लिए किया जाएगा. यह चंद्रमा पर पानी की संभावना का भी पता लगाने में मदद करेगा. प्रज्ञान रोवर को चंद्रयान-3 लैंडर के साथ चंद्रमा पर भेजा जाएगा. लैंडर चंद्रमा की सतह पर उतरेगा और रोवर को छोड़ देगा. रोवर तब चंद्रमा की सतह पर वैज्ञानिक प्रयोग करना शुरू कर देगा. प्रज्ञान रोवर चंद्रमा पर भारत का पहला रोवर होगा. यह भारत के चंद्र अन्वेषण कार्यक्रम के लिए एक महत्वपूर्ण कदम होगा.
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