Cooperative: देश में सहकारिता क्षेत्र को मजबूत करने की दिशा में केंद्र सरकार कई कदम उठा रही है. इस कड़ी में गुरुवार को केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने 10 हजार एम-पैक्स का शुभारंभ किया. 10 हजार बहुउद्देशीय प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) के साथ डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियों का भी शुभारंभ किया. यह समितियां किसानों और ग्रामीणों को सरकारी सेवाओं और योजनाओं का लाभ पहुंचाने का काम करेगी. मौजूदा समय में पैक्स के जरिए 24 तरह की सुविधाएं लोगों को मुहैया करायी जा रही है. इस दौरान गृह मंत्री ने किसानों को रूपे, किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) और माइक्रो एटीएम भी दिया.
दो लाख पैक्स बनाने का लक्ष्य
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि देश में 2 लाख पैक्स बनाने का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें नाबार्ड, नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड की बड़ी भूमिका होगी. उन्होंने कहा कि 19 सितंबर 2024 को नियमावली बनायी गयी और तीन महीने के अंदर 10 हजार आधुनिक पैक्स बनकर तैयार हो गया. हमारी कोशिश हर पंचायत में कोई ना कोई सहकारी संगठन का गठन करना है. कार्यक्रम में केंद्रीय पंचायती राज और पशुपालन मंत्री राजीव रंजन ऊर्फ ललन सिंह के अलावा अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे.
पंचायतों को आर्थिक तौर पर सशक्त बनाना है मकसद
कॉपरेटिव पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री ने स्थानीय समुदाय खासकर महिलाओं के नेतृत्व वाले पंचायतों को सशक्त बनाने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि इस काम में कॉपरेटिव संस्थानों की भूमिका महत्वपूर्ण है. नये बने बहुउद्देशीय एम-पैक्स ग्रामीण क्षेत्र में आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने और आर्थिक सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगे. एम-पैक्स ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को सिर्फ वित्तीय सेवा ही प्रदान नहीं करेंगे बल्कि लोगों के बीच सामूहिक सहयोग की भावना को भी बढ़ावा देंगे.
गांव में आसान तरीके से मिले योजनाओं का लाभ
बहुउद्देशीय पैक्स के जरिये ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ आसान तरीके से मिल सकेगा और इससे ग्रामीण क्षेत्रों का विकास तेज गति से हो सकेगा. सहकारिता क्षेत्र भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. ग्रामीण क्षेत्र में वित्तीय समावेशन, ग्रामीण कृषि और कुटीर उद्योग के विकास, रोजगार सृजन और नारी एवं सामाजिक मजबूती को बढ़ाने में सहकारिता क्षेत्र मददगार साबित होगा. सम्मेलन में किसानों व ग्रामीण समुदायों की आजीविका को बेहतर बनाने, आय के अतिरिक्त साधन मुहैया कराने और टिकाऊ कृषि प्रथाओं को बढ़ावा देने के उपायों पर चर्चा की गयी.
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