नयी दिल्ली : रूस ने दावा किया है कि उसने कोरोना को खत्म करने की दवा बना ली है. दुनियाभर के कई देश कोरोना वायरस की वैक्सीन पर काम कर रहे हैं. एक तरफ रूस के इस दावे पर कई देश सवाल भी खड़ा कर रहे हैं तो दूसरी तरफ अभी भी कोरोना की वैक्सीन को लेकर शोध जारी है. भारत में भी कोरोना वायरस की वैक्सीन ट्रायल में है. भारत में ही कई तरह के वैक्सीन पर अभी शोध चल रहा है
पूरी दुनिया को कोरोना वायरस की वैक्सीन का इंतजार है. हर देश इस कोशिश में है कि इससे लड़ने के लिए कारगर हथियार ( वैक्सीन ) तैयार किया जाए. रूस अब इस लड़ाई में दूसरे देशों से आगे होता नजर आ रहा है. इस देश ने दावा किया है कि उसने कोरोना की वैक्सीन बना ली है. रूस की इस वैक्सीन को खरीदने के लिए कई देशों की लाइन लगी है. भारत भी चाहता है अगर वैक्सीन की मदद से कोरोना से लड़ाई जीती जा सकती है तो इसे अपने यहां लाया जाये.
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आईसीएमआर प्रमुख डॉ. बलराम भार्गव ने भारत में कोरोना वायरस की वैक्सीन को लेकर कहा, भारत बायोटेक और जाइडस कैडिलाका वैक्सीन के फेज 1 का ट्रायल पूरा कर चुके हैं और फेज 2 का ट्रायल करने की तैयारी में हैं. ऑक्सफोर्ड के वैक्सीन को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया बना रहा. इस भी अब फेज 2 और फेज 3 के ट्रायल का इजाजत मिल गयी है. 17 जगहों पर इसे जल्द ही शुरू किया जायेगा. कंपनी ने कहा है कि उसके वैक्सीन की एक खुराक की कीमत तीन डॉलर (लगभग 225 रुपये) होगी
भारत भी कई देशों की तरह अपने यहां वैक्सीन बनाने पर रिसर्च कर रहा है. स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने बताया था कि भारत में अबतक 14 वैक्सीन पर काम चल रहा है. इनमें से तीन वैक्सीन ऐसी है जिस पर तेजी से काम चल रहा है और जल्द ही इसके ट्रालय की प्रक्रिया को पूरी कर इसे सबके लिए इस्तेमाल में लगाया जायेगा. रूस के साथ – साथ दुनियाभर में 148 वैक्सीन पर काम चल रहा है, उसमें 5 या तो भारतीय कंपनियों की है या फिर भारतीय कंपनियां हिस्सेदार हैं. कई देश एक साथ मिलकर कोरोना की वैक्सीन पर शोध कर रहे हैं.
भारत में अगर कोरोना वैक्सीन की स्थिति को देखें तो हैदराबाद की भारत बायोटेक और अहमदाबाद की जाइडस कैडिला कंपनी ने कोरोना वायरस की वैक्सीन को लेकर ह्यूमन ट्रायल शुरू कर दिया है. ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ने इन वैक्सीनों के ह्यूमन ट्रायल की इजाजत भी दे दी है. इस वैक्सीन को लेकर ह्यूमन क्लीनिकल ट्रायल दिल्ली, पटना, भुवनेश्वर, समेत देश के 12 हिस्सों में चल रहा है. कोरोना की वैक्सीन को लेकर कोई एक कंपनी नहीं बल्कि कई कंपनियां मिलकर काम कर रही है जिसमें भारत बायोटेक, आईसीएमआर और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ विरोलॉजी (एनआईवी) शामिल है. अगर दवा पूरी तरह से सफल होती है तो इसका निर्माण मैन्युफैक्चरिंग कंपनी के हैदराबाद कारखाने में होगी.
इसके साथ ही कई औऱ कंपनियां भी हैं जो ह्यूमन ट्रालय के अलग- अलग स्तर पर हैं. जायडस कैडिला ने प्लाज्मिड डीएनए वैक्सीन ‘जायकोवी-डी’ का 6 अगस्त से दूसरे चरण का क्लिनिकल परीक्षण शुरू कर दिया है. हैदराबाद की दवा बनाने वाली कंपनी अरविंदों फार्मा भी पीछे नहीं है इस कंपनी ने भी वैक्सीन का काम शुरू किया है और इसे जैव प्रौद्योगिकी विभाग से वित्त पोषण के लिए मंजूरी भी मिल गई है.
भारत में पीएम केयर्स फंड से 100 करोड़ रुपये कोरोना की वैक्सीन बनाने में खर्च किये जा रहे हैं. दुनियाभर में इसके खर्च पर गौर करें तो हमें यूएन का एक बयान मिलता है जिसमें कहा गया है कोरोना की वैक्सीन के लिए अगले 12 महीनों में 31 अरब डॉलर (करीब 2.35 लाख करोड़ रुपए) की जरूरत होगी.
देश में स्थिति
रिकवरी रेट- 70.38%
तक ठीक हुए मरीज़ों की संख्या- 16,39,599
देश में कुल सक्रिय मामलों की संख्या- 6,43,948
देश में अब तक कुल टेस्ट – 2,60,15,297
अगस्त के महीने में हुए टेस्ट – 7,33,449
टेस्टेसिंग लैब की संख्या – 1421
सरकारी लैब – 944
प्राइवेट लैब – 477
Posted By – Pankaj Kumar Pathak