14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Explainer: मुख्यमंत्रियों को बदलने में माहिर है कांग्रेस, अशोक गहलोत ने खुर्राटों की चाल पर फेरा पानी

राजस्थान में रविवार को वर्ष 2008 में यहां से करीब 2227 किलोमीटर दूर स्थित पुडुचेरी की पटकथा को दोहराया जा रहा था. वर्ष 2008 में पुडुचेरी में कांग्रेस के मुख्यमंत्री एन रंगास्वामी को उनके पद से जबरन हटा दिया गया था.

नई दिल्ली : राजस्थान में मुख्यमंत्री बदलने में कांग्रेस पूरी तरह से माहिर है और यह उसकी पुरानी परंपरा भी रही है. हालांकि, रविवार को राजस्थान में अशोक गहलोत को हटाकर सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने के लिए जो कुछ भी हुआ, उससे राज्य में राजनीतिक संकट खड़ा हो गया है. लेकिन, अशोक गहलोत ने भी 82 विधायकों का इस्तीफा दिलाकर आलाकमान पूरी तरह से हिलाकर रख दिया. सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनने से रोकने के लिए अशोक गहलोत ने अपनी पूरी ताकत लगा दी. हालांकि, उनके इस शक्ति प्रदर्शन को आलाकमान के खिलाफ माना जा रहा है, लेकिन अशोक गहलोत ने सचिन पायलट की मुख्यमंत्री के तौर पर ताजपोश कराने में जुटे कांग्रेस के खुर्राट नेताओं की चाल पर पूरी तरह से पानी फेर दिया.

माकन और खड़गे बैरंग लौट गए दिल्ली

इतना ही नहीं, रविवार की शाम को 82 विधायकों के इस्तीफे के बाद पैदा हुए राजनीतिक संकट की वजह से पर्यवेक्षकों के साथ विधायकों की प्रस्तावित बैठक भी नहीं हो सकी और राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे को बैरंग दिल्ली वापस लौटना पड़ा. इस ताजा घटनाक्रम में यह बात उभरकर सामने आ गई कि राजस्थान में कांग्रेस को बदलना कांग्रेस के लिए आसान नहीं है. इसका कारण यह है कि राजनीतिक आकांक्षाएं, मजबूत दावेदार और सत्ता का हस्तांतरण कांग्रेस की राह में रोड़े अटका रहे हैं.

अशोक गहलोत ने खुर्राट नेताओं की चाल पर ऐसे फेरा पानी

मीडिया की रिपोर्ट की मानें तो राजस्थान में रविवार को वर्ष 2008 में यहां से करीब 2227 किलोमीटर दूर स्थित पुडुचेरी की पटकथा को दोहराया जा रहा था. वर्ष 2008 में पुडुचेरी में कांग्रेस के मुख्यमंत्री एन रंगास्वामी को उनके पद से जबरन हटा दिया गया था. उनके हटाए जाने के बाद पार्टी आलाकमान के पसंदीदा उम्मीदवार वी वैथिलिंगम को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाया गया था. रविवार को राजस्थान के निवर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को हटाकर सचिन पायलट के ताजपोशी की तैयारी की जा रही थी, क्योंकि अशोक गहलोत को कांग्रेस के अध्यक्ष पद का उम्मीदवारा मान लिया गया था. सचिन पायलट राजस्थान के मुख्यमंत्री के तौर पर पार्टी आलाकमान के पसंदीदा नेता बताए जा रहे हैं. इस बात की भनक लगते ही अशोक गहलोत ने शक्ति प्रदर्शन करते हुए पार्टी के खुर्राट नेताओं की चाल पर पानी फेर दिया.

मुख्यमंत्रियों को बदलने में माहिर है कांग्रेस

अगर मुख्यमंत्रियों के बदलने में कांग्रेस की महारत की बात करें, तो वर्ष 2008 में उसने पुडुचेरी में एन रंगास्वामी को उनके पद से जबरन हटाकर वी वैथिलिंगम को मुख्यमंत्री बना दिया था. इसके बाद वर्ष 2011 में रंगास्वामी ने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी और एनआर कांग्रेस का गठन किया. नई पार्टी के गठन करने के बाद वे सत्ता में भी आए. रंगास्वामी केंद्र शासित प्रदेश (भाजपा के साथ साझेदारी में) के वर्तमान सीएम हैं. हालांकि, वर्ष 2020 में कांग्रेस की सरकार बीच में ही गिर गई थी और पुडुचेरी में राष्ट्रपति शासन लगाया गया था. मुख्यमंत्री पद के मुद्दे पर कांग्रेस ने पिछले कुछ वर्षों में कम से कम तीन लोकप्रिय युवा नेताओं को खो दिया है.

आंध्र प्रदेश में जगनमोहन रेड्डी को नहीं दी तवज्जो

इतना ही नहीं, वर्ष 2009 में आंध्र प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी की जब एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मौत हो गई, तो कांग्रेस ने उनके बेटे जगनमोहन रेड्डी को मुख्यमंत्री बनाने के बजाय रोसैया को अविभाजित आंध्र प्रदेश का मुख्यमंत्री नियुक्त किया. जब कांग्रेस ने जगनमोहन रेड्डी की राज्य में यात्रा करने की अपील को खारिज कर दिया, तो उन्होंने कांग्रेस छोड़ दिया और अपनी अलग पार्टी बनाई और आज वे वर्ष 2019 से आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं.

कांग्रेस ने ज्योतिरादित्य सिंधिया से धोया हाथ

इसी तरह, मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 2017 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसने 15 साल के अंतराल के बाद राज्य में पार्टी को सत्ता में लाया था. हालांकि, हाईकमान ने उनके वैध दावों की अनदेखी की और कमलनाथ को मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बना दिया. दो साल बाद सिंधिया के भाजपा में आने के बाद मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिर गई. बाद में ज्योतिरादित्य सिंधिया केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल कर लिये गए.

Also Read: राजस्थान में हो सकता है सत्ता परिवर्तन, सीएम अशोक गहलोत आवास पर विधायक दल की बैठक आज
पंजाब में मिली पटखनी

इसके बाद, कांग्रेस को पंजाब में भी जोरदार पटखनी मिली है. क्रिकेटर से राजनेता बने पंजाब के पूर्व पार्टी अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के बागी तेवर के बाद कांग्रेस ने तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को बदलकर दलित समुदाय के नेता चरणजीत सिंह चन्नी की ताजपोशी कर दी, लेकिन इससे कांग्रेस को नुकसान ही हुआ. विधानसभा चुनाव से पहले ही पंजाब कांग्रेस में सिर-फुटौव्वल शुरू हो गया, जिसका नतीजा यह निकला कि पंजाब में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें