नयी दिल्ली : मंगलवार को ब्रिटेन में 828 लोगों की मौत हो गई है. यह आंकड़ा सिर्फ मंगलवार का है,ब्रिटेन में मृतकों की संख्या बढ़कर 17,337 हो गयी है. ब्रिटेन में लगातार मौत की संख्या बढ़ रही है उसे देखते हुए ब्रिटेन जिस रणनीति को त्याग रहा है भारत जैसा युवा देश अब उसी रणनीति पर काम कर रहा है.
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हर्ड इम्युनिटी रणनीति के तहत ज्यादातर लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता और वायरस से लड़ने के रोधक विकसित होने दिया जाता है. इस रणनीति के कारगर होने के बाद लोग संक्रमण का शिकार होकर खुद ठीक होने लगते हैं. इस रणनीति पर अब चर्चा शुरू हो गयी है.
टाइम्स अॅाफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार शीर्ष महामारी विशेषज्ञ डॉ. जयप्रकाश मुलियाल ने कहा है कि भारत और ऐसे ही अन्य देश जो लंबे समय तक के लिए लॉकडाउन नहीं रख सकते हैं वे हर्ड इम्युनिटी रणनीति को अपनाने की ओर अग्रसर हैं और इस दिशा में काम कर रहे हैं. अगर इस बीमारी से लड़ने के लिए लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाये तो यह संक्रमण ज्यादा लोगों में नहीं फैलेगा और युवाओं के बाद धीरे- धीरे वृद्ध लोग भी इससे बच जायेंगे.
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प्रिंसटन विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों की टीम और भारत के कुछ संगठन जो इस पर रिसर्च कर रहे हैं और जिनकी टीम दिल्ली और वाशिंगटन दोनों जगह है, इन सभी का मानना है कि यह रणनीति भारत में काम आ सकती है. भारत उन देशों में शामिल है जहां की युवा आबादी इस बीमारी की चपेट में कम आयी है.
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर हम इस वायरस पर नियंत्रण करना चाहते हैं तो, हमें सात महीने का लक्ष्य रखना चाहिए. इससे कम से कम देश के 60 फीसद लोगों में इस वायरस से लड़ने की क्षमता विकसित हो सकती है. ‘देश की लगभग 8.5% और 12.5% आबादी 60 और 55 वर्ष से ऊपर है. अगर हम इन 10% लोगों की रक्षा परिवारों के भीतर करें न कि संस्थानों में तो हम समूह प्रतिरक्षा विकसित कर सकते हैं.
विशेषज्ञ डॉ. जयप्रकाश कहते हैं कि लॉकडाउन से वायरस पर काबू पाने में महीनों लगेंगे. आप जैसे ही लॉकडाउन से बाहर निकलेंगे वायरस बाहर आ जायेगा. उन्होंने कहा, इज़राइल और स्वीडन पहले से ही इस रणनीति का इस्तेमाल कर रहे हैं.
इस तकनीक में क्या है
इस तकनीक के द्वारा कोरोना वायरस से निपटने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित किया जाता है. इसमें ज्यादा से ज्यादा लोग संक्रमित होंगे. अस्पताल में मरीजों की संख्या बढ़ेगी. विशेषज्ञ का कहना है कि भारत को जल्द से जल्द अस्पताल और बिस्तरों की संख्या बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए. इसका ध्यान रखना होगा जबतक हर्ड इम्युनिटी विकसित नहीं होता.
भारत में वायु प्रदूषण, मधुमेह, हाइपरटेंशन जैसी बीमारियां युवाओं में देखी जाती है इसका अर्थ है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक इस बीमारी का प्रसार होगा और मौत की संख्या भी बढ़ सकती है. लॉकडाउन हटने के बाद संभव है कि लोग सोशल डिस्टेसिंग का पालन भी ना करें.
नोबल कोरोना वायरस मनुष्यों में पिछले साल ही अस्तित्व में आया था. इसके बारे में अब भी ज्यादा जानकारी नहीं है. इसमें लड़ने की क्षमता शरीर में विकसित होने में और वक्त लग सकता है जितनी हम उम्मीद कर रहे हैं. एक रिसर्च के अनुसार जबतक हम हर्ड इम्युनिटी तक पहुंचेंगे लगभग 82 फीसद लोग इस वायरस से संक्रमित होंगे.
इन परेशानियों के बाद भी बेहतर है हर्ड इम्युनिटी
हावर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मार्क कहते हैं कि सबसे जरूरी सवाल है कि हमें हर्ड इम्युनिटी के स्तर तक पहुंचने के लिए कितने फीसद लोगों में यह होना चाहिए और कितनी रोग प्रतिरोधक क्षमता होनी चाहिए ताकि हर व्यक्ति इससे लड़ सके. भारत को लेकर चिंता इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि यहां आबादी ज्यादा है. इस पूरी चर्चा के बाद भी विशेषज्ञ मानते हैं कि हर्ड इम्युनिटी बेहतर रास्ता है. अगर इस रास्ते पर नहीं गये तो लॉकडाउन लंबे अरसे तक कायम रहेगा यह अगले साल जून तक कायम रह सकता है