त्रिपुरा हिंसा के विरोध में आयोजित विरोध प्रदर्शन के दौरान महाराष्ट्र में हुई हिंसा के बाद पुणे जिला प्रशासन ने सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट करने को प्रतिबंधित कर दिया है और जिले में निषेधाज्ञा लागू कर दी है.
इंडिया टुडे के अनुसार जिला प्रशासन के एक अधिकारी ने बताया कि पुणे के जिला कलेक्टर राजेश देशमुख ने आज आदेश जारी किया जिसमें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ऐसे संदेश और पोस्ट अपलोड करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया जो समाज में सांप्रदायिक तनाव को भड़का सकते हैं. साथ ही निषेधाज्ञा भी लागू है.
पुणे में निषेधाज्ञा 14 नवंबर की मध्यरात्रि से 20 नवंबर तक लागू रहेगा. जिसके तहत पांच या अधिक लोगों की सभा करने होर्डिंग और पोस्टर लगाने पर प्रतिबंध रहेगा जो सांप्रदायिक तनाव पैदा कर सकते हैं. इस आदेश का उल्लंघन करने वाले वालों पर आईपीसी की धारा 188 के तहत मुकदमा चलाया जाएगा.
गौरतलब है कि त्रिपुरा में हुई सांप्रदायिक हिंसा के विरोध में महाराष्ट्र में विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया गया था. इस विरोध प्रदर्शन के बाद भाजपा ने प्रदेश में बंद का आह्वान किया था, उसी दौरान कुछ जिलों में पथराव की घटना हुई, जिसने हिंसक रूप ले दिया और अमरावती और नांदेड़ जिलों में जमकर हिंसा हुई. इस हिंसा का अन्य जिलों में प्रसार ना हो इसके लिए पुणे प्रशासन ने यह निर्णय किया है.
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विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने रविवार को रजा अकादमी पर प्रतिबंध लगाने की मांग करते हुए कहा कि वह दंगाइयों के खिलाफ विभिन्न थानों में प्राथमिकी भी दर्ज कराएगी. वहीं रजा अकादमी का कहना है कि उसने विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया था, उसने किसी को हिंसा करने के लिए नहीं कहा था, फिर हिंसा के बाद उसपर क्यों आरोप लगाया जा रहा है.
अमरावती में हिंसक घटना के बाद चार दिन का कर्फ्यू लगा दिया गया है. साथ ही इंटरनेट सेवा भी बंद है. चिकित्सा आपात स्थिति को छोड़कर लोगों को अपने घरों से बाहर निकलने की अनुमति नहीं है. इसी तरह, पांच से अधिक लोगों को एक जगह पर जमा होने की इजाजत भी नहीं है.
Posted By : Rajneesh Anand