कोरोना वायरस संक्रमण के दौर में आम भारतीयों के लिए एक राहत भरी खबर आयी है. केंद्र सरकार ने कहा है कि अस्पताल किसी मरीज को इलाज के लिए भर्ती करने से पहले कोरोना संक्रमण टेस्ट के लिए मजबूर नहीं कर सकते. केंद्र ने राज्य सरकारों से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि देश में प्राइवेट अस्पताल अपना काम जारी रखें और लोगों को भर्ती करने से पहले उन्हें कोविड-19 टेस्ट करवाने या उसकी निगेटिव रिपोर्ट लाने के लिए मजबूर न करें.
#IndiaFightsCorona : @MoHFW_INDIA asks States to ensure that patients coming to hospitals for non-#COVID19 essential services are provided these without being asked to produce a #COVID Negative certificate. Read here pic.twitter.com/VILsyNIK6H
— PIB India (@PIB_India) April 28, 2020
देश के कई निजी अस्पताल कोरोना के खौफ के कारण कई मरीजों को भर्ती करने से इनकार कर रहे हैं. देश कई हिस्सों में अस्पतालों की बेरुखी से मरीजों की मौत भी हुई है. अब केंद्र सरकार इस मामले पर ऐक्शन में आयी है और राज्य सरकारों से कहा है वह सभी अस्पतालों को खुले रखना सुनिश्चित कराएं.
कोरोना वायरस और लॉकडाउन के बाद से कई प्राइवेट अस्पतालों ने अपनी सेवाएं देनी भी बंद कर दी हैं. इससे कैंसर और टीबी जैसी गंभीर रूप से बीमार अन्य मरीजों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. इन सभी समस्याओं के मद्देनजर केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव प्रीति सूदन ने सभी राज्यों के प्रमुख सचिवों को पत्र लिखा है. उन्होंने चिट्ठी में लिखा है कि केंद्र सरकार को ऐसी रिपोर्ट्स मिली हैं कि कई प्राइवेट अस्पताल मरीज़ों को डायलिसिस, कीमोथेरेपी और ब्लड ट्रांसफ्यूजन जैसी जरूरी सेवाएं देने से कतरा रहे हैं.
प्रीति सूदन ने लिखा है, सभी मरीजों को जरूरी इलाज और स्वास्थ्य सुविधाएं मिलनी चाहिए, खासकर प्राइवेट अस्पतालों में. उन्होंने कहा, मरीजों को भर्ती करने से पहले स्वास्थ्यकर्मी अपनी सुरक्षा के लिए जरूरी उपाय बेशक अपनाएं मगर मरीजों को कोविड-19 के टेस्ट के लिए या निगेटिव रिपोर्ट लाने के मजबूर नहीं किया जा सकता. केंद्र के इस पत्र में 20 अप्रैल को जारी गाइडलाइंस का भी जिक्र किया गया है। गाइडलाइंस में कहा गया है कि जरूरी सेवाओं को नहीं रोका जाएगा. इसमें चाइल्ड हेल्थकेयर, कैंसर और किडनी जैसी सेवाएं शामिल हैं.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह स्पष्ट किया है कि कोरोना संक्रमण के इलाज के लिए प्लाज़्मा थेरेपी अभी प्रयोग के दौर में है और इसे आईसीएमआर की मान्यता नहीं मिली है. संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि अभी तक ऐसे कोई पुष्ट प्रमाण नहीं मिले हैं जिनके आधार पर यह साबित हो सके कि प्लाज़्मा थेरेपी से कोरोना वायरस संक्रमण को ठीक किया जा सकता है. उन्होंने कहा, आईसीएमआर अभी इस बारे में राष्ट्रीय स्तर पर अध्ययन कर रहा है और कई चिकित्सा संस्थानों में इसका परीक्षण किया जा रहा है.