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CJI यूयू ललित का आखिरी दिन, EWS कोटा समेत इन छह अहम मुद्दों पर सुना सकते है फैसला, जानिए कैसा रहा सफर?

CJI यूयू ललित: सोमवार को जस्टिस सामान्य वर्ग के आर्थिक गरीब को 10 प्रतिशत आरक्षण दिया जा सकता है या नहीं, इस मामले पर अपना फैसला सुनाएंगे. जानकारी हो कि यह आरक्षण संविधान के 103वें संसोधन के जरिए लाया गया है. साथ ही इस संशोधन एक्ट, 2019 से संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में उपबंध 6 को जोड़ा गया

CJI यूयू ललित: भारत के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का आज यानी सोमवार को आखिरी दिन है. ऐसे में जस्टिस उदय उमेश ललित सोमवार को छह अहम मामलों पर फैसला सुनाएंगे. जानकारी हो कि मंगलवार आठ नवंबर को वह सेवनिवृत्त हो जाएंगे. ऐसे में उनके बाद देश के अगले मुख्य न्यायाधीश आठ नवंबर को ही दूसरे वरिष्ठतम जज जस्टिस डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ बनेंगे. जस्टिस उदय उमेश ललित आज छह फैसले सुनाएंगे जिसमें से चार फैसले सामान्य बताए जा रहे है वहीं, दो मुद्दे अहम है. बताया जा रहा है कि अफसरों पर कार्रवाई के लिए भी जस्टिस ललित सोमवार को सुनवाई करेंगे.

10 प्रतिशत आरक्षण मामले पर आ सकता है फैसला

मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आज यानि सोमवार को जस्टिस सामान्य वर्ग के आर्थिक गरीब को 10 प्रतिशत आरक्षण दिया जा सकता है या नहीं, इस मामले पर अपना फैसला सुनाएंगे. जानकारी हो कि यह आरक्षण संविधान के 103वें संसोधन के जरिए लाया गया है. साथ ही इस संशोधन एक्ट, 2019 से संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में उपबंध 6 को जोड़ा गया. जानकारी हो कि इसे असंवैधानिक बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गयी है. साथ ही बताया जा रहा है कि दूसरा फैसला आम्रपाली आवासीय योजना के खरीदारों को फ्लैट दिलवाने या उनका पैसे देने पर है. साथ ही बाकी बचे चार फैसले सामान्य हैं.

सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री के कई अफसरों पर कार्रवाई

बात अगर करें जस्टिस उदय उमेश ललित के बारे में तो उन्होंने सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री के कई अफसरों को बाहर का रास्ता दिखाया जो रिटायर होने बाद भी एक्स्टेंशन पर चल रहे थे. वहीं, इन्होंने पूर्व मुख्य न्यायाधीश द्वारा प्रतिनियुक्ति पर रखे अफसरों को भी हटाया. ये तमाम चीजें इनकी उपलब्धि में शामिल हो सकती है.

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जस्टिस ललित का 72 दिन का कार्यकाल

जानकारी हो कि जस्टिस ललित का कार्यकाल बहुत ही छोटा रहा. अपने 72 दिन के कार्यकाल में जिस फैसले के लिए जस्टिस ललित सबसे अधिक जाने जाएंगे वह है रजिस्ट्री को दुरुस्त करना, केसों के सूचीबद्ध करने की व्यवस्था में परिवर्तन और कोलेजियम (उच्च न्यायपालिका में जजों के चयन मंडल) की कार्यशैली में पारदर्शिता लाना. बता दें कि जस्टिस ललित ने कोलेजियम के निर्णय को सार्वजनिक किया जो कि अभी तक नहीं किये जा रहे थे. केस को नए सिरे से सूचीबद्ध करने का कुछ मौजूदा जज ने खुली कोर्ट में विरोध भी किया और कहा कि नई प्रणाली से उन्हें नए केसों की सुनवाई का समय नहीं मिल पा रहा है.

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