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Explainer : कांग्रेस पीएसजी की बैठक में यूसीसी और विपक्षी एकता पर हो सकता है बड़ा फैसला

कांग्रेस ने एक जुलाई 2023 को ही समान नागरिक संहिता पर अपना रुख पर साफ कर दिया था. सोनिया गांधी के आवास पर हुई बैठक के बाद कांग्रेस ने स्पष्ट लहजे में कहा था कि इस समय समान नागरिक संहिता को लाने का कोई मतलब नहीं है. अगर इस मुद्दे पर मसौदा विधेयक या रिपोर्ट आती है, तो वह इस पर आगे टिप्पणी करेगी.

नई दिल्ली : संसद के मानसून सत्र से पहले दिल्ली में शनिवार को कांग्रेस के संसदीय रणनीति समूह (पीएसजी) की बैठक आयोजित होने जा रही है. यह बैठक शनिवार की शाम पांच बजे सोनिया गांधी के आवास पर आयोजित की जाएगी. संभावना यह जाहिर की जा रही है कि सोनिया गांधी के आवास पर कांग्रेस पीएसजी की बैठक में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) और विपक्षी एकता पर बड़ा फैसला हो सकता है. हालांकि, कांग्रेस ने एक जुलाई को ही पीएसजी की बैठक में यह साफ कर दिया है कि समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर फिलहाल वह ‘वेट एंड वाच’ के रुख पर कायम है. इसके साथ ही, उसने यह भी कहा था कि संसद के मानसून सत्र में समान नागरिक संहिता के किसी मसौदे पर सरकार चर्चा कराती है, तो वह उसमें शामिल होगी.

पीएसजी की बैठक में इन मुद्दों पर होगी चर्चा

मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, संसद के आगामी मानसून सत्र में उठाए जाने वाले मुद्दों पर चर्चा करने के लिए कांग्रेस संसदीय रणनीति समूह की बैठक आज शनिवार 15 जुलाई को संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) अध्यक्ष सोनिया गांधी के आवास पर होने वाली है. बताया जा रहा है कि पहले यह बैठक 16 जुलाई को होने वाली थी. इतना ही नहीं, यह बैठक 17 से 18 जुलाई को कर्नाटक के बेंगलुरु में कांग्रेस द्वारा बुलाई जा रही दूसरी विपक्षी एकता बैठक से पहले होगी. सबसे पुरानी पार्टी द्वारा उठाए जाने वाले कई मुद्दों पर चर्चा होगी, जिसमें मणिपुर हिंसा, बढ़ती मुद्रास्फीति और बेरोजगारी शामिल है. बता दें कि मानसून सत्र 11 अगस्त तक चलने वाला है.

राहुल गांधी के मसले पर भी हो सकती है चर्चा

कांग्रेस पीएसजी की यह बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें गुजरात हाईकोर्ट के हालिया आदेश पर भी चर्चा होगी, जिसमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ‘मोदी उपनाम’ टिप्पणी पर आपराधिक मानहानि मामले में उनकी सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया गया है. गुजरात हाईकोर्ट ने 8 जुलाई को सत्र न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा और राहुल गांधी को कोई अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया. कांग्रेस नेता ने 25 अप्रैल को सूरत सत्र अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए गुजरात हाईकोर्ट का रुख किया था, जिसने आपराधिक मानहानि मामले में उनकी सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. सूरत सत्र अदालत ने 20 अप्रैल को आपराधिक मानहानि मामले में निचली अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने पर रोक लगाने की राहुल गांधी की याचिका खारिज कर दी थी.

राहुल गांधी के मुद्दे पर गुजरात हाईकोर्ट ने क्या दिया फैसला

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रॉबिन पी मोगेरा ने अपने फैसले में एक सांसद और देश की दूसरी सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के पूर्व प्रमुख के रूप में राहुल गांधी के कद का हवाला दिया था और कहा था कि उन्हें अधिक सावधान रहना चाहिए था. उन्होंने प्रथम दृष्टया सबूतों और ट्रायल कोर्ट की टिप्पणियों का हवाला दिया और कहा कि यह पता चलता है कि राहुल गांधी ने समान उपनाम वाले लोगों की तुलना चोरों से करने के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ कुछ अपमानजनक टिप्पणियां कीं. उन्होंने जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत अयोग्यता मानदंडों का हवाला दिया और कहा कि सांसद के रूप में निष्कासन या अयोग्यता को गांधी के लिए अपरिवर्तनीय या अपूरणीय क्षति या क्षति नहीं कहा जा सकता है. आपराधिक मानहानि मामले में निचली अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद, राहुल गांधी को लोकसभा सांसद के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था। वह केरल के वायनाड से लोकसभा के लिए चुने गए थे.

संसद में सरकार को घेरने की तैयारी

कांग्रेस ने एक जुलाई 2023 को ही समान नागरिक संहिता पर अपना रुख पर साफ कर दिया था. सोनिया गांधी के आवास पर हुई बैठक के बाद कांग्रेस ने स्पष्ट लहजे में कहा था कि इस समय समान नागरिक संहिता को लाने का कोई मतलब नहीं है. अगर इस मुद्दे पर मसौदा विधेयक या रिपोर्ट आती है, तो वह इस पर आगे टिप्पणी करेगी. पार्टी आलाकमान अपनी संसदीय रणनीति समूह की बैठक में 20 जुलाई से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र के दौरान उठाए जाने वाले विभिन्न मुद्दों पर कर चुका है. हालांकि, संसद के मानसून सत्र के दौरान कांग्रेस मणिपुर हिंसा, पहलवानों के विरोध, महंगाई, बढ़ती बेरोजगारी और विभिन्न राज्यपालों के आचरण के तरीके जैसे मुद्दों पर सरकार को घेरने की तैयारी में है.

यूसीसी पर पहले ही आपत्ति जता चुकी है कांग्रेस

मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, पिछली तीन जुलाई, 2023 को समान नागरिक संहिता को लेकर ससंदीय समिति की बैठक आयोजित की गई थी, जिसमें सरकार की ओर से कहा गया था कि उस दिन तक करीब 19 लाख लोग समिति को इस संबंध में अपने सुझाव भेज चुके हैं. बैठक के दौरान कुछ सदस्‍यों ने सरकार पर आरोप लगाए कि जल्‍दबाजी मे इसे लाया जा रहा है. समिति के कुछ सदस्यों का कहना था कि सिर्फ एक फैमिली लॉ नहीं बनाया जाना चाहिए. यह समाज के हर धर्म, जाति, समुदाय से जुड़ा हुआ मामला है. लिहाजा इसको ध्यान में रखना जरूरी है. बताया गया कि इस मुद्दे पर समिति अभी कोई फैसला या आदेश नहीं दे रही है. बैठक में शिवसेना, बसपा और टीआरएस ने समान नागरिक संहिता का विरोध किया. संसदीय स्थाई समिति (कानून एवं न्याय) की बैठक में कांग्रेस नेता विवेक तनखा ने कुछ बिंदुओं पर आपत्ति जताई. उन्‍होंने कहा कि लॉ कमीशन ने खुद ही माना कि यह जरूरी नही, फिर लॉ कमीशन को सुनने का फायदा क्या है? कांग्रेस सांसद विवेक तंखा ने चिट्ठी में एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कई आपत्तियां बताई. रिपोर्ट में जो अलग-अलग समुदाय, धर्मों और क्षेत्रों में अलग-अलग पर्सनल लॉ का जिक्र किया इसके बारे में भी तंखा ने लिखा है.

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मसौदा आएगा तो चर्चा में लेंगे भाग

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने इस महीने की शुरुआत में ही कहा था कि पार्टी ने समान नागरिक संहिता पर अपना रुख 15 जून को ही स्पष्ट कर दिया था. उन्होंने कहा कि 15 जून को हमने एक बयान जारी किया था, लेकिन समान नागरिक संहिता पर रुख में कोई बदलाव नहीं आया है. उन्होंने कहा कि जब मसौदा और चर्चा होगी, तो हम इसमें भाग लेंगे और देखेंगे कि क्या प्रस्तावित है. अभी हमारे पास विधि आयोग के पास जवाब के लिए सार्वजनिक नोटिस है. कांग्रेस अपने बयान को दोहराती है, क्योंकि कुछ भी नया नहीं हुआ है.

एजेंसी इनपुट के साथ

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