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कांग्रेस ने 70 साल में लड़े 16 लोकसभा चुनाव पर नहीं लाए इतनी कम सीट

लोकसभा चुनाव 2024 में हैं. बीजेपी, कांग्रेस समेत सभी राजनीतिक दलों ने रणनीति बनाना शुरू कर दिया है. इस क्रम में हम आपको बताएंगे कि कब कांग्रेस ने सर्वाधिक लोकसभा जीतने का रिकॉर्ड बनाया था और कैसे इतनी बड़ी पार्टी की सीटें लगातार घट रही हैं.

लोकसभा चुनाव 2024 में हैं. बीजेपी, कांग्रेस समेत सभी राजनीतिक दलों ने रणनीति बनाना शुरू कर दिया है. इस क्रम में हम आपको बताएंगे कि कब कांग्रेस ने सर्वाधिक लोकसभा जीतने का रिकॉर्ड बनाया था और कैसे इतनी बड़ी पार्टी की सीटें लगातार घट रही हैं.

1984 में कांग्रेस ने इतिहास रचते हुए 415 लोकसभा सीटें अपने नाम की थीं जबकि 2019 आते-आते कांग्रेस मात्र 52 सीटों पर सिमट गई. आखिर इन सालों में ऐसा क्या हुआ, जो कांग्रेस को रसातल में लेकर चली गई.

साल 1984 लोकसभा चुनाव

वरिष्ठ पत्रकार दयानंद के मुताबिक 1984 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद अवाम की संवेदना गांधी परिवार से जुड़ गई थी, उस दौरान देश में आम चुनाव हुए और कांग्रेस ने अकेले 415 सीटों पर कब्जा जमाया. जहां एक ओर लोग इसे सहानुभूति की जीत के तौर पर ले रहे थे. वहीं, कुछ का कहना था कि सरकार के पहले के बेहतर कामकाज का यह परिणाम है. उस चुनाव में कुल 514 सीटों पर मतदान हुए, जिसमें कांग्रेस के खाते में सर्वाधिक 415 सीट, सीपीआई (एम) 22 सीट और बीजेपी 2 सीट से खाता खोल पाई थी.

साल 1989 का लोकसभा चुनाव

1989 में इसका उलट हुआ. 89 के लोकसभा चुनाव में राजीव गांधी सत्ता बचा पाने में असफल रहे. पिछले चुनाव में जहां उन्होंने विशाल जीत दर्ज की लेकिन इस बार कांग्रेस पार्टी केवल 197 सीटों पर ही सिमट कर रह गई. हालांकि, उस आम चुनाव में भी कांग्रेस सबसे अधिक सीट जीतने वाली पार्टी बनकर सामने आई. दूसरे स्थान पर जनता दल रही, जिनके खाते में 143 सीटें आईं. राष्ट्रपति ने उन्हें जब सरकार बनाने का न्योता दिया तो उन्होंने भारतीय जनता पार्टी और सीपीआई(एम) के समर्थन से सरकार बनाई, जिसके नेता वीपी सिंह चुने गए. कांग्रेस पार्टी चुनाव भले ही हार गई थी लेकिन उसकी स्थिति उतनी खराब नहीं हुई थी.

INC BJP CPM CPI BSP JD BLD SWA PSP BJS
Seats Votes Seats Votes Seats Votes Seats Votes Seats Votes Seats Votes Seats Votes Seats Votes Seats Votes Seats Votes
2014 44 19.60% 282 31.40% 9 3.30% 1 0.80% 0 4.20%
2009 206 28.60% 116 18.80% 16 5.30% 4 1.40% 21 6.20%
2004 145 26.50% 138 22.20% 43 5.70% 10 1.40% 19 5.30%
1999 114 28.30% 182 23.80% 33 5.40% 4 1.50% 14 4.20%
1998 141 25.80% 182 25.60% 32 5.20% 9 1.70% 5 4.70% 6 3.20%
1996 140 28.80% 161 20.30% 32 6.10% 12 2.00% 11 4.00% 46 8.10%
1991 244 36.40% 120 20.10% 35 6.10% 14 2.50% 3 1.80% 59 11.70%
1989 197 39.50% 85 11.40% 33 6.50% 12 2.60% 3 2.10% 143 17.80%
1984 415 48.10% 2 7.40% 22 5.70% 6 2.70%
1980 353 42.70% 37 6.20% 10 2.50%
1977 154 34.50% 22 4.30% 7 2.80% 295 41.30%
1971 352 43.70% 25 5.10% 23 4.70% 8 3.10% 2 1.00% 22 7.40%
1967 283 40.80% 19 4.30% 23 5.10% 44 8.70% 13 3.10% 35 9.30%
1962 361 44.70% 29 9.90% 18 7.90% 12 6.80%
1957 371 47.80% 27 8.90% 19 10.40%
1952 364 45.00% 16 3.30%

साल 1991 में फिर कांग्रेस का परचम

वीपी सिंह के नेतृत्व में गठित सरकार करीब दो साल ही सत्ता में रह सकी. लोकसभा चुनाव पहले कराने पड़े. चुनाव 20 मई से 15 जून 1991 के बीच तय हुए थे. इसी दौरान 21 मई को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या कर दी गई और चुनाव पूरी तरह पलट गया. कांग्रेस को सर्वाधिक 244 सीटें मिलीं. बीजेपी 120, माकपा 35 सीटें जीत पाई.

साल 1996 का लोकसभा चुनाव

कुल 545 लोकसभा सीटों पर हुए मतदान में इस बार कांग्रेस को शिकस्त का सामना करना पड़ा. भले ही किसी पार्टी ने बहुमत हासिल नहीं किया लेकिन, भारतीय जनता पार्टी सबसे अधिक सीट जीतने वाली पार्टी बनी. अन्य पार्टियों के सहयोग से बीजेपी ने सरकार बनाई और अटल बिहारी वाजपेई प्रधानमंत्री बने. हालांकि, यह सरकार बहुत ही कम समय के लिए चली और विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव में अपनी बहुमत साबित नहीं कर सकी. जनता दल ने अन्य पार्टियों के समर्थन से सरकार बनाई. उस चुनाव में कांग्रेस के खाते में 140 सीटें आई थीं.

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साल 1998 का लोकसभा चुनाव

पहले बीजेपी फिर गठबंधन की सरकार को देखने के बाद साल 1987 में कांग्रेस ने ही सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया और 1998 में फिर से आम चुनाव हुए. इस चुनाव में अटल बिहारी वाजपेई फिर सदन के नेता बने. बीजेपी ने 182 सीटों के साथ अन्य पार्टियों से गठबंधन किया और सरकार बनाई. इस चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन लगातार खराब रहा और मात्र 141 सीटें ही वह अपने नाम कर सकी. लेकिन, 17 अप्रैल 1999 को AIADMK के सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद एनडीए सरकार फिर गिर गई.

साल 1999 लोकसभा चुनाव

1999 में बीजेपी जीत कर आई और अटल बिहारी वाजपेई ने तीसरी बार पीएम पद की शपथ ली. चुनाव परिणाम में बीजेपी की सीटें तो नहीं बढ़ीं लेकिन, कांग्रेस का ग्राफ गिरता ही चला गया. पार्टी मात्र 114 सीटों पर ही सिमटकर रह गई. उसी वक्त कांग्रेस की कमान अन्य नेताओं के हाथ से फिर गांधी परिवार के हाथ में आई. सोनिया गांधी भले ही उस वक्त अपनी पार्टी को जीत का स्वाद नहीं चखा पाईं लेकिन, उसके बाद कांग्रेस की किस्मत फिर पलटी.

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साल 2004 और 2009 का लोकसभा चुनाव

दोनों लोकसभा चुनाव हुए और सभी एग्जिट पोल को गलत साबित करते हुए कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आई. कांग्रेस ने 2004 के चुनाव में 145 सीट अपने नाम की जबकि 2009 में 206 सीट पर जीत दर्ज की. वहीं, बीजेपी के खाते में 138 सीट और 116 सीटें आईं. कई अन्य पार्टियों को जोड़कर कांग्रेस फिर सत्ता में आई और मनमोहन सिंह को पीएम बनाकर सोनिया गांधी ने सबको चौंका दिया. इस सरकार के वक्त ही देश में फिर कांग्रेस’काल’ शुरू हुआ और अगली बार भी दोबारा कांग्रेस की सरकार चुनकर आई और लगातार 10 साल शासन किया. उस वक्त सोनिया गांधी कांग्रेस का सबसे बड़ा चेहरा थीं. लेकिन, 2014 का चुनाव बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए बहुत कुछ लेकर आया.

साल 2014 और 2019 लोकसभा चुनाव

साल 2014 में महंगा प्याज, 2 जी घोटाला और कई अन्य स्कैम ने कांग्रेस से लोगों का मोहभंग कर दिया. गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी केंद्र की राजनीति में कूदे और बीजेपी के दिन फिर गए. नरेंद्र मोदी की लहर पूरे देश में दौड़ी और बीजेपी पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आई. बीजेपी ने उस वक्त 282 लोकसभा सीटें अपने नाम कीं. कांग्रेस ने उस वक्त राहुल गांधी को चुनावी मैदान में उतारा. अपनी सीट तो उन्होंने बचा ली लेकिन, पार्टी की साख वहां से धीरे-धीरे कमजोर होती गई. लगातार दो चुनाव जीतकर सत्ता में आने वाली पार्टी इस बार मात्र 44 सीटें ही जीत सकी. उस वक्त कहा जा रहा था कि नरेंद्र मोदी की लहर और बीजेपी की गारंटी पर लोगों ने भरोसा किया और उन्हें चुन कर लाई. वहीं, 2019 में लोगों का भरोसा सरकार और पीएम मोदी पर और बढ़ा और बीजेपी दोबारा सत्ता में आई. कांग्रेस इस चुनाव में भी कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर पाई और मात्र 52 सीटें ही अपने नाम कर सकी.

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5 राज्यों के विधानसभा चुनाव

2024 के लोकसभा चुनाव से पहले नवंबर 2023 में 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव ने कुछ और ही तस्वीर पेश की है. बीजेपी ने जहां मध्य प्रदेश में सत्ता वापस पाई. वहीं छत्तीसगढ़ और राजस्थान में उसने कांग्रेस के हाथ से सत्ता छीन ली. सिर्फ तेलंगाना में कांग्रेस सत्ता में आ पाई. दयानंद के मुताबिक इन चुनावों ने राजनीतिक समीकरण को बदल कर रख दिया है.

2024 के लोकसभा चुनाव

कांग्रेस ने कमर कस ली है और कई राजनीतिक दलों के साथ I.N.D.I गठबंधन बनाया है. साथ ही राहुल गांधी ने पहले भारत जोड़ो यात्रा की और अब भारत न्याय यात्रा निकालने जा रहे हैं. कांग्रेस की कमान गांधी परिवार के हाथ से निकालकर मल्लिकार्जुन खरगे को सौंपी गई है. तेलंगाना के पहले दक्षिण भारतीय राज्य कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में उनके नेतृत्व का असर दिखा भी. कांग्रेस वहां भी सत्ता में है. खरगे को विपक्षी गठबंधन में 2024 लोकसभा चुनाव के लिए प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने का प्रस्ताव भी हुआ है. अब देखना यह होगा कि खरगे की अध्यक्षता में कांग्रेस समेत विपक्षी गठबंधन चमकेगा या मोदी की गारंटी को वोटर ज्यादा तवज्जो देंगे.

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