नयी दिल्ली : कोरोना वायरस का संक्रमण पूरी दुनिया में कहर मचा रहा है जाहिर है वायरस चीन से निकला है. कई महत्वपूर्ण देशों की नजर चीन पर है. अब अंतरराष्ट्रीय डोजियर में चीन के खिलाफ कड़े सबूतों की बात कही गयी है इसमें कहा गया है कि चीन की लापरवाही और साजिश की वजह से कोरोना का कहर पूरी दुनिया में है.
किसने तैयार की है रिपोर्ट
अंतरराष्ट्रीय डोजियर को पांच देशों के संगठन ने मिलकर तैयार किया है इसे ‘FIVE EYES’ ने नाम से जाना जाता है. चीन के खिलाफ इंटरनेशनल ‘चार्जशीट’ तैयार कर ली गयी है. इस संगठन ने 15 पन्नों का डोज़ियर तैयार किया है. इसमें शुरुआती मामले सामने आने के बाद भी चीन की चुप्पी अंतरराष्ट्रीय पारदर्शिता पर हमला बताया गया है. चीन ने पहले संक्रमण छुपाया. रिपोर्ट में साफ लिखा गया है कि चीन ने कोरोना की जानकारी ना सिर्फ छिपायी बल्कि उन लोगों को भी चुप करा दिया जो इसकी जानकारी रखते थे या इस वायरस को लेकर पूरी दुनिया को सावधान करना चाहते थे. FIVE EYES ने कहा है कि पूरी दुनिया में हो रही कोरोना वायरस से मौत के लिए चीन को जिम्मेदार मानती है.
कैसे आयी यह रिपोर्ट सामने
FIVE EYES की रिपोर्ट मीडिया में लीक हो गयी. ऑस्ट्रेलिया मीडिया में रिपोर्ट लीक होने के बाद इस रिपोर्ट की चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है. चीन अपने बचाव में यही कहता रहा है कि हमारे नागरिकों की भी मौत हुई है, अर्थव्यवस्था को झटका लगा है जबकि इन दावों के बाद भी इस रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन ने एक-दो नहीं बल्कि कई मौकों पर कोरोना वायरस से जुड़ी जानकारी पूरी दनिया से छुपा कर रखी. चीन की सोशल मीडिया पर भी कोरोना वायरस को लेकर लेख सामने आने लगे थे लोगों ने इस वायरस को लेकर अपने अनुभवों को लिखना शुरू कर दिया था लेकिन चीन ने सेंसरशिप लगा कर इस पर भी रोक लगा दी.
चीन ने कैसे लगायी रोक
5 जनवरी 2020 को वुहान के नगर स्वास्थ्य आयोग ने मामलों पर संख्या की जानकारी नहीं दी. इससे पहले डेली रिपोर्ट सामने आ रहे थे जिसे बंद कर दिया गया. अगले 13 दिनों तक रिपोर्ट जारी नहीं किया गया. इस वायरस की बेहतर जानकारी रखने वाले प्रोफेसर को 12 जनवरी को लैब में ही बंद कर दिया गया प्रोफेसर पर आरोप लगाया गया कि वो बाहरी दुनिया के साथ वायरस से जुड़े डेटा को साझा कर रहे हैं. FIVE EYES की जांच में विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ के खिलाफ भी सच छिपाने के पुख्ता सबूत मिले हैं. रिपोर्ट के मुताबिक WHO ने इस पूरे मामले में हमेशा चीन की हां में हां मिलाई और दूसरे देश के वैज्ञानिकों पर अधूरा जवाब ही दिया.