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Congress:‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ मौजूदा संवैधानिक प्रावधान में नहीं है संभव 

केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम के मुताबिक संविधान के तहत ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ की नीति संभव नहीं है. मौजूदा समय में केंद्र सरकार के पास लोकसभा या राज्यसभा में ऐसे संवैधानिक संशोधन को पारित कराने के लिए पर्याप्त संख्या नहीं है.

Congress: वन नेशन वन इलेक्शन का मुद्दा एक बार फिर से जोर पकड़ रहा है. ऐसी खबरें हैं कि मौजूदा कार्यकाल में सरकार‘वन नेशन-वन इलेक्शन’को लेकर कोई अहम फैसला कर सकती है. सरकार की सहयोगी पार्टी जदयू ने खुलकर वन नेशन वन इलेक्शन की वकालत की है. केंद्र सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया था, जिसने वन नेशन वन इलेक्शन की जरूरत बताते हुए कई सिफारिशें की है. जिसमें एक पहचान पत्र, एक इलेक्टोरल रोल सहित पहले विधानसभा और लोकसभा, उसके बाद 100 दिनों के अंदर नगर पालिका और पंचायत चुनाव पूरे देश में एक साथ कराने की सिफारिश की है. लेकिन विपक्षी दल वन नेशन वन इलेक्शन को देश के लिए व्यावहारिक नहीं मान रहे हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम का कहना है कि मौजूदा प्रावधान के तहत देश में  ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ की नीति संभव नहीं है. इस कानून को लागू करने के लिए कम से कम पांच संवैधानिक संशोधन करना होगा. मौजूदा समय में केंद्र सरकार के पास लोकसभा या राज्यसभा में ऐसे संवैधानिक संशोधन को पारित कराने के लिए पर्याप्त संख्या नहीं है. . 

वन नेशन-वन इलेक्शन के खिलाफ है इंडिया गठबंधन


विपक्षी दल खासकर इंडिया गठबंधन में शामिल सभी दल वन नेशन वन इलेक्शन के विचार के खिलाफ हैं. विपक्षी दलों का कहना है भारत जैसे देश में ऐसा करना संभव नहीं है. केंद्र और राज्यों में कई बार गठबंधन की सरकार बनती है और ऐसे में अगर सरकार कार्यकाल पूरा नहीं कर पायी तो केंद्र और राज्य में सरकार का संचालन कैसे होगा, कौन करेगा और चुनाव कैसे होंगे. वहीं सरकार का मानना है कि वन नेशन वन इलेक्शन से संसाधनों की बचत होगी और देश को बार-बार चुनावों का सामना नहीं करना होगा. कोविंद समिति और विधि आयोग की रिपोर्ट का अध्ययन करने के लिए सरकार विधि विशेषज्ञों से सलाह के बाद एक कानून बना सकती है और यह कानून 2029 से लागू होने की संभावना है.  

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