पठानकोट/नई दिल्ली : पठानकोट की एक सत्र अदालत जम्मू-कश्मीर के कठुआ में 2018 में एक नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार और उसकी हत्या के मामले के मुख्य आरोपी शुभम सांगरा के खिलाफ आरोप तय करने को लेकर सोमवार को दलीलें सुनेगी. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद यह मुकदमा जम्मू क्षेत्र के कठुआ से पंजाब के पठानकोट स्थानांतरित कर दिया गया था. इससे पहले, सर्वोच्च अदालत ने 2022 में घोषणा की थी कि अपराध के समय सांगरा किशोर नहीं था और उस पर वयस्क के रूप में मुकदमा चलाया जाना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के आदेश को किया रद्द
सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के 27 मार्च, 2018 के उस आदेश को रद्द कर दिया था, जिसमें कहा गया था कि शुभम सांगरा को किशोर आरोपी माना जाएगा. इसके बाद, जम्मू-कश्मीर पुलिस की अपराध शाखा ने कठुआ अदालत में शुभम सांगरा के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था. इससे पहले आरोपपत्र किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष दाखिल किया गया था. अपहरण और अवैध रूप से बंधक बनाने के अलावा आरोपपत्र में शुभम सांगरा पर भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) और 376 (बलात्कार) के तहत आरोप लगाया गया है.
26 जून को आरोप होगा तय
मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, 17 जून को मामले की पिछली सुनवाई के दौरान सत्र न्यायाधीश जतिंदर पाल सिंह खुरमी ने अपने एक पन्ने के आदेश में कहा कि सभी मूल रिकॉर्ड अदालत को प्राप्त हो गए हैं और अब, आरोप तय करने के बिंदु पर विचार के लिए मामले को 26 जून 2023 तक के लिए स्थगित किया जाता है. शुभम सांगरा को कठुआ जेल से पठानकोट की उप-जिला जेल में स्थानांतरित किया गया है.
10 जनवरी, 2018 वारदात को दिया गया अंजाम
बताते चलें कि 10 जनवरी, 2018 को नाबालिग लड़की का अपहरण कर उसे बंधक बनाकर बलात्कार किया गया और बाद में उसकी हत्या कर दी गई. इस मामले की क्रूरता ने देश को झकझोर कर रख दिया था. मामले में शुभम सांगरा समेत आठ लोगों को आरोपी बनाया गया था. सात आरोपियों के खिलाफ मामला सात मई, 2018 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जम्मू-कश्मीर से बाहर पठानकोट स्थानांतरित कर दिया गया था.
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तीन आरोपी को आजीवन कारावास की सजा
विशेष अदालत ने 10 जून, 2019 को तीन आरोपी ‘देवस्थानम’ (मंदिर, जहां अपराध हुआ था) के देखभालकर्ता एवं मुख्य साजिशकर्ता सांजी राम और विशेष पुलिस अधिकारी (एसपीओ) दीपक खजुरिया के अलावा परवेश कुमार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. वहीं, तीन अन्य आरोपी पुलिस उपनिरीक्षक आनंद दत्त, हेड कांस्टेबल तिलक राज और एसपीओ सुरेंद्र वर्मा को सबूत नष्ट करने का दोषी ठहराया गया और प्रत्येक को पांच साल की जेल और 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया. वे पैरोल पर बाहर हैं. सातवें आरोपी एवं सांजी राम के बेटे विशाल जंगोत्रा को बरी कर दिया गया है.