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Delhi Election 2025: नयी दिल्ली सीट: विरासत बचाने की चुनौती

पिछले दो दशक से अधिक समय से इस सीट पर जीतने वाली पार्टी की दिल्ली में सरकार और सीट से जीतने वाले प्रत्याशी दिल्ली के मुख्यमंत्री बनते रहे हैं. इस लिहाज से इस विधानसभा में यह चर्चा तेज है कि भाजपा के जीतने पर प्रवेश वर्मा और कांग्रेस के जीतने पर संदीप दीक्षित मुख्यमंत्री बन सकते हैं.

Delhi Election 2025: नयी दिल्ली विधानसभा सीट पर कांटे का मुकाबला है. यह सीट मुख्यमंत्री की विरासत की लड़ाई वाली सीट है. यहां से आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री पद के घोषित उम्मीदवार एवं पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल चुनाव लड़ हैं, तो दूसरी ओर भाजपा से पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के पुत्र पूर्व सांसद प्रवेश वर्मा और पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के पुत्र एवं पूर्व सांसद संदीप दीक्षित चुनाव लड़ रहे हैं. पिछले दो दशक से अधिक समय से इस सीट से जीतने वाले प्रत्याशी की पार्टी की दिल्ली में सरकार बनी है और इस सीट से जीतने वाला ही मुख्यमंत्री बना है.

इस गणित को देखते हुए कयास लगाए जा रहे हैं कि यदि भाजपा और कांग्रेस में से प्रवेश वर्मा या संदीप दीक्षित जीतते हैं, तो उनको मौका मिल सकता है. इसका अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री आतिशी ने भाजपा की ओर से रमेश बिधूड़ी को सीएम कैंडिडेट के रूप में  नाम आगे कर नयी दिल्ली के मतदाताओं को यह मैसेज देने का प्रयास किया है कि यदि प्रवेश वर्मा चुनाव जीत भी जाते हैं, तो वह सीएम नहीं बनेंगे, जबकि केजरीवाल जीतते हैं, तो वह सीएम बनेंगे.

मुख्यमंत्री बनाने का क्षेत्र रहा है नयी दिल्ली


वर्ष 1998 से  2020 के बीच विधानसभा चुनाव में यहां से जो प्रत्याशी जीतते रहे हैं, वही सीएम बनते है. पहले तीन बार 1998 से 2013 के बीच  शीला दीक्षित चुनाव जीती और एक तरह से उनके लिये यह सबसे सेफ सीट बन गयी .2013 में इसी सीट से केजरीवाल ने चुनाव जीता और पहली बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बने. केजरीवाल तीन टर्म  2013,2015 और 2020 में यहां से चुनाव जीते और यह सीट मुख्यमंत्री की विरासत वाली सीट बन गया. क्योंकि इसी सीट से जीतने वाले कैंडिडेट ज्यादा समय तक दिल्ली के मुख्यमंत्री पद पर काबिज रहे हैं. भाजपा उम्मीदवार प्रवेश वर्मा खुद को जिस तरह से पेश कर रहे हैं, उससे लगता है कि वह अपने पिता की विरासत को लेने को आतुर है.

बाहरी दिल्ली के क्षेत्रों में भी मतदाता प्रवेश वर्मा को सीएम पद का दावेदार बता रहे हैं. लोग यह भी बताने से नहीं चूकते कि पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा ने दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देते ही सरकारी बंगला छोड़ कर पूरे परिवार के साथ डीटीसी की बस में सवार होकर अपने गांव मुंडका आ गये थे. यह बताकर प्रवेश के समर्थक उन्हें कट्टर ईमानदार बताते हैं. इसी तरह की चर्चा दूसरे प्रत्याशी संदीप दीक्षित को लेकर भी लोग करते हैं. शीला दीक्षित द्वारा दिल्ली में किये गये विकास के काम को उनके विरोधी भी मानते हैं. दिल्ली के कायाकल्प में शीला दीक्षित के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है. इस तरह से शीला दीक्षित के विकास को आगे कर संदीप दीक्षित को जीताने की अपील की जा रही है.


आप से पूछे जा रहे सवाल


तीसरे प्रत्याशी आप के सीएम पद के घोषित उम्मीदवार अरविंद केजरीवाल है, जो अपने द्वारा किये गये काम और आगे करने वाले काम की गारंटी देकर जनता का आशीर्वाद मांग रहे हैं. अरविंद केजरीवाल अपने भाषणों में यह भी कहते हैं कि भाजपा और कांग्रेस दोनों मिले हुए है. कांग्रेस के ऊपर भाजपा को मदद पहुंचाने का आरोप भी लगाते हैं. प्रवेश वर्मा और संदीप दीक्षित से वोटर जितने सवाल नहीं पूछते, उससे कहीं ज्यादा अरविंद केजरीवाल से सवाल पूछा जा रहा है. लोगों में अलग-अलग तरह की नाराजगी भी है. बहरहाल, दलों के अपने-अपने दावे है, लेकिन सच्चाई यह है कि इस हाई प्रोफाइल सीट की जनता का रुझान किस ओर है, इसे समझना अभी थोड़ा मुश्किल है.

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