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दिल्ली-गाजीपुर बॉर्डर से कई राज्यों के लिए खुलीं बसें, झारखंड जाने के 4000 रुपये वसूले

लॉकडाउन के दौरान कल-कारखाने और कंपनियों में कामकाज ठप पड़ जाने से बहुत बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हो गए हैं. इनमें सबसे खराब स्थिति प्रवासी मजदूरों की है. रोज कुआं खोदकर प्यास बुझाने वाले मजदूर अपने अपने राज्य, अपने अपने गांव लौटने को मजबूर हो रहे हैं. ऐसे हालात में मजदूरों की मजबूरी का फायदा उठाने की कहानियां अब भी सामने आने लगीं हैं.

कोरोनावायरस लॉकडाउन के कारण देश की राजधानी दिल्ली में फंसे हजारों प्रवासी मजदूरों को थोड़ी राहत मिली. बुधवार की रात दिल्ली-गाजीपुर बॉर्डर से कई राज्यों के लिए बसें खुलीं. रोज कमाने खाने वाले मजदूरों से बस वाले मनमानी कीमत वसूल रहे हैं. झारखंड के व्यक्ति से 4000 रुपये लिए गए.

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न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के बॉर्डर पर स्थित गाजीपुर में एक यात्री रामदेव शर्मा ने बताया कि वे झारखंड के हैं और अब काम-धंधा खत्म होने के चलते वे अपने राज्य झारखंड लौट रहे हैं. गाजीपुर से झारखंड ले जा रही बस में हमसे प्रति व्यक्ति 4000 रुपये वसूले गए.

इस बारे में जब बस के चालक संतोष से पूछा गया तो उसने कहा, मुझे लगता है कि सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए बस में ज्यादा लोग चढ़ जाते हैं. मुझे अभी तक इस बात के निर्देश नहीं मिले हैं कि बस में कितने लोग सवार हो सकते हैं. मुझे इस बारे में जब कोई दिशानिर्देश मिलेगा तब मैं उसके हिसाब से सवारियां बिठाउंगा और जरूरत से ज्यादा सवारी को उतार लूंगा.

एक तरफ दिल्ली सरकार कह रही है कि लोगों को घर भेजने के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन किया जा रहा है. मजदूरों को उनके घर तक पहुंचाया जाएगा, लेकिन जो हालात इन मजदूरों के हैं उसमें यह अपने आप में सवाल है. दिल्ली के गाजीपुर इलाके में बड़ी संख्या में मजदूर अभी भी बैठे हुए हैं. इन्हें समझ नहीं आ रहा कि अब यह क्या करें, क्योंकि ये न वापस जा सकते हैं और उत्तर प्रदेश सरकार इनको आगे पैदल जाने नहीं दे रही. दिल्ली-गाजीपुर बॉर्डर पर खड़ी एक महिला पूजा ने कहा कि मैं सात माह की गर्भवति हूं. गोद में डेढ़ साल का बेटा भी है मगर, पुलिस वाले हमें अपने घर नहीं जाने दे रहे.

बता दें कि औरेया हादसे के बाद सीएम योगी के निर्देश के बाद गाजीपुर-यूपी बॉर्डर पर कई प्रवासी मजदूर रोक दिए गए हैं. पुलिस उन्हें अपने क्षेत्र में घुसने नहीं दे रही है. इस वजह से बॉर्डर पर काफी भीड़ बढ़ गई है. बीते तीन से यहां काफी लोग जमा हैं. जिन्हें बारी बारी से बसों से भेजा जा रहा है. ट्रेनें और बसें नहीं मिली तो हजारों की संख्या में लोग पैदल ही चल पड़े. कई लोग 10-12 दिन पैदल कर बिहार और झारखंड के अपने गांव पहुंच भी चुके हैं.

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