देश के शीर्ष उद्योगपतियों में शामिल अनिल अंबानी अपने वकीलों को फीस देने के लिए गहने बेच रहे हैं. कभी आराम की जिंदगी जीने वाले अनिल अंबानी आज एक साधारण जीवन जी रहे हैं और उनके पास इस्तेमाल करने के लिए केवल एक ही कार है. कर्ज के बोझ में पूरी तरह से दबे हुए हैं. यह सब बातें उन्होंने खुद यूके के एक कोर्ट में बतायी है.
अनिल अंबानी ने कोर्ट में बताया कि वर्ष 2020 में जनवरी से जून के बीच उन्होंने 9.9 करोड़ रुपये के गहने बेचे हैं. इसके बाद अब उनके पास कुछ भी कीमती सामान नहीं बचा है. मीडिया में आ रही लक्जरी कार की खबरों को उन्होंने अफवाह बताया है. उन्होंने स्पष्ट कहा कि उनके पास सिर्फ एक कार है जिसका वो इस्तेमाल करते हैं.
इससे पहले यूके हाइकोर्ट ने अंनिल अंबानी से कहा था कि वो 12 जून तक चीन के तीन बैंको को 5281 करोड़ रुपये का भुगातन करें साथ ही कानूनी खर्च के तौर पर सात करोड़ रुपये का भी भुगतान करना होगा. इसके बाद 15 जून को इंडस्ट्रियल ऐंड कमर्शल बैंक ऑफ चाइना की अगुआई में चीनी बैंकों ने अनिल अंबानी की संपत्तियों का खुलासा करने की मांग की थी.
अनिंल अंबानी मे इससे पहले अपनी संपत्तियों का खुलासा किया था. ऐफिडेविट के उनके संपत्ति की कीमत 1,00,000 लाख डॉलर (करीब 74 लाख रुपये) से ज्यादा है. ऐफिडेविट मे अनिल से यह भी पूछा गया था कि क्या उनकी इस संपत्ति में किसी और की भी भागीदारी है.
कोर्ट में जमा किये गये ऐफिडेविट में अंबानी ने बताया कि उन्होंने रिलायंस इनोवेंचर्स को 5 अरब रुपये का लोन दिया है. और रिलायंस इनोवेंचर्स में 1.20 करोड़ इक्विटी शेयर की कोई कीमत नहीं है. उन्होंने कोर्ट को बताया कि बताया कि अपने पारिवारिक ट्रस्ट समेत दुनियाभर के किसी भी ट्रस्ट में उनका कोई आर्थिक हित नहीं है.
कोर्ट में अंबानी ने यह स्वीकार किया कि एक समय वो भारत के सबसे धनी लोगों में शामिल थे, उन्होंने बताया कि उन्होंने 2019-20 में रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर से कोई प्रफेशनल फीस नहीं ली और जिस तरह के हालात हैं, उनसे नहीं लगता कि इस वर्ष भी कुछ मिलने वाला है.
अनिल अंबानी ने कोर्ट में कहा कि उनका खर्च बहुत कम है. उनकी पत्नी और परिवार के लोग उनके खर्च का वहन करते हैं. वो एक साधारण सी जिंदगी जीते हैं और उनके पास कमाई का कोई जरिया नहीं है. कानूनी खर्च जुटाने के लिए वो गहने बेच रहे हैं. बाकी खर्च के लिए कोर्ट से दूसरी संपत्ति बेचने के लिए आदेश लेना होगा.
Posted By: Pawan Singh