22.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

कोरोना थर्ड वेव के खतरे के बीच बच्चों को क्यों बुलाया जा रहा है स्कूल? जानें क्या कहते हैं अभिभावक और शिक्षक

अभिभावकों का कहना है कि बच्चों को स्कूल अभिभावकों की सहमति पर भेजा जायेगा. स्कूल एक फाॅर्म भरने के लिए कहते हैं जिसमें यह लिखा है कि अगर बच्चों कोरोना हुआ तो जिम्मेदारी स्कूल की नहीं होगी, ऐसे में हम अपने बच्चों को स्कूल कैसे भेजें, जबकि उन्हें वैक्सीन नहीं लगा है और उनपर जान का खतरा है.

भारत में कोरोना की तीसरी लहर की आहट सुनाई पड़ने लगी है, आज देश में 47 हजार से अधिक मामले सामने आये हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय ने आज प्रेस काॅन्फ्रेंस में कहा कि जहां तक संभव हो सामूहिक कार्यक्रम में जाने से बचें और अगर जाना जरूरी हो तो पूरी तरह वैक्सीनेट लोग ही जायें. ऐसे में यह बड़ा सवाल है कि आखिर जब बच्चों को वैक्सीन नहीं लगा है तो उन्हें स्कूल क्यों बुलाया जा रहा है? अभिभावक तनाव में हैं और बच्चों को स्कूल भेजने को लेकर असमंजस की स्थिति है.

क्या कहते हैं अभिभावक

वहीं अभिभावकों का कहना है कि बच्चों को स्कूल अभिभावकों की सहमति पर भेजा जायेगा. स्कूल एक फाॅर्म भरने के लिए कहते हैं जिसमें यह लिखा है कि अगर बच्चों कोरोना हुआ तो जिम्मेदारी स्कूल की नहीं होगी, ऐसे में हम अपने बच्चों को स्कूल कैसे भेजें, जबकि उन्हें वैक्सीन नहीं लगा है और उनपर जान का खतरा है. हालांकि अभिभावक यह मानते हैं कि बच्चों की पढ़ाई का नुकसान हो रहा है और बच्चे घर पर रहकर डिप्रेशन के शिकार हो रहे हैं.

स्कूलों में क्या हैं इंतजाम

रांची के गौरीदत्त मंडेलिया हाई स्कूल की टीचर नीलाक्षी वाजपेयी ने बताया कि हमारे स्कूल में बच्चों की उपस्थिति 50 प्रतिशत से कुछ ज्यादा है. हम उन्हीं बच्चों को स्कूल आने की इजाजत दे रहे हैं, जिनके अभिभावकों से सहमति मिली है. स्कूल में साफ-सफाई की व्यवस्था है. सैनेटाइजेशन की उचित व्यवस्था है. साथ ही बच्चों का कोरोना टेस्ट भी हो रहा है, अबतक किसी बच्चे में संक्रमण का मामला सामने नहीं आया है. बच्चों को स्कूल आने के लिए बाध्य नहीं किया जाता है और आनलाइन और आफलाइन दोनों ही क्लास चल रहे हैं.

Also Read: फेक न्यूज से देश का नाम खराब होता है, खबर प्रकाशित करने वाले की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए : CJI

जेवीएम श्यामली, रांची के सीनियर सेक्शन की इंजार्च सीमा सनवाल ने बताया कि अभी हमारे स्कूल में नौवीं और दसवीं के बच्चों को ही बुलाये जाने की योजना है. स्कूल में सेनेटाइजेशन की उचित व्यवस्था है. प्रैक्टिकल के लिए दसवीं के बच्चों को बुलाया गया था और उनकी उपस्थिति अच्छी थी. अभिभावकों के मन में थोड़ा संशय है, लेकिन जीवन रूकता नहीं है, इसलिए बच्चों को शिक्षा का हक है. स्कूल आने पर उन्हें जिस तरह से पढ़ा जा सकता है वह घर में आनलाइन क्लास में संभव नहीं है, इसलिए स्कूलों को फेजवाइज खोला जाये, यह जरूरी है. सुरक्षा का पूरा ध्यान रखते हुए स्कूल खोले जा सकते हैं. स्कूल बंद रहने से बच्चों का बहुत नुकसान हो रहा है.

एम्स के डायरेक्टर डाॅ रणदीप गुलेरिया ने स्कूल खोलने की वकालत की

डाॅ रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि स्कूलों को खोला जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि बच्चों को वैक्सीन लगने में नौ महीने से ज्यादा का वक्त लगेगा, इतने लंबे समय तक बच्चों के पढ़ाई का नुकसान होगा, जो सही नहीं है.

डाॅ त्रेहान उठा चुके हैं स्कूल खोलने पर सवाल

मेदांता अस्पताल के चेयरमैन डाॅ त्रेहान ने कहा है कि अभी स्कूलों को खोलने की जल्दी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि अगर ज्यादा बच्चे बीमार होने लगे तो उनका इलाज संभव नहीं हो पायेगा. डाॅ त्रेहान का कहना है कि बच्चों का वैक्सीनेशन होने के बाद ही स्कूल खोला जाना चाहिए था.

Posted By : Rajneesh Anand

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें